- February 13, 2018
निर्धन परिवार की महिलाओं के लिये आजीविका मिशन की महत्वपूर्ण भूमिका
भोपाल (अनिल वशिष्ठ)———- पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री गोपाल भार्गव ने कहा है कि ग्रामीण निर्धन परिवार की महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाने में मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की महत्वपूर्ण भूमिका है।
उक्त उद्देश्य से ग्रामीण महिलाओं को स्व-सहायता समूहों में संगठित कर प्रदेश में डेढ़ लाख से अधिक स्व-सहायता समूह बनाए गए। मंत्री श्री भार्गव ने स्व-सहायता समूहों के गठन के लिए महिला हितग्राहियों की पहचान सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण सूचकांक (SECC) से करने के निर्देश दिए है।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी मध्यप्रदेश राज्य आजीविका मिशन ने बताया है कि प्रदेश के 43 जिलों के 271 विकासखण्डों में मिशन की गतिविधियाँ संचालित की जा रही है। एक जैसी आर्थिक, सामाजिक और वैचारिक स्थिति वाली महिलाओं को समूह के रूप में संगठित कर रोजगार-मूलक गतिविधियों से जोड़ा गया है।
समूहों को तीन माह पश्चात ग्रेडिंग के आधार पर 10 से 15 हजार रूपये का रिवाल्विंग फण्ड दिया जा रहा है। वर्तमान में प्रदेश में 2 लाख 3 हजार 244 स्व-सहायता समूहों के माध्यम से 23 लाख 28 हजार ग्रामीण महिला सदस्यों को संगठित किया गया है। एक लाख 51 हजार 438 स्व-सहायता समूहों को स्व-रोजगार गतिविधियों के लिए 1910 करोड़ रूपये का ऋण बैंकों के माध्यम से मुहैया करवाया गया है।
स्व-सहायता समूहों द्वारा विभिन्न रोजगार मूलक गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। प्रदेश में 472 समूहों द्वारा उत्पादित सब्जियों के विक्रय के लिए आजीविका फ्रेश संचालित किए जा रहे है और 11 हजार 931 समूहों द्वारा वस्त्र निर्माण गतिविधियाँ संचालित की जा रही है।
159 समूहों द्वारा सेनटरी नेपकिन निर्माण इकाई स्थापित की गई हैं, 525 समूहों द्वारा अगरबत्ती उत्पादन कार्य तथा 89269 परिवारों द्वारा दुग्ध उत्पादन कार्य किया जा रहा है। डेढ़ लाख परिवार गैर कृषि आजीविका गतिविधियों में संलग्न हैं, 25 जिलों में 2877 समूहों द्वारा साबुन निर्माण, 698 समूहों द्वारा गुड़, मूंगफली, चिक्की निर्माण, 1236 समूहों द्वारा ‘हाथकरघा उद्योग संचालित किये जा रहे हैं।
प्रदेश में 37 समूह बड़ी औद्योगिक इकाईयों के सहयोगी उत्पादन पैदा कर रहे हैं। समूहों की आय का एकमुश्त अनुमान लगाया जाए तो एक लाख 43 हजार सदस्य औसतन, एक लाख रूपये से अधिक आय अर्जित कर रहे हैं।