परिवर्तन करने पर प्रगति के मार्ग खुल सकते हैं – आचार्य दिव्यानंद

परिवर्तन करने पर प्रगति के मार्ग खुल सकते हैं – आचार्य दिव्यानंद

उज्जैन : द्रव क्षेत्र काल और भाव परिवर्तन करने पर प्रगति के मार्ग खुल सकते हैं, जो व्यक्ति समय के साथ नहीं चलता समय उनका साथ नहीं देता. उक्त वाक्य पंजाब गौरव आचार्य दिव्यानंद सूरीश्वर जी महाराज साहब (निराले बाबा) ने खरा कुआ जैन उपाश्रय में धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहे.

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आचार्य श्री ने आगे बताये की पूर्व काल में जैन धर्म का बहुत बड़ा साम्राज्य हुआ करता था किन्तु आज हम अल्पसंख्यक कहलाने लगे है. आचार्य श्री ने जीवन जीने की कला पर फरमाये की मनुष्यों को जीवन जीने की कला ही नहीं है दिन प्रतिदिन बस मृत्यु के निकट कदम बढ़ाये जा रहा है मनुष्य. महापुरुष कहते है की दुर्लभों मानुषो देहिनां क्षण भुंगर बताया है.

अर्थात पानी के बुलबुले की तरह कब फुट जाये कोई पता नहीं इसलिए महापुरुष कहते है कि हे मानव! जाग जा दिन या रात का विचार मत कर क्यों कि क्षण प्रति क्षण तेरी उम्र घटती जा रही है जिस प्रकार घड़ा टूट जाता है और पानी बिखर जाता है जीवन भी घड़ा का स्वरुप है और आत्मा पानी का स्वरुप कर्म ही पुण्याई है हमारी.

इस अवसर पर बाबूलाल जैन, आर के जैन, रमेश चंद पावेचा, प्रदीप जैन, शुभाष जैन, नरेंद्र तरवेचा, विनायक अशोक लुनिया, सोमेश पण्डे, कैलाश चंद शर्मा, राजमल जैन, रितेश खाबिया, शुभम तरवेचा आदि मौजूद थे.

सुनील जैन
9981966140

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