- November 16, 2014
तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन ‘जल मंथन’ – सुश्री उमा भारती
सम्मेलन का पहला दिन केंद्र सरकार द्वारा कार्यान्वित तीन मुख्य योजनाओं त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम, जल निकायों की मरम्मत, नवीकरण और सुधार तथा बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम – की विवेचना पर समर्पित रहेगा। इसके अलावा नए प्रस्ताव, जैसे कि राज्यों को जल क्षेत्र में सुधार के लिए प्रोत्साहन भारत जल संसाधन सूचना प्रणाली में सुधार और हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट III भी पेश किया जाएगा। सम्मेलन में राज्य सरकारों के संबंधित मंत्री और मुख्य सचिव शामिल होंगे, जिन्हें योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन में आने वाली समस्याओं और रुकावटों पर प्रकाश डालने का अवसर मिले।
सम्मेलन का दूसरा दिन देश में नदियों को परस्पर जोड़ने से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित होगा। इस दिन नदियों को परस्पर जोड़ने के कार्यक्रम के विभिन्न पहलुओं पर नागरिक समाज और पर्यावरण समूहों द्वारा की गई कड़ी प्रतिक्रिया पर विचार-विमर्श करने का प्रस्ताव है। यह आयोजन में इस संबंध में जताई गई चिंताओं पर विचार-विमर्श के लिए मंच उपलब्ध कराएगा।
सम्मेलन के तीसरे दिन नागरिक समाज, गैर सरकारी संस्थाओं और जल उपभोक्ता समुदायों के सदस्य जल संरक्षण और प्रबंधन के मुद्दों पर व्यापक विचार-विमर्श करेंगे। सम्मेलन में इस दिन का मुख्य केंद्र जल योजना यानी जल प्रबंधन और जल निकायों के कायाकल्प के जरिये जल सुरक्षा के मानवीय पहलू पर रहेगा।
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने जल संसाधन विकास और प्रबंधन के लिए विभिन्न हितधारकों को व्यापक परामर्श की आवश्यकता पर जोर दिया। ताकि जल संसाधन विकास के साथ पर्यावरण, वन्य जीवन और विभिन्न सामाजिक व सांस्कृतिक प्रक्रियाओं में बेहतर तालमेल हासिल किया जा सके। सम्मेलन में 300 विशेषज्ञों के भाग लेने की उम्मीद है।