- October 27, 2016
पांच महानतम लड़ाइयोँ मेँ सारागढ़ी
झज्जर — ग्रीक, सपार्टा और परसियन पर 300 जैसी फिल्म भी बन चुकी है। लेकिन सारागढ़ी से पता चलता है की इससे महान लड़ाई सिखलैँड मेँ हुई थी।
1897 , नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर स्टेट मेँ 12 हजार अफगानोँ ने हमला किया । महाराजा रणजीत सिंह द्वारा निर्मित गुलिस्तान और लोखार्ट के किलोँ पर कब्जा करना चाहते थे।
इन किलोँ के पास सारागढी मेँ एक सुरक्षा चौकी थी। जंहा पर 36 वीँ सिख रेजिमेँट के 21 जवान तैनात थे। ये सभी जवान माझा क्षेत्र के थे और सभी सिख थे। 36 वीँ सिख रेजिमेँट मेँ केवल साबत सूरत (जो केशधारी हों) सिख भर्ती किये जाते थे।
ईश्वर सिंह के नेतृत्व मेँ तैनात इन 20 जवानोँ को पहले ही पता चल गया कि 12 हजार अफगानोँ से ज़िंदा बचना नामुमकिन है। फिर भी इन जवानोँ ने लड़ने का फैसला लिया। और 12 सितम्बर 1897 को सिखलैँड की धरती पर एक ऐसी लड़ाई हुई जो दुनिया की पांच महानतम लड़ाइयोँ मेँ शामिल है ।
एक तरफ 12 हजार अफगान थे तो दूसरी तरफ 21 सिख। सिख जवान आखिरी सांस तक लड़े और इन किलोँ को बचा लिया। अफगानोँ की हार हुयी।। ब्रिटेन की संसद मेँ सभी खड़ा होकर इन 21 वीरोँ की बहादुरी को सलाम किया। इन सभी को मरणोपरांत इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट दिया गया। जो आज के परमवीर चक्र के बराबर था।
भारत के सैन्य इतिहास का ये युद्ध के दौरान सैनिकोँ द्वारा लिया गया सबसे विचित्र अंतिम फैसला था।
UNESCO ने इस लड़ाई को अपनी 8 महानतम लड़ाइयोँ मेँ शामिल किया। इस लड़ाई के आगे स्पार्टन्स की बहादुरी फीकी पड़ गई । मुझे खेद है कि ये लड़ाई यूरोप के स्कूलोँ मेँ पढाई जाती है पर हमारे यंहा अब तक अनभिज्ञ है।
पुलिस जनसंपर्क अधिकारी, नवसंचारसमाचार फेसबुक से