- March 11, 2017
तिथिवार बीजेपी को नवसंचारसमाचार. काम का मंत्र–शैलेश कुमार , वेब संपादक
बुद्धवार 8 फ़रवरी 2017 : 12:47 अपराह्न धन्यवाद,जीत की हार्दिक शुभकामना पढ़े पत्रों में मैंने क्या लिखा था : —-
मान्यवर राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय
बीजेपी, दिल्ली
सह
मान्यवर अध्यक्ष महोदय
सह
मान्यवर , सचिव महोदय
उत्तरप्रदेश
उत्तरप्रदेश में बीजेपी ::
कल्याण सिंह – 24 जून 1991 – दिसंबर 1992
कल्याण सिंह: – 21 सितंबर 1997 – 12 नवम्बर 1999
राजनाथ सिंह – 28 अकटूबर -2000 – 8 मार्च 2002
11 मार्च 2017 को मतदाताओं ने समस्याओं के निदान हेतु पहली वार बीजेपी को पूर्ण समर्पित मत दिया है।
उत्तरप्रदेश बीजेपी को www. navsancharsamachar.com का गाइड लाइन जिसे पार्टी ने व्यर्थ नहीं गंवाया।
उत्तरप्रदेश के लिए अभी से कमर कसें। कुछ स्लोगन भेज रहा हूँ। स्लोगन प्रभावी,मारक और छोटा देना है। बिहार की तरह बार- बार स्लोगन बदलना नहीं है।-
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कमल फूल का ——-रंग भी नहीं बदलना है —– इससे बुरा सन्देश गया है और जाता है।
1. भाजपा की है पुकार : उत्तरप्रदेश में फिर नहीं अपराधी और शराबी सरकार
2. महिलाओं की एक ही नारा : अपराधी और शराबी अब नहीं दुबारा।
3. जनता की है पहली पसंद : शांति , शिक्षा, सुरक्षा और विकास भाजपा के संग
–Sat, Apr 9, 2016 at 5:45 PM
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चुनाव में बीजेपी के हर वक्तव्य का उलटा प्रचार किया जाएगा। इसलिए जो भी बयानबाजी करें , बहुत ही सोच समझकर करें। हाँ ! उत्तरप्रदेश के चुनाव में ” कमल फूल ” प्रतिक का रंग दिल्ली और बिहार की तरह बदलने से प्रतिकूल प्रभाव और ना बदले।
अगर दिल्ली से मुस्लिम सरगना “वोट एक पक्षीय का ऐलान नहीं करेगा तो वोट तीन भागों में बटेगा और अगर दिल्ली का मुर्गा बांग दिया तो मुस्लिम वोट एक पक्षीय होगा।
बीजेपी वालो को संभलकर किसी भी तत्व पर वयानबाजी करना है। चुनाव के समय सिर्फ एक प्रवक्ता हो , कोई सांसद , कोई विधायक, हिन्दू संगठन से विपरीत बयान आने से सख्त परहेज करें । नियंत्रण, पूर्णत: नियंत्रण।
हिन्दुओं का वोट कैसे मिले और मुस्लिम वोट कैसे बटें।
अपने तरीके से और कार्यकर्ताओं में पूर्ण सामंजस्य स्थापित हो , समर्पित कार्यकर्ता हो ध्यान इस बात का भी रखना है की —-उम्मीदवार जितना हो सके क्षेत्र का ही हो। टिकट वितरण ही चुनाव जीतने का सूचक है। ऐसे नहीं , जीतने की उम्मीद न हो और जातीय सन्तुष्टियों के लिए उम्मीदवार बना दिया जाय जैसे की बिहार में हुआ। जो बिहार में नीतीश कुमार और लालूयादव के लिए काम किया , उसका यही ट्रिक है ——– बीजेपी के हर वाक्य और वादा को प्रतिकूल बना कर जनता को मोड़ना। मतदाता मूर्ख है वह नकारात्मक को ज्यादा महत्व देती है।
—-Tue, May 3, 2016 at 2:13 PM
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सबसेे अहम प्रश्न है टिकटोें का वितरण। अपने तरफ अर्थात पार्टी के तरफ सेे कोई असावधानी नहीं होनी चाहिए। अर्थात – राजपूत या ब्राहमण यह वैश्य है तो टिकट दे दें। टिकट उसे ही दे जिसे समाज में छवि के आधार पर वोट लेने की भी क्षमता हो। लेकिन विपक्षीयों के उम्मीदवार को सामने रखकर। टिकट देने मेें मुस्लिमों से भी परहेज न करें।
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2014 के बाद से अब तक के चुनावी परिणाम————
कश्मीर से बंगाल तक दिल्ली , बिहार से तमिलनाडू तक राज्यविधान सभा में जिस तरह का परिणाम सामनेे आया है उस आधार पर उत्तरप्रदेश के मुस्लिम मतदाता भारतीय जनता पार्टी को वोट नहीं देने जा रहे हैं। विपक्षीयों के वोट प्रतिशत से यह सिद्ध होता है कि बीजेपी को अधिसंख्य मुुस्लिमों नेे
वोेट नहीं दिया। इसलिए बीजेपी को मुस्लिम वोट के लोभ के पचड़े में नहीं पड़ना चाहिए। मुस्लिम से संबंधित सभी विवादित कानून को दृढ़ता सेे लागू करें। जिससे की भारतीयों के दिमाग में एक शक्तिशाली व्यक्ति केे रूप में दृढ़काल तक प्रतिबिंबित होेते रहें। बीजेपी को अतिरिक्त विकल्प की तलाश करना चाहिए। …..यही सर्वविदित है।—Mon, Oct 17, 2016 at 8:17 AM
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उत्तर प्रदेश चुनाव मेें आप दो विकल्प लेें – राम मंदिर मुददा घीसा- पीटा,
प्रथम – धरातलीय मुददा – स्थानीय समस्या – अपराध (पुुलिस का अपराधीकरण),
महगी स्वास्थ्य व्यवस्था,मृत शिक्षा व्यवस्था से रोजगार के लिए भटकते दूूसरे राज्यों में युुवाओं का शोेषण।
अन्य लेकिन अति महत्वपूर्ण और ज्वलंत समस्याऐं – महिलाओं से सबंधित समस्याऐं-महिलाओं के सुरक्षा की प्राथमिकता और अन्य सुविधाऐं।
विधायक के चुनाव में स्थानीय मुददा हावी होता है इतना ही नहीं जाति, संबंधी और भावनात्मक संपर्क महत्वपूर्ण है।
दूसरा – राज्य की समस्याऐं और अंत में राष्ट्र की समस्याऐं
उत्तरप्रदेश के चुनाव में राम मंदिर मुददा घीसा- पीटा हो गया है और लोगबाग सुनते सुनते थक चुुके है। इसलिए इसे तरजीह न देकर अन्य मुददा पर हावी हों । आम जनता के लिए केंन्द्र सरकार द्वारा जो नियम और सुविधाऐें दी गई उसे सांसद और कार्यकर्ताओं द्वारा जन- जन में जाकर विश्वसनीय प्रचार कर जनता को विश्वास में लें। जिसे विपक्षीयों ने मांइड वास करने में सफल है।
—Wed, Oct 19, 2016 at 8:24 PM
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वाराणसी भाषण में निम्न गलतियां :
– मनमोहन सिंह और राहुल गाँधी का नाम लेना ।
– नोटबंदी विरोधियो की तुलना पाकिस्तानी से करना ।
– मतदाता गलत बातों को ज्यादा सुनती है।
– विंदु नंबर 2 विपक्षियो के लिए बड़ा मुद्दा जो बीजेपी पर चुनाव में भारी पर सकता है।
– ऐसी गलतियां दुहराने से बचे –Thu, Dec 22, 2016 at 5:01 PM
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Kindly keep patience for speaking,your each word is important for audience.
Keep looking of hindi web news site : www.navsancharsamachar.com-
-Mon, Jan 2, 2017 at 4:02 PM
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आप लोग धरातल से जुड़े और भावनात्मक तथ्यों का जोर-शोर से अपने भाषण और मुद्दों में उठाये। विपक्षी पार्टी के भाषणों को ही पटलवार ठीक ढंग से करने की कोशिश करे। उन्ही के मुद्दा और आरोप से उन्ही को पटके।
याद रहे कभी भी क्षेत्रीय मुदा को अनदेखा न करे उस पर कड़ी पकड़ बनावे। विधान सभा चुनाव में छोटी- छोटी मुदा को हाई लाइट करें।
धन्यवाद , जीत की हार्दिक शुभकामना
हिंदी वेब समाचार देखते रहे विज्ञापन से न सहयोग करे लेकिन कभी कभार भाषणों में नाम लेकर तो सहयोग करे। Wed, Feb 8, 2017 at 12:47 PM
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विधायक के चुनाव में घरेलू मांग ,गांव ,रास्ता , बुढ़िया पेंसन ,आवासीय प्रमाण पत्र , इंदिरा आवास , ग्रामीण सड़क , रोटी -बेटी की समस्या बहुत की मायने रखता है।
नौकरी में पक्षपात , जाति -बिरादर आदि- आदि ।
आपसी दुश्मनी में गरीबो का उत्पीड़न आदि को प्रमुखता से जनसभा में उठाये अर्थात ग्रामीण और राज्य स्तर की समस्या को हाई लाइट करे।
महिलाओं पर फोकस ज्यादा करे। पढ़ाई ,पुलिसिया बदमासी आदि ।
विपक्ष के सभी बायनो को उलटे प्रभावी ढंग से अपने पक्ष में करें
Wed, Feb 8, 2017 at 9:27 PM
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