दिल्ली के वायुदूत रखेंगे राजधानी के वायु प्रदूषण निगरानी तंत्र पर नज़र

दिल्ली के वायुदूत रखेंगे राजधानी के वायु प्रदूषण निगरानी तंत्र पर नज़र

लखनऊ (निशांत सक्सेना )—- दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर को देखते हुए इस बार दिवाली से पहले फिर से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) लागू हो गया है।
इस बीच प्रदूषण को कम करने में सरकारी कार्य योजना के कार्यान्वयन में स्वच्छ वायु मानदंडों और नियमों के उल्लंघन पर नागरिक रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों, सार्वजनिक परिवहन और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे समाधानों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए, URJA (यूनाइटेड रेसिडेंट्स जाइंट एक्शन ऑफ डेल्ही) ने आज दिल्ली के नागरिकों के साथ हुई एक बैठक में “दिल्ली के वायुदूत” नाम से एक जन भागीदारी अभियान शुरू किया। अभियान वायु प्रदूषण पर नागरिक कार्रवाई को मान्यता देगा और जागरूकता और पहल के लिए नागरिक-से-नागरिक समर्थन को सक्षम करेगा। अभियान की शुरुआत दिल्ली के 13 वायु प्रदूषण हॉटस्पॉट क्षेत्रों से होगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने व्यक्तिगत गारंटी दी थी की वो साल 2025 तक दिल्ली में वायु प्रदूषण को 2/3 तक कम कर देंगे। उस मियाद में फिलहाल 2 साल से थोड़ा अधिक समय बचा है। मगर यह लक्ष्य राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) लक्ष्य से भी बड़ा लक्ष्य है। दिल्ली के नागरिकों को अभी यह तक नहीं पता है कि उनके मुख्यमंत्री द्वारा बनाया लक्ष्य किस रोडमैप पर चल रहा है और अब तक के प्रयास किस प्रकार प्रदूषण को कम कर रहे हैं।
साल 2017-18 की तुलना में दिल्ली में 2021-22 में PM10 के स्तरों में 18.6% की कमी देखी गयी हालिया एनसीएपी रिपोर्ट के मुताबिक। मगर यह पूरी तस्वीर पेश नहीं करती है। PM10 अकेला प्रदूषक नहीं जो हमें प्रभावित करता है। दिल्ली की हवा में कई अन्य प्रदूषकों पर भी नजर रखने की जरूरत है। और वायु प्रदूषण में आई कमी के लिए नीतियों से ज़्यादा लॉकडाउन और महामारी के चलते लगे तमाम प्रतिबंध जिम्मेदार थे।
जहां एक ओर एनसीएपी का लक्ष्य 2024 तक 20-30% की कमी करना है वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री की गारंटी है कि अपने कार्यकाल के अंत तक वो 67% प्रदूषण कम कर देंगे। उनके अनुमान के अनुसार, 31% वायु प्रदूषण दिल्ली के क्षेत्र के भीतर के स्रोतों से उत्पन्न होता है जबकि शेष बाहरी स्रोतों के लिए आता है। इसका मतलब है कि सरकार को आंतरिक और बाहरी दोनों स्रोतों पर निर्णायक कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा सर्दियों के प्रदूषण के मौसम के लिए हाल ही में जारी की गई 15-सूत्रीय कार्य योजना में पड़ोसी राज्यों में फसल के पराली जलाने वाले किसानों को मुफ्त बायो-डीकंपोजर का उल्लेख है। ध्यान रहे कि आम आदमी पार्टी द्वारा शासित पंजाब में पराली का जलना अभी से तेजी से बढ़ने लगा है।
हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पराली जलाने से दिल्ली में वायु प्रदूषण केवल 3% होता है, जबकि सरकार का मानना है कि यह प्रदूषण का प्रमुख योगदानकर्ता है। इतना ही नहीं, दिल्ली का एक्यूआई दिवाली से पहले 17 अक्टूबर को 242 की पर खराब श्रेणी में पहुंच गया था।
सरकार द्वारा चिन्हित 15 बिंदुओं में से कोई भी बिंदु प्रदूषण के साल भर के स्थानीय स्रोतों को खत्म करने की बात नहीं करता है।
धूल, वाहन, कचरा और उद्योग के उद्देश्य से 4 बिंदु निगरानी टीमों की तैनाती पर ध्यान केंद्रित करते हैं मगर इससे यह सुनिश्चित नहीं होगा कि प्रदूषण में आयी कमी भविष्य में फिर कभी न पलटे। इसके अलावा, निगरानी टीमों के साथ अब तक के नागरिक अनुभव बताते हैं कि इसमें तमाम कमियां होती हैं क्योंकि इन्हें बनाने से पहले या इन्हें बनाने के दौरान नागरिक परामर्श, भागीदारी और कार्यान्वयन पारदर्शिता को प्राथमिकता नहीं दी जाती है।
सरकार द्वारा सिर्फ निगरानी, प्रतिबंधों और GRAP की मदद से प्रदूषण कम करने की रणनीति सरकार में दूरगामी सोच की कमी को दर्शाती है। जहां एक ओर गर्मी के महीनों में सर्दियों के लिए रणनीति का परीक्षण होना चाहिए, वहाँ इस साल अप्रैल में जारी ग्रीष्मकालीन कार्य योजना में ऐसा तंत्र स्थापित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया जो प्रदूषण के स्रोतों को खत्म कर सके। ग्रीष्मकालीन योजना निगरानी टीमों और अन्य उपायों पर ध्यान केंद्रित करती है जिनका निकट भविष्य में वायु प्रदूषण पर सीधा प्रभाव नहीं पड़ता है।
सरकार की ओर से गलत फोकस का एक उदाहरण ग्रीन कवर बढ़ाने के उद्देश्य से कई एक्शन पॉइंट हैं, जबकि दिल्ली में प्रदूषण हॉटस्पॉट में से एक, आरके पुरम में बिना किसी औद्योगिक गतिविधि के काफी ज़्यादा ग्रीन कवर है।
आरडब्ल्यूए और नागरिक स्वयंसेवकों की हाल ही हुई एक बैठक में, URJA ने विचार-विमर्श किया और सरकार से 2025 तक वायु प्रदूषण में 2/3 कमी को प्राप्त करने के लिए एक ब्लूप्रिंट की मांग की। ब्लूप्रिंट के साथ-साथ दिल्ली के नागरिक ग्रीन सेस फंड और अन्य बजट प्रावधानों के उपयोग में भी पारदर्शिता चाहते हैं।
क्योंकि कई सरकारी नीतियां और सार्वजनिक कार्यक्रम नियोजन के समय नागरिकों को शामिल नहीं किया जाता है, इसलिए इस चर्चा का एक मुद्दा यह भी रहा। इसी तरह, नागरिक चर्चा में जोर नीति की प्रगति, बजट उपयोग, वार्षिक लक्ष्य, और एक डिजिटल, उपयोगकर्ता के अनुकूल लोक शिकायत समाधान पर नियमित रूप से सार्वजनिक रिपोर्टिंग तंत्र, प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आदि पर भी रहा।
सरकारी कार्य योजना के कार्यान्वयन में स्वच्छ वायु मानदंडों और नियमों के उल्लंघन पर नागरिक रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों, सार्वजनिक परिवहन और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे समाधानों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए, URJA ने आज की बैठक में “दिल्ली के वायुदूत” नाम से एक जन भागीदारी वाला अभियान शुरू किया। अभियान वायु प्रदूषण पर नागरिक कार्रवाई को मान्यता देगा और जागरूकता और पहल के लिए नागरिक-से-नागरिक समर्थन को सक्षम करेगा। अभियान की शुरुआत दिल्ली के 13 वायु प्रदूषण हॉटस्पॉट क्षेत्रों से होगी।
अपनी प्रतिक्रिया देते हुए URJA के अध्यक्ष, अतुल गोयल ने कहा, “URJA दिल्ली को रहने योग्य, सांस लेने योग्य और आवागमन योग्य बनाने की अपनी मांग पर कायम है। प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों को खत्म करने के लिए व्यवस्थित दृष्टिकोण के बिना कच्ची कार्य योजनाएं दिल्ली के नागरिकों के किसी काम की नहीं हैं। सरकार द्वारा प्रदूषण में दो तिहाई कटौती का खाका दिल्ली में लाखों लोगों के लिए एक दूसरे के साथ सहयोग करने और स्वामित्व लेने की नींव रखेगा क्योंकि इससे उन्हें सरकार के दृष्टिकोण और धन के उपयोग पर भरोसा बढ़ेगा। इस दिशा में दिल्ली के वायुदूत अभियान सरकार के प्रयासों का पूरक होगा।”
इसी क्रम में वसंत कुंज आरडब्ल्यूए के वायुदूत अमित अग्रवाल ने कहा, “किसी वार्ड की सभी स्थानीय समस्याओं का प्रभावी ढंग से समाधान उस क्षेत्र के नागरिकों की भागीदारी के माध्यम से ही किया जा सकता है। इस अभियान के माध्यम से शहर के प्रत्येक नागरिक को स्थानीय क्षेत्र कार्यान्वयन एजेंसियों को जवाबदेह ठहराते हुए स्वच्छ हवा में योगदान देने के साथ-साथ अन्य नागरिकों के साथ प्रभावी रूप से समाधान अपनाने में सहयोग का निर्माण करना होगा।”

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