दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने के लिए दया नहीं अवसर की आवश्यकता होती है

दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने के लिए दया नहीं अवसर की आवश्यकता होती है

दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने के लिए दया नहीं अवसर की आवश्यकता होती है। वह ईश्वर द्वारा प्रदत्त दिव्य शक्ति से पोषित होते हैं तथा अवसर के पंख मिलते ही ऊंची उड़ान भरने में सक्षम हैं। इन दिव्यांगजनों के कल्याण के लिये सरकार विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन कर रही है और इसका लाभ उन्हें समय पर मिल जाये, यह हम सबका दायित्व है।

विश्व विकलांग दिवस के अवसर पर प्रदेश के सामाजिक न्याय निःशक्तजन कल्याण मंत्री श्री प्रेम सिंह पटेल ने उक्त बातें कहीं। उन्होंने सामाजिक न्याय नि:शक्तजन कल्याण विभाग एवं आशा ग्राम ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में बड़वानी में आयोजित सामर्थ्य प्रदर्शन कार्यक्रम में कहा कि दिव्यांगजनों को अवसर प्रदान करने के लिए निजी क्षेत्र को भी आगे आकर इनको रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना चाहिये, जिससे दिव्यांगजनों का समग्र विकास सुनिश्चित हो सके।
कलेक्टर श्री शिवराज सिंह वर्मा ने दिव्यांगजनों का रजिस्ट्रेशन कराने की बात कही, जिससे कि वह पंजीकृत होकर शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ ले सकें। उन्होंने दिव्यांगजनों को वैक्सीन के दोनों डोज पूरे करने के लिए दिव्यांग मंच के माध्यम से पहल करने का आह्वान भी किया।
विश्व दिव्यांग दिवस पर कार्यक्रम में दिव्यांगजनों ने श्रीकांता विकलांग सेवा ट्रस्ट झाकर निवाली एवं आशा ग्राम ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में गोला फेंक, भाला फेंक, ट्राई साइकिल रेस, कैरम, वैशाखी दौड़ आदि खेलकूद गतिविधियों में भागीदारी कर पुरस्कार प्राप्त किए। इस दौरान दिव्यांगजनों के साथ कैरम खेलने में कैबिनेट मंत्री श्री प्रेम सिंह पटेल एवं कलेक्टर श्री शिवराज सिंह वर्मा ने भी भागीदारी की। विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेताओं को अतिथियों के द्वारा प्रशंसा पत्र एवं शील्ड प्रदान कर प्रोत्साहित किया गया।

दिव्यांग बच्चों के द्वारा मंच पर स्थानीय गीत पर नृत्य की प्रस्तुति देकर सभी उपस्थितजनों को चकित कर दिया। इस दौरान तीन दिव्यांग हितग्राहियों को ट्राईसाईकिल भी प्रदान की गई। कार्यक्रम स्थल पर जिला चिकित्सालय के मेडिकल बोर्ड द्वारा दिव्यांगजनों का स्वास्थ्य परीक्षण कर दिव्यांगता प्रमाण-पत्र बनाए गए।

Related post

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

21 दिसंबर विश्व साड़ी दिवस सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”- आज से करीब  पांच वर्ष पूर्व महाभारत काल में हस्तिनापुर…
पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

उमेश कुमार सिंह——— गुरु गोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं। गुरु…
पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

उमेश कुमार सिंह :  गुरुगोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं।…

Leave a Reply