• March 9, 2018

दण्ड विधियां (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2018, पारित

दण्ड विधियां (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2018, पारित

जयपुर———– राज्य विधानसभा ने शुक्रवार को दण्ड विधियां (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2018 ध्वनिमत से पारित कर दिया।

गृह मंत्री श्री गुलाब चन्द कटारिया ने सदन में विधेयक प्रस्तुत किया। उन्होंने विधेयक को सदन में लाने के कारणों एवं उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए कहा कि बारह वर्ष से कम आयु की अबोध बालिकाओं के साथ बलात्कार जघन्य अपराध है जो पीड़िता के जीवन को नर्क बना देता है। ऎसा अपराध घटित होने को सुनने मात्र से रूह कांप उठती है। ऎसी बालिकाओं को बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों से संरक्षण प्रदान करने के लिए भयकारी दण्ड लगाना जरूरी है।

श्री कटारिया ने कहा कि भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में दो नई धाराएं जोड़ी गई हैं। धारा 376कक जोड़कर बारह वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के साथ बलात्कार जैसा जघन्य अपराध करने पर मृत्युदण्ड या कठोर कारावास का प्रावधान किया गया है। यह कठोर कारावास चौदह वर्ष से कम नहीं होगा जो आजीवन कारावास तक हो सकेगा।

उन्होंने बताया कि इसी प्रकार धारा 376घघ जोड़ी गई है जिसके माध्यम से बारह वर्ष से कम आयु की बालिका के साथ सामूहिक बलात्कार होने पर समूह में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को अपराध का दोषी समझा जाएगा। अपराधी को मृत्युदण्ड अथवा कठोर कारावास से दण्डित करने का प्रावधान किया गया है। कठोर कारावास की अवधि बीस वर्ष से कम नहीं होगी और जो आजीवन कारावास तक हो सकेगी। दोनों ही धाराओं में आजीवन कारावास से तात्पर्य अपराधी की मृत्यु तक कारावास से है।

गृह मंत्री श्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि राजस्थान ने इस प्रगतिशील कानून की पहल की है। इस कानून के माध्यम से समाज एवं प्रदेश की जनता को यह संदेश पहुंचाने का प्रयत्न किया गया है कि अबोध बालिका के साथ बलात्कार करने पर मृत्युदंड भी मिल सकता है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही यह कानून बनेगा, लेकिन हमने अपनी इच्छा राष्ट्रपति तक पहुंचाने का प्रयत्न किया है। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि इसके कानून बनने के बाद देश के अन्य राज्य भी इसको लेकर आगे बढ़ेंगे और स्वयं केन्द्र सरकार भी कानून में बदलाव करके कठोर कानून बना सकता है।

इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने हेतु परिचालित करने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।
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