- January 24, 2015
“नेताजी का जीवन और त्याग आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रकाशस्तंभ है” – राष्ट्रपति
अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि नेताजी के जयंती के मौके पर उनके संदेशों और सामयिक सार्थकता पर विचार करना बेहद उपयुक्त है। नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। हम पूरे समर्पण के साथ नेताजी के देश को मजबूत, सम्पन्न और प्रगतिशील बनाकर, ताकि अपना देश एक दिन विश्व का सर्वाधिक शक्तिशाली देश बन सके, उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं। उन्होंने देश के युवाओं से एक बार फिर “एकता, भरोसा और त्याग” के नारे को राष्ट्र के आह्वान के रुप में अपनाने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सुभाष चन्द्र बोस का अनूठा स्थान है। फरवरी, 1938 में ताप्ती नदी के किनारे हरिपुरा में इंडियन नेशनल कांग्रेस के 51वें सत्र के लिए उन्हें निर्विरोध राष्ट्रपति चुना गया था। इस सत्र के दौरान उनका अध्यक्षीय भाषण उनके दृष्टिकोण और कार्यप्रणाली के सिलसिले में श्रेष्ठ कृति है। उन्होंने प्रतिभागियों को याद दिलाया था कि “हमारी मुख्य राष्ट्रीय समस्याएं गरीबी उन्मूलन, अशिक्षा और रोग” हैं।