- August 12, 2015
देश में चावल मिलों समेत खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को ग्रांट-इन-एड
पेसूका (पंजाब सहित पूरे देश में चावल मिलों समेत खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने वर्षों से खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के प्रौद्योगिकी उन्नयन/प्रतिस्थापन/आधुनिकीकरण की योजना लागू कर रखी है। इसे बैंक/वित्तीय संस्थानों के माध्यम से 1अप्रैल, 2007 से विकेंद्रीकृत किया गया था। इस योजना के तहत पंजाब सहित पूरे देश में खाद्य प्रसंसकरण उद्योगों की स्थापना/प्रौद्योगिकी उन्नयन/आधुनिकीकरण के लिए पात्र उद्यमियो को ग्रांट-इन-एड (अर्थात् सामान्य क्षेत्रों में 50 लाख तक और कठिन क्षेत्रों में 75 लाख तक) दी गई।
01 अप्रैल, 2012 से ऊपर योजना को केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना-खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमएफपी) में सम्मिलित कर दिया गया और उसके बाद से इसे राज्य/संघशासित प्रदेश सरकारों के माध्यम से लागू किया गया। खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय मिशन और उपरोक्त योजना के इस मिशन का हिस्सा बनने के कारण इसे 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों से राज्यों को बढ़ते हुए संसाधन आवंटन को ध्यान में रखते हुए 1 अप्रैल, 2015 से इस योजना को केंद्र सरकार की सहायता से अलग कर दिया गया। वर्तमान में यह योजना राज्य/संघशासित प्रदेशों की सरकारों के नियंत्रण में है जो इसे अपने संसाधनों से चला सकते हैं। सरकार ने नाबार्ड में (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक) 2 हजार करोड़ की विशेष निधि सृजित की है जिसका उद्देश्य नामित फूड पार्कों में चावल मिलों की स्थापना सहित खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराना है। मंत्रालय ने देश में विभिन्न राज्यों में कथित उद्देश्य के लिए 142 नामित फूड पार्कों को नामित किया है। चालू वर्ष (1 अप्रैल, 2015 से 5 अगस्त, 2015 तक) देश में पहले मामलों के संबंध में प्रतिबद्ध देयता के एक हिस्से के रूप में चावल मिलों को उपलब्ध वित्तीय सहायता का ब्यौरा इस प्रकार है-
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( रूपये करोड़ में) |
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