तेल क्षेत्रों के उत्‍पादन साझा अनुबंधों के विस्‍तार की नीति

तेल क्षेत्रों के उत्‍पादन साझा अनुबंधों के विस्‍तार की नीति

पेसूका ————————— प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने छोटे एवं मझोले आकार के खोजे गए तेल क्षेत्रों से संबंधित उत्‍पादन हिस्‍सेदारी अनुबंधों (पीएससी) के विस्‍तारीकरण की नी‍ति को अपनी मंजूरी दे दी है। इस विस्‍तारीकरण नीति का संबंध 28 क्षेत्रों (फील्‍ड) से है।

 27 क्षेत्रों (छोटे एवं मझोले आकार के क्षेत्र) के अनुबंध वर्ष 1991 से वर्ष 1993 के बीच बोलियों के दो दौर के अंतर्गत दिए गए थे, जबकि एक क्षेत्र (पीवाई-3) के लिए बोली खोजे गए क्षेत्र के रूप में अलग से लगाई गई थी। इनमें से ज्‍यादातर क्षेत्रों में प्राप्‍य भंडार के संबंधित पीएससी की शेष अनुबंधित अवधि के अंदर हासिल होने की संभावना नहीं है।

उन विशेष क्षेत्रों में पूंजी प्रेरित बढ़ाई गई तेल रिकवरी/ बेहतर तेल रिकवरी (ईओआर/आईओआर) परियोजनाओं के माध्‍यम से हाइड्रोकार्बन की अतिरिक्‍त खोज की जा सकती है। मुनाफे की अवधि अनुबंध की चालू अवधि से अधिक होगी।

अनुबंध की विस्‍तारित अवधि में छोटे तथा मझोले तेल क्षेत्रों के लिए लाभ में सरकार का हिस्‍सा 10 प्रतिशत अधिक होगा। यह वृद्धि विस्‍तारित अवधि के दौरान किसी वर्ष में सामान्‍य अनुबंध प्रावधानों के इस्‍तेमाल से की गई गणना से अधिक है।

अनुबंध की विस्‍तारित अ‍वधि में उस समय की रॉयल्‍टी तथा उप-कर दरों पर भुगतान किया जाएगा। सभी अनुबंधकों को अपने हिस्‍से के अनुसार रॉयल्‍टी और उप-कर देने होंगे। इससे इन ब्‍लॉकों में वर्तमान रियायती व्‍यवस्‍था की तुलना में अतिरिक्‍त रॉयल्‍टी तथा उप-कर से सरकारी राजस्‍व में 2890 करोड़ रुपये आएंगे।

वित्‍तीय शर्तों के अतिरिक्‍त नीति में विस्‍तार मंजूरी के लिए पूर्व आवश्‍यकता संबंधी विस्‍तृत दिशा-निर्देश,अनुरोध मूल्‍यांकन का निर्धा‍रण, अनुरोध पर विचार करने की समय-सीमा, विस्‍तार की अवधि, पंचाट का स्‍थान आदि के बारे में व्‍यापक दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

उत्‍पादन वृद्धि

पीएससी विस्‍तार की नीति से हाइड्रोकार्बन का उत्‍पादन अधिक होगा। विस्‍तारित अवधि के दौरान मुद्रीकृत होने वाला भंडार 15.7एनएमटी तेल का तथा 20.6 एनएमटी गैस के बराबर तेल का है। इस क्षेत्र से जुड़े भंडारों से 8.25 बिलियन डॉलर (लगभग 53 हजार करोड़ रुपये) का मुद्रीकरण होगा। इन भंडारों के मुद्रीकरण के लिए 3 से 4 बिलियन डॉलर के निवेश की आवश्‍यकता होगी।

रोजगार सृजन क्षमता

इन अनुबंधों के विस्‍तार से तेल क्षेत्र में अतिरिक्‍त निवेश आएगा और इससे प्रत्‍यक्ष (क्षेत्र संचालन संबंधी) तथा अप्रत्‍यक्ष (इन क्षेत्रों से जुड़े सेवा उद्योग) रोजगार सृजन होगा।

अनुबंधों का विस्‍तार इस बात को ध्‍यान में रखते हुए होगा कि इन क्षेत्रों में वर्तमान रोजगार स्‍तर अधिक समय तक बना रहे। अभी मझोले आकार के क्षेत्रों में क्षेत्र संचालन के लिए 300 कर्मी और छोटे आकार के क्षेत्रों में 40 से 60 लोग काम कर रहे हैं।

इन क्षेत्रों में निवेश से निर्माण गतिविधि और सुविधाएं बढ़ेंगी। कुशल श्रमिकों के अतिरिक्‍त अनेक अकुशल श्रमिकों को रोजगार मिलेगा।

पारदर्शिता तथा न्‍यूनतम सरकार और अधिकतम शासन

ई तथा पी कंपनियों को शेष भंडारों के दोहन के विषय में निवेश निर्णय लेने में मदद के लिए विस्‍तार नीति मंजूर की गई है ताकि निष्‍पक्ष और पारदर्शी तरीके से विस्‍तार मंजूरी हो।

नीति में विस्‍तार की स्‍पष्‍ट शर्तें दी गई हैं ताकि देश की ऊर्जा सुरक्षा हित में तेजी से संसाधनों का उपयोग किया जा सके और निवेश के माहौल में सुधार लाया जा सके।

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