दीवाली पर चीनी कब्जा :: शिवकाशी पर कानूनी धमाका

दीवाली पर चीनी कब्जा ::  शिवकाशी पर कानूनी धमाका

शिवकाशी चीन से अवैध आयात, कड़े होते नियमों और दीवाली के दौरान पटाखे फोडऩे पर कानूनी बाधाओं के शिकंजे में फंस गया है। चेन्नई से करीब 500 किलोमीटर दूर इस छोटे से कस्बे में और इसके आसपास करीब तीन लाख लोग तीन साल पहले पटाखे बनाते थे। चीनी कब्जा

अब उनकी संख्या घटकर 2 लाख रह गई है। तमिलनाडु फायरवक्र्स ऐंड अमोर्सेज मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के मुताबिक शिवकाशी की 888 फैक्टरियों में 150 बिकने को तैयार हैं और यह आंकड़ा अगले साल तक दोगुना हो जाएगा।

इस कस्बे में देश के 85 फीसदी पटाखों का उत्पादन होता है। एसोसिएशन के एक वरिष्ठ सदस्य के मरिप्पन ने कहा कि चीन से अवैध आयात, पटाखों के लिए कड़े नियमों और कानूनी बाधाओं के कारण शिवकाशी का 4,000 करोड़ रुपये का यह उद्योग अपना करीब आधा कारोबार खो चुका है।

एसोसिएशन ने दावा किया कि इस दीवाली के लिए उत्तर प्रदेश और पंजाब में अवैध चीनी पटाखों के 2,000 कंटेनर आ चुके हैं। सरकारी सूत्रों ने कहा कि यह माल बंदरगाहों के जरिये आ रहा है। एक अधिकारी ने कहा कि हाल में 17.4 करोड़ रुपये कीमत की एक खेप मुंबई में पकड़ी गई थी। उन्होंने कहा कि स्कैनिंग का बुनियादी ढांचा अपर्याप्त होने के कारण मुश्किल से 10 फीसदी कंटेनरों की ही जांच हो पाती है।

जंबो फायरवक्र्स के प्रबंध निदेशक राजासिंह चेल्लाधुरई ने कहा कि दीवाली से पहले के महीनों में शिवकाशी के श्रमिक 24 घंटे काम किया करते थे। आज वे केवल दिन में काम करते हैं। चीन के पटाखे शिवकाशी में बनने वाले पटाखों से 50 फीसदी सस्ते हैं।

चीन के पटाखों में पोटेशियम क्लोरेट का इस्तेमाल होता है, जो थोड़ी सी चिनगारी से फट सकते हैं। इनके खतरनाक होने के बावजूद सस्ते होने से लोग इन्हें खरीदते हैं।

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