- April 23, 2017
न्यायालय अभिलेखों के डिजिटाईशन को प्राथमिकता
हि.प्र. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मंसूर अहमद मीर ने हि.प्र. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार 27 नवम्बर, 2013 को संभाला था और वह 24 अप्रैल, 2017 को सेवानिवृत हो रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने समाज के बड़े वर्ग तथा राज्य हित के मामलों में अनेक महत्वपूर्ण फैंसले लिए।
हि.प्र. उच्च न्यायालय में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने न्यायालय में मुकदमों की लंबितता को कम करने के लिए भरसक प्रयास किए। परिणामस्वरूप हि.प्र. उच्च न्यायालय में लम्बित मामलों की संख्या 59133 से घटकर 29800 तक पहुंच गई, जबकि 5 वर्ष से अधिक पुराने लम्बित मामलों की संख्या 10135 से घटकर 6735 पर आ चुकी है।
इस दौरान उन्होंने एकल बेंच के 3196 मामलों सहित कुल 35710 मामलों का निपटारा किया। मोटर वाहन अधिनियम के अन्तर्गत 72 करोड़ रुपये, जबकि भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत 10-15 करोड़ रुपये की राशि वसूली गई।
हि.प्र. उच्च न्यायालय में मार्च, 2012 से अप्रैल, 2017 की अवधि के दौरान 25 लोक अदालतों का आयोजन किया गया, जिनमें 2382 मामले आए और 390 का निपटारा किया गया। मध्यस्थता व्यवस्था को विशेष तवज्जो प्रदान की गई और राज्य में इस व्यवस्था के तहत सुनवाई के लिये 6996 मामले आए, जिनमें से 1638 का निपटारा किया गया।
न्यायमूर्ति मीर ने अपने कार्यकाल के दौरान हि.प्र. उच्च न्यायालय में विभिन्न श्रेणियों की 367 नियुक्तियां तथा पदोन्नतियां की। इसके अतिरिक्त, न्यायालय परिसर में सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए गए तथा सौर उर्जा प्लांट लगाकर बिजली के खर्च में कटौती की गई।
न्यायिक अभिलेखों के डिजीटाईजेशन को प्राथमिकता प्रदान की गई और 27.50 लाख रुपये की लागत से एसएएन स्टोरेज उपकरण स्थापित किया गया। मौजूदा डिजीटल डिस्प्ले प्रणाली को आधुनिक तकनीक में बदलने के लिए 41.41 लाख रुपये का बजट प्रावधान किया गया।
ई-न्यायालय शुल्क प्रणाली लागू की गई तथा राज्य के सिविल व सत्र मण्डलों के सभी 11 मुख्यालयों में वीडियो कांफ्रेसिंग सुविधा का परिचालन किया गया। उच्च न्यायालय में अधिवक्ताओं तथा वादी-प्रतिवादियों की सुविधा के लिए मामलों तथा निर्णयों की जानकारी जैसी विशेषताओं वाली मोबाईल ऐप शुरू की गई।
राज्य में विधिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना इनके कार्यकाल की महत्वपूर्ण उपलब्धि रही और इसका संचालन भी शुरू किया गया। इस विश्वविद्यालय का परिसर शिमला जिला के घंडल में बनाया जा रहा है, जिसके लिए पहले ही बजट का प्रावधान किया गया है।
हि.प्र. उच्च न्यायालय में 50 लाख रुपये की लागत से एक व्यायामशाला की स्थापना की जा रही है।
राज्य के अधीनस्थ न्यायालयों में जनवरी, 2014 से मार्च, 2017 के बीच 11,18,428 मामलों का निपटारा किया गया है। इसके अलावा राज्य भर में आयोजित लोक अदालतों में 3.21 लाख मामले निपटाए गए।
हि.प्र. न्यायिक अकादमी परिसर के प्रथम चरण का निर्माण लगभग पूरा होने वाला है जबकि छात्रावास खण्ड का लोकार्पण पहले ही किया जा चुका है। 51.78 करोड़ रुपये लोक निर्माण विभाग को स्थानांतरित कर दिए गए हैं। अकादमी द्वारा 188 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिनमें 3934 न्यायिक तथा राज्य सरकार के अन्य अधिकारियों ने प्रशिक्षण प्रदान किया है।
इसके अतिरिक्त, हि.प्र. न्यायापालिका पर्यावरण के संरक्षण व संवर्धन में भी शामिल रही है और स्कूली विद्यार्थियों के माध्यम से प्रदेशभर में 8 लाख पौधे रोपित किए गए। नशा निवारण योजना का प्रभावी कार्यान्वयन किया गया। राज्य में 5107 विधिक साक्षरता शिविरों का आयोजन किया गया, जिनमें 338670 लोगों को लाभान्वित किया गया।