“नमामि देवि नर्मदे”-सेवा यात्रा

“नमामि देवि नर्मदे”-सेवा यात्रा

भोपाल(सुनीता दुबे)————-केन्द्रीय जल-संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती 6 अप्रैल को नरसिंहपुर जिले के बरमान घाट और शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती 9 अप्रैल को नीमखेड़ा (हीरापुर) में जन-संवाद कार्यक्रम में भाग लेंगे। यात्रा आज 107 दिन पूरे कर 16 वें जिले रायसेन में संचालित है। यात्रा ने 3 अप्रैल तक 623 गाँव, 434 ग्राम पंचायत और 51 विकासखंड से गुजर कर 2526 किलोमीटर की दूर तय कर ली है।

शंकराचार्य ने किये पूर्व निर्धारित कार्यक्रम निरस्त

स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती द्वारा मुख्यमंत्री श्री चौहान को भेजे गये संदेश में कहा गया है कि उन्होंने नर्मदा सेवा यात्रा में आमंत्रण के चलते अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों को निरस्त करते हुए नवरात्रि महानुष्ठान निकटवर्ती परमहंसी गंगा आश्रम में ही करने का निर्णय लिया है। पत्र में कहा गया है कि नर्मदा सेवा यात्रा के नरसिंहपुर जनपद के अंतिम पड़ाव के रूप में आदि गुरु शंकराचार्य की संन्यास स्थली का चयन किये जाने से हार्दिक प्रसन्नता हुई है।

किसी मुख्यमंत्री द्वारा नर्मदा परिक्रमा की यह अभूतपूर्व घटना

पत्र में कहा गया है कि धर्मनिरपेक्ष संविधान आधारित लोकतंत्र के ज्ञात इतिहास में यह अभूतपूर्व घटना है कि किसी मुख्यमंत्री ने नर्मदा की परिक्रमा समारोहपूर्वक की हो। इस यात्रा से आपने नर्मदा को बहुत निकट से देखा है। नर्मदा की अविरल धारा नर्मदा जल प्रदूषण एवं घाटों की गरिमा के लिये की गई घोषणाएँ आपको चिर-यशस्वी बनायेंगी। घाटों से शराब की दुकानें हटाने का निर्णय इसी एक कड़ी में सम्मिलित है। नर्मदा तटद्रुमा नदी है। इसके किनारे वृक्षारोपण का अभियान चलाकर आपने नर्मदा के पौराणिक स्वरूप का संरक्षण किया है।

नर्मदा विश्व की सबसे प्राचीन नदी है। स्वयं आदि गुरु शंकराचार्य के गुरु गोविन्द भगवत्पाद नर्मदा के किनारे कब से समाधिस्थ थे, अब तक अज्ञात है। उक्त गुफा की खोज स्वामी शंकराचार्य ने की और श्रृंगेरी के शंकराचार्य ने भी इस गुफा का दर्शन कर इसे आदि गुरु का संन्यास स्थल माना।

अभ्युदय की कामना

नर्मदा सेवा यात्रा के अवसर पर आपका (मुख्यमंत्री श्री चौहान) प्राचीन गुरु गुफा दर्शनपूर्वक उत्तर तट पर नर्मदा महाआरती एवं धर्म सभा में हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन है। शंकराचार्य ने पत्र में आशा व्यक्त की है कि आप (मुख्यमंत्री) भारतीय संस्कृति जिससे जन्म लेती है ऐसी पुण्यतोया नदियों को शासकीय संरक्षण देते हुए राजधर्म का निर्वहन करते रहेंगे, इस आशा से आपके अभ्युदय की कामना करते हैं।

Related post

नेहरू से हमें जो सीखना चाहिए

नेहरू से हमें जो सीखना चाहिए

कल्पना पांडे————-इतने सालों बाद हमे शर्म से ये स्वीकार कर लेना चाहिए कि धार्मिक आडंबरों, पाखंड…
और सब बढ़िया…..!   अतुल मलिकराम (लेखक और राजनीतिक रणनीतिकार)

और सब बढ़िया…..! अतुल मलिकराम (लेखक और राजनीतिक रणनीतिकार)

अतुल मलिकराम ——– सुख और दुःख, हमारे जीवन के दो पहिये हैं, दोनों की धुरी पर…
भाग्यशाली मैं ….  – अतुल मलिकराम (लेखक और राजनीतिक रणनीतिकार)

भाग्यशाली मैं …. – अतुल मलिकराम (लेखक और राजनीतिक रणनीतिकार)

(व्यंग लेख ) अतुल मलिकराम  :-   आज कल जीवन जीने का ढंग किसी राजा महाराजा जैसा…

Leave a Reply