देश को दिशा देने के लिए राष्ट्रीय लक्ष्यों का निर्धारण जरूरी

देश को दिशा देने के लिए राष्ट्रीय लक्ष्यों का निर्धारण जरूरी

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि देश को दिशा देने के लिए राष्ट्रीय लक्ष्यों का निर्धारण किया जाना चाहिए। यह लक्ष्य मिलेनियम विकास लक्ष्यों की तरह हो सकते हैं। अधोसंरचना विकास के लिए भी दीर्घकालीन लक्ष्य निर्धारित किए जाने चाहिए। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उन्हें वार्षिक लक्ष्यों में विभाजित किया जाये। हर सेक्टर अथवा विषय को पंचवर्षीय योजना में अनिवार्य रूप से ढालना आवश्यक नहीं है। लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मील के पत्थर तय किए जायें, यही हमारी प्लानिंग होगी।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने यह सुझाव आज नई दिल्ली में भारत योजना आयोग के नये स्वरूप के संबंध में चर्चा के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बुलाई गई मुख्यमंत्रियों की बैठक में दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इनोवेशन और नॉलेज हब आयोग में स्थापित नहीं किया जाना चाहिए। यह संस्था स्वतंत्र रूप से काम करे, लेकिन अपनी रिपोर्ट आयोग को दे। खुली सोच के लिए इस प्रकार की स्वतंत्रता जरूरी है। यह संस्था ही विषय-विशेषज्ञों और विचारों को अपने कार्य में साथ लेगी। नॉलेज हब राज्यों को विकास के लिए नये विचार देने के, अन्य जगहों पर किए गए अच्छे कार्यों को अभिलेखित करने और राज्यों में उन्हें लागू करने में सहयोग देने का महत्वपूर्ण कार्य कर सकती है। इससे विशेषज्ञों की सेवाओं का लाभ राज्यों को भी मिल सकेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में धन-राशि के प्रवाह का बहुत छोटा हिस्सा ब्लॉक ग्रांट के रूप में दिया जाता है। प्लान फंड राज्यों को राष्ट्रीय लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए दिया जाना चाहिए। राज्यों को उनकी प्राथमिकताएँ, राष्ट्रीय लक्ष्यों तथा उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर प्लान फंड से ज्यादा ब्लॉक ग्रांट के रूप में दिया जाना चाहिए। राज्यों की अपनी ताकत और कमजोरियाँ हैं। वे विकास की अलग-अलग अवस्थाओं में हैं और क्षेत्रवार भी उनकी विकास संबंधी आवश्यकताएँ अलग-अलग हैं। राज्यों को परिप्रेक्ष्य आधारित नियोजन के अनुसार निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ब्लॉक ग्रांट दिया जाये। इस प्रकार केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं से राज्यों को एकरूपता से धन-राशि दिये जाने की व्यवस्था में बदलाव होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आयोग में राजनीति एवं प्रशासन के जानकार व्यक्तियों की उतनी ही आवश्यकता है, जितनी विशेषज्ञों की। आयोग को रोजमर्रा के कार्यों से दूर रहना चाहिए।

दिनेश मालवीय

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