• February 27, 2015

नियम 377 : न्यायालयों में हिन्दी भाषा में बहस का – बीकानेर सांसद श्री अर्जुन मेघवाल

नियम 377 :  न्यायालयों में हिन्दी भाषा में बहस का – बीकानेर सांसद  श्री अर्जुन मेघवाल

जयपुर – बीकानेर सांसद श्री अर्जुन मेघवाल ने लोकसभा में नियम 377 के तहत न्यायालयों में हिन्दी भाषा में बहस का मुद्दा उठाया है।

सांसद श्री मेघवाल ने बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 348 में यह प्रावधान किया गया है कि जब तक संसद द्वारा कानून बना कर अन्यथा यह प्रावधान न किया जावे तब तक उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में सभी कार्यवाहियांॅ अंग्रेजी भाषा में होगी।

श्री मेघवाल ने बताया कि देश में कई ऐसे विधि महाविद्यालय तथा विश्वविद्यायलय हैं जहां हिन्दी में विधि के छात्रों को अध्ययन कराया जाता है। उत्तरी, पश्चिमी तथा मध्य भारत के अधिकांश  विधि छात्रों की भाषा का माध्यम हिन्दी ही होता है। ऐसी परिस्थिति में जब विधि के छात्र वकील का व्यवसाय अपनाते हैं और उच्च न्यायालयों एवं उच्चतम न्यायालय में जब अपना वकील के रूप में पंजीकरण कराते हैं तो प्रैक्टिस में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है तथा प्रतिभाशाली वकील होने के बावजूद भी हीनभावना आ जाने के कारण मजबूरन निचली अदालतों में वकील का व्यवसाय करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

सांसद श्री मेघवाल ने इस सम्बन्ध में भारत के कानून मंत्री से यह मांग की तथा कहा कि उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालयों में हिन्दी भाषा के माध्यम से विधि स्नातक वकीलों को हिन्दी में बहस करने की अनुमति मिलनी चाहिए। इससे बहुत बड़े वर्ग को लाभ प्राप्त हो सकता है। न्यायाधीश द्वारा फैसला अंग्रेजी में दिया जा सकता है और सुनाया जा सकता है, लेकिन अंग्रेजी में उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में बहस की बाध्यता को खत्म करना भारत के हिन्दी भाषी क्षेत्रों के लिए एक बहुत बड़ा लाभकारी कदम सिद्घ होगा।

सांसद श्री मेघवाल ने इसके लिए  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को भी पत्र लिखा है तथा उनसे मिलकर इस विषय पर चर्चा की और बताया है कि यदि अनुच्छेद 348 में इस विषय के तहत संशोधन किया जाता है तो यह बहुत ही बड़ी उपलब्धि होगी।

Related post

जिनेवा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की 353वीं शासी निकाय की बैठक

जिनेवा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की 353वीं शासी निकाय की बैठक

 PIB Delhi ———-  अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की 353वीं शासी निकाय की बैठक 10 मार्च से 20…
स्थिरता एक साझा जिम्मेदारी है: श्री  प्रहलाद जोशी

स्थिरता एक साझा जिम्मेदारी है: श्री प्रहलाद जोशी

 पीआईबी ‌(नई दिल्ली)  उपभोक्ता  मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री, श्री…
अंतहीन संघर्ष, कोई पहचान नहीं’:  ग्रामीण स्वास्थ्य तंत्र ध्वस्त हो जाएगा

अंतहीन संघर्ष, कोई पहचान नहीं’: ग्रामीण स्वास्थ्य तंत्र ध्वस्त हो जाएगा

श्रीनगर: (कश्मीर टाइम्स)  20 साल की सेवा वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ता महमूदा कहती हैं, “अगर हम सिर्फ़…

Leave a Reply