थोक महंगाई अप्रैल में 15.08 फीसदी

थोक महंगाई अप्रैल में 15.08 फीसदी

थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति दर अप्रैल में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई क्योंकि जिंसों और सब्जियों के दाम में बहुत अधिक वृद्घि हुई है। थोक महंगाई अप्रैल में 15.08 फीसदी रही जो मौजूदा 2011-12 शृंखला में अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है।

पिछले साल अप्रैल में महंगाई दर 10.74 फीसदी थी और उस पर इतनी अधिक वृद्घि हो गई है। थोक महंगाई दर लगातार 13 महीनों से दो अंकों में बनी हुई है।

उद्योग विभाग द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि सब्जियों की महंगाई अप्रैल में बढ़कर 23.24 फीसदी रही। इससे गेहूं की कीमतों में नरमी आने के बावजूद खाद्य महंगाई 8.35 फीसदी रही। हालांकि अप्रैल में खाद्य तेल की महंगाई मार्च के मुकाबले मामूली गिरकर 15.05 फीसदी पर आ गई, लेकिन लगातार 29 महीनों से दो अंकों में बनी हुई है।

मुख्य महंगाई मामूली बढ़ोतरी के साथ चार महीने के उच्च स्तर 11.1 फीसदी पर रही। मुख्य महंगाई में अत्यधिक उतार-चढ़ाव वाली खाद्य और ईंधन महंगाई को शामिल नहीं किया जाता है। ईंधन की महंगाई आलोच्य महीने के दौरान बढ़कर 38.66 फीसदी रही, जबकि विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति बढ़कर 10.85 फीसदी पर पहुंच गई।

इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च में मुख्य अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि विनिर्माता इनपुट लागत के दबाव को ग्राहकों पर डाल रहे हैं, जिससे विनिर्मित उत्पादों में महंगाई ऊंची रही है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि यह रुझान रूस-यूक्रेन युद्ध से काफी पहले ही शुरू हो गया था, लेकिन यह इनपुट लागत में और बढ़ोतरी, खास तौर पर कच्चे तेल और कच्चे माल की लागतों में बढ़ोतरी से ज्यादा तेज हो गया। इस युद्ध के जल्द खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रह हैं, इसलिए वैश्विक आपूर्ति शृंखला में पैदा अवरोधों और अनिश्चितता का घरेलू थोक महंगाई पर दबाव बना रहेगा।’

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