नीति आयोग और संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ कार्यशाला

नीति आयोग और संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ कार्यशाला

नई दिल्ली (पीआईवी) नीति आयोग और संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत सरकार-संयुक्त राष्ट्र सतत विकास सहयोग संरचना ( यूएनएसडीसीएफ ) 2023-27 पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सत्यापन कार्यशाला का आयोजन किया।

यह ऐसी पहली सभा थी जिसमें 30 केंद्रीय मंत्रालयों के अधिकारियों, 26 यूएन एजेन्सियों के प्रमुख तथा सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों की सहभागिता देखी गई।

पिछली भारत सरकार-संयुक्त राष्ट्र सतत विकास सहयोग संरचना ( यूएनएसडीसीएफ ) 2018-22 राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं तथा सतत विकास लक्ष्यों ( एसडीजी ) अर्जित करने के लिए सहयोग, परिणामों तथा कार्यनीतियों की कार्यसूची थी। यह संरचना भारत में 26 यूएन निकायों की योजनाओं तथा कार्यक्रमों की संपूर्णता को हासिल करने वाला एकमात्र सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है। जैसे ही 2018-22 संरचना ने अपने कार्यान्वयन के अंतिम वर्ष में प्रवेश किया, भारत सरकार तथा संयुक्त राष्ट्र अगले पांच वर्षों, 2023-27 के लिए इसे नवीनीकृत करने के लिए प्रतिबद्ध हो गए।

भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे हो जाने पर 2023-27 सहयोग संरचना पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।

भारत की राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने अगले पांच वर्षों में ‘ संपूर्ण सरकार ‘ और ‘ संपूर्ण संयुक्त राष्ट्र ‘ में तालमेल बनाने की अपील की। उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला ‘ नवीन भारत की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उन्हें और अधिक मजबूत तथा प्रासंगिक बनाने के लिए भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र संघ के बीच साझीदारी के विभिन्न रूपों को फिर से देखने तथा पुनर्जीवित करने का एक अवसर ‘ था।

नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत ने 2023-27 संरचना को अंतिम रूप देते हुए नवोन्मेषी तथा भविष्यवादी सोच की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ‘ इस कार्यशाला की आवश्यकता अगले पांच वर्षों के लिए संयुक्त राष्ट्र की टीम के साथ किए जाने वाले सामूहिक कार्य के लिए आवश्यक माहौल तैसार करेगी । ‘

2018-22 की संरचना नीति आयोग के उपाध्यक्ष तथा संयुक्त राष्ट्र के रेजीडेंट कॉर्डिनेटर इंडिया की अध्यक्षता वाली संयुक्त संचालन समिति द्वारा निर्देशित है जिसमें आर्थिक मामले विभाग तथा विदेश मंत्रालय के सदस्य शामिल हैं।

2018-22 की संरचना की मुख्य उपलब्धियों में से एक कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए भारत सरकार के साथ संयुक्त राष्ट्र एजेन्सियों की साझीदारी रही है। अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने से लेकर आवश्यक दवाओं एवं चिकित्सा आपूर्तियों की प्रदायगी करने, दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को सुगम बनाने से लेकर नीतिगत सहायता उपलब्ध कराने एवं सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय प्रचलनों का उपयोग करने तक संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने कोविड संकट के दौरान बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इसी के अनुरुप, 2023-27 संरचना का एक प्रमुख उद्वेश्य देश की आवश्यक विकास संबंधी चुनौतियों को दूर करने के लिए नए रास्तों की खोज करने के लिए भारत-यूएन सहयोग का उपयोग करना होगा।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष तथा संयुक्त राष्ट्र के रेजीडेंट कॉर्डिनेटर इंडिया के नेतृत्व में 2023-27 संरचना के लिए तैयारी एक उच्च भागीदारी वाली प्रक्रिया थी जिसमें अन्य व्यक्तियों के अतिरिक्त केंद्र और राज्य सरकारों, सिविल सोसाइटी, शिक्षाविदों, निजी क्षेत्र, थिंक टैंक तथा आर्थिक उद्यमी के साथ सलाह मशविरा शामिल थी।

कार्यशाला के दौरान, भारत में यूएन रेजीडेंट कॉर्डिनेटर शोम्बी शार्प ने संरचना के इसके मजबूत स्वामित्व के लिए भारत सरकार की सराहना की तथा भारत को उसकी विकास प्राथमिकताओं एवं एसडीजी को अर्जित करने के लिए भारत की सहायता करने की संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता दुहराई। उन्होंने कहा, ‘ अगले पांच वर्ष न केवल भारत के लिए बल्कि विश्व के लिए भी मौलिक होंगे क्योंकि भारत एसडीजी हासिल करने के लिए अपने प्रयास में एक बड़ी भूमिका का निर्वाह करता है। आगामी संरचना सर्वाधिक निर्बल वर्गों तक पहुंचने में भारत की बेशुमार प्रगति की सहायता करने के लिए मजबूत डाटा तथा साक्ष्य का उपयोग करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी वंचित न रह जाए। ‘

2023-2027 संरचना का उद्वेश्य 2030 के एजेंडा के चार स्तंभों – लोग, समृद्धि, ग्रह तथा सहभागिता को भारत की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ समायोजित करना है तथा देश भर में काम करने वाले संयुक्त राष्ट्र की सभी संस्थाओं के प्रयासों को दिशा उपलब्ध कराना है।

नई संरचना के छह परिणाम क्षेत्र हैं : ( 1) स्वास्थ्य एवं कल्याण ( 2 ) पोषण एवं भोजन ( 3 ) गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ( 4 ) आर्थिक विकास एवं उत्कृष्ट कार्य ( 5 ) पर्यावरण, जलवायु, वाश तथा अनुकूलता ( 6 ) लोगों, समुदायों तथा संस्थानों को अधिकार संपन्न बनाना।

इसके बाद, संबंधित सरकारी मंत्रालयों के सचिव की अध्यक्षता में छह कार्य समूहों का गठन किया गया जिसमें अन्य संबंधित मंत्रालयों, यूएन संस्थाओं तथा नीति आयोग के अधिकारी सदस्य थे। प्रत्येक समूह ने नीति आयोग के संबंधित सदस्य के दिशानिर्देश के तहत कार्य किया।

कार्यशाला में, पोषण और भोजन पर तीन समूह : आर्थिक विकास तथा उत्कृष्ट कार्य और जलवायु कार्रवाई का संचालन नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद ने किया जबकि अन्य – स्वास्थ्य एवं कल्याण, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा लोगों, समुदायों तथा संस्थानों का सशक्तिकरण का नेतृत्व नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के पाल ने किया।

2023-27 की संरचना में अधिक अनुकूल, समावेशी तथा टिकाऊ भारत के लिए साझा विजन तथा रणनीतियां रहेंगी, जबकि नीति आयोग तथा संबंधित मंत्रालय केंद्रीय स्तर पर संरचना का संचालन करेंगे। राज्य सरकारें तथा केंद्र शासित प्रदेश विजन को साकार करने तथा रणनीतियों को कार्यान्वित करने में महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन करेंगे।

Related post

यशपाल का आजादी की लड़ाई और साहित्य में योगदान

यशपाल का आजादी की लड़ाई और साहित्य में योगदान

  कल्पना पाण्डे———प्रसिद्ध हिन्दी कथाकार एवं निबंधकार यशपाल का जन्म 3 दिसम्बर 1903 को फिरोजपुर (पंजाब) में हुआ था। उनके…
साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

21 दिसंबर विश्व साड़ी दिवस सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”- आज से करीब  पांच वर्ष पूर्व महाभारत काल में हस्तिनापुर…
पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

उमेश कुमार सिंह——— गुरु गोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं। गुरु…

Leave a Reply