- March 2, 2017
दूसरे राज्यों से आए लोगों का -आर्थिक विकास में व्यापक योगदान – मंत्री श्री एम. वेंकैया नायडू
दिल्ली (पीआईबी)———— सरकार द्वारा गठित किये गये एक पैनल ने यह कहते हुए देश भर में दूसरे राज्यों से आए लोगों (माइग्रेंट) के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कानूनी एवं नीतिगत रूपरेखा तैयार करने की सिफारिश की है कि इस तरह के लोग आर्थिक विकास में व्यापक योगदान करते हैं। पैनल का कहना है कि इसके मद्देनजर दूसरे राज्यों से आए लोगों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने की जरूरत है।
आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2015 में गठित ‘उत्प्रवासन (माइग्रेशन) पर कार्यदल’ ने आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री श्री एम. वेंकैया नायडू के साथ विस्तृत चर्चाएं कीं। इस कार्यदल ने आज सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी।
कार्यदल ने अपनी सिफारिश में कहा है कि दूसरे राज्यों से आए लोगों की जाति आधारित गणना के लिए भारत के महापंजीयक प्रोटोकॉल में संशोधन करने की जरूरत है ताकि जिस राज्य में वे अब निवास कर रहे हैं वहां उन्हें परिचारक (अटेंडेंट) संबंधी लाभ मिल सकें। कार्यदल ने यह भी सिफारिश की है कि दूसरे राज्यों से आए लोगों को पीडीएस के अंतर-राज्य परिचालन की सुविधा प्रदान करते हुए उन राज्यों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का लाभ हासिल करने में सक्षम बनाया जाना चाहिए जहां अब वे निवास कर रहे हैं।
आवाजाही की आजादी और देश के किसी भी हिस्से में निवास करने के संवैधानिक अधिकार का उल्लेख करते हुए कार्यदल ने सुझाव दिया है कि राज्यों को स्थायी निवास की आवश्यकता समाप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि कामकाज और रोजगार के मामले में उनके साथ कोई भेदभाव नहीं हो। राज्यों से यह भी कहा जायेगा कि वे सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत वार्षिक कार्य योजनाओं में दूसरों राज्यों से आए लोगों के बच्चों को शामिल करें, ताकि शिक्षा का अधिकार उन्हें लगातार मिलता रहे।
दूसरों राज्यों से आए लोगों द्वारा वर्ष 2007-08 के दौरान अपने-अपने राज्यों में भेजे गये 50,000 करोड़ रुपये की बड़ी राशि का उल्लेख करते हुए कार्यदल ने सुझाव दिया है कि धन हस्तांतरण की लागत को कम करते हुए डाकघरों के विशाल नेटवर्क का कारगर उपयोग करने की जरूरत है, ताकि उन्हें अपने राज्य में धन भेजने के लिए अनौपचारिक उपायों का इस्तेमाल न करना पड़े।