- March 7, 2022
ताड़ी बेचने वाले नीरा बनाएंगे तो उन्हें , सीएम राहत कोष से भी अनुदान
ताड़ी के बदले नीरा बनाने वालों को मुख्यमंत्री राहत कोष से भी अनुदान दिया जाएगा। समाज सुधार अभियान के तहत रविवार को मधेपुरा पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह घोषणा की। मधेपुरा के बीएन मंडल स्टेडियम में सीएम ने मधेपुरा, सहरसा और सुपौल से आईं जीविका दीदियों को संबोधित किया। इसी के साथ समाज सुधार अभियान का यह चरण समाप्त हो गया। हालांकि पत्रकारों से बातचीत में सीएम ने साफ कहा कि समाज सुधार का अभियान आगे भी जारी रहेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ताड़ी उतारने वाले लोग यदि नीरा को अपना रहे हैं तो उन्हें सतत जीविकोपार्जन के तहत सहायता दी जा रही है। लेकिन हमने मन बना लिया है कि अगर ताड़ी बेचने वाले नीरा बनाएंगे तो उन्हें सीएम राहत कोष से भी अनुदान दिया जाएगा। नीरा बहुत ही बढ़िया चीज है। एक खास जाति के लोग ताड़ी उतारने का काम करते हैं। लोग उनको भड़काते हैं। वे कहीं और जाकर कोई और काम करते हैं। इसलिए वे नीरा बनाएं तो सरकार उनको मदद देगी।
साल 2018 में सतत जीविकोपार्जन योजना की शुरुआत की गयी थी। कोसी प्रमंडल के 1960 परिवारों को इस योजना का लाभ मिला है। शराबबंदी कानून लागू होने के पहले जो परिवार ताड़ी के व्यवसाय से जुड़े थे, उन्हें नीरा व्यवसाय से जोड़ा जा रहा है। सरकार की तरफ से इसके लिए एक लाख तक की आर्थिक मदद दी जा रही है। नीरा के लिए लोगों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
नशा मुक्ति, बाल विवाह और दहेज प्रथा उन्मूलन का अभियान जीविका दीदी की मांग पर ही शुरू की गई है। जीविका दीदियों की मांग पर पांच अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू की गई। साल 2018 की रिपोर्ट के अनुसार अब तक एक करोड़ 64 लाख लोग शराब पीना छोड़ चुके हैं। एक बार फिर सर्वे होगा ताकि पता चल सके कि कितने लोगों ने शराब पीनी छोड़ी है।
उन्होंने कहा था कि शराब पीने वाला व्यक्ति हैवान हो जाता है। जिन्होंने देश को आजाद कराया है उनकी बातों का याद रखना है। उनकी बातों को याद नहीं रखने से देश बर्बाद हो जाएगा। कुछ लोग काबिल समझते हैं। बड़े ओहदे पर रहते हैं। लेकिन राष्ट्रपिता की बात को भी नहीं मानते हैं।