• August 19, 2020

तमिलनाडु में, 20 % परिवारों के पास नल — जल जीवन मिशन समीक्षा —केंद्रीय जल शक्ति मंत्री

तमिलनाडु में, 20 % परिवारों के पास नल — जल जीवन मिशन  समीक्षा —केंद्रीय जल शक्ति मंत्री

तमिलनाडु में, 20 प्रतिशत परिवारों के पास नल कनेक्शन हैं और 100 लाख परिवारों को कार्यशील पारिवारिक नल कनेक्शन उपलब्ध कराना है
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PBI— केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये राज्य में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के संबंध में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री श्री एडाप्पडी के पालानीस्वामी के साथ समीक्षा बैठक की। जल जीवन मिशन (जेजेएम) देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार में पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए राज्यों की साझीदारी में कार्यान्वयन के अधीन है। मिशन का प्रयोजन सार्वभौमिक कवरेज अर्थात गांव के प्रत्येक परिवार को नल के पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराना है।

जल जीवन मिशन का उद्वेश्य नियमित एवं दीर्घकालिक आधार पर प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति दिन प्रति व्यक्ति 55 लीटर पानी की दर से पर्याप्त मात्रा में पीने के पानी की आश्चस्त आपूर्ति सुनिश्चित कराना है। ग्रामीण क्षेत्रों में पारिवारिक नल कनेक्शन का प्रावधान महिलाओं, विशेष रूप से लड़कियों की कड़ी मेहनत को खत्म करने में सहायक होगा। यह ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए ‘जीने की सरलता‘ में सुधार लाने में भी सहायक होगा।

तमिलनाडु राज्य के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल कनेक्शन उपलब्ध कराने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए 2024 तक 100 प्रतिशत कवरेज की योजना बना रहा है। अभी तक, तमिलनाडु में 126.89 लाख ग्रामीण परिवारों में से, 25.98 लाख (20.45 प्रतिशत) को नल कनेक्शन उपलब्ध कराया जा चुका है। पारिवारिक नल कनेक्शन के लिहाज से, राज्य संपूर्ण देश में 17वें स्थान पर है। 2020-21 में, तमिलनाडु की योजना 33.94 परिवारों को नल कनेक्शन उपलब्ध कराने की है।

केंद्रीय मंत्री की मुख्यमंत्री के साथ राज्य में मिशन की प्रगति पर विस्तृत चर्चा हुई थी। मुख्यमंत्री ने राज्य में मिशन के त्वरित कार्यान्वयन का आश्वासन दिया जिससे कि समयबद्ध तरीके से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार में नल कनेक्शन उपलब्ध कराया जा सके।

ग्रामीण नागरिकों के जीवन में सुधार लाने के लिए मिशन के महत्व पर जोर देते हुए, केंद्रीय मंत्री ने 12,523 गांवों में विद्यमान जलापूर्ति प्रणालियों के संवर्धन तथा रिट्रोफिटिंग पर जोर दिया और इस कार्य को मिशन मोड में आरंभ करने का आग्रह किया जिससे कि अगले 5-6 महीनों में इन गांवों के शेष परिवारों को नल कनेक्शन उपलब्ध हो जायें। राज्य विद्यमान पाइपयुक्त जलापूर्ति प्रणाली से 55-60 लाख परिवारों को नल कनेक्शन उपलब्ध करवा सकता है। राज्य से यह भी आग्रह किया गया कि राज्य को वर्तमान जलापूर्ति प्रणालियों की कार्यात्मकता पर फोकस करना चाहिए जिससे कि परिवारों को सेवा की प्रदायगी बाधित न हो। इसके लिए समुचित मापन एवं निगरानी प्रणाली बनाई जानी चाहिए जिससे कि जलापूर्ति की गुणवत्ता, मात्रा एवं निरंतरता की निगरानी की जा सके।

मुख्यमंत्री से नियमित रूप से कार्यक्रम की समीक्षा करने का अनुरोध किया गया जिससे कि दिसंबर, 2020 तक राज्य की 236 फ्लुराइड प्रभावित बस्तियों में पीने का सुरक्षित पानी उपलब्ध कराया जा सके। राज्य से छह जेई/एईएस प्रभावित जिलों में 2,679 गांवों को एवं रामानंतपुरम एवं विरुद्धनगर के दो आकांक्षी जिलों के 879 गांवों में सभी परिवारों को पाइपयुक्त जलापूर्ति कराने का भी आग्रह किया गया।

मंत्री श्री शेखावत ने इस लक्ष्य को अर्जित करने के लिए राज्य को सभी सहायता उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता दुहराई। जल जीवन मिशन के लिए, उपलब्ध कराये गए नल कनेक्शन एवं उपलब्ध केंद्रीय निधि तथा इसी के समान राज्य के हिस्से के उपयोग के लिहाज से आउटपुट के आधार पर भारत सरकार द्वारा फंड उपलब्ध कराये जाते हैं। जल शक्ति मंत्री ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को राज्य को ‘एक 100 प्रतिशत एफएचटीएस‘ राज्य बनाने के लिए अपना पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया।

2020-21 में, 921.99 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और राज्य के हिस्से सहित 2,108.07 करोड़ रुपये की आश्वस्त उपलब्धता है। राज्य वास्तविक एवं वित्तीय निष्पादन के आधार पर अतिरिक्त आवंटन के लिए योग्य है। चूंकि, तमिलनाडु को पीआरआई को 15वें वित आयोग के अनुदान के तहत 3,607 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और इसमें से 50 प्रतिशत अनिवार्य रूप से जलापूर्ति एवं स्वच्छता के लिए उपयोग में लाया जाना है, श्री शेखावत ने मुख्यमंत्री से इस निधि को ग्रामीण जलापूर्ति, ग्रे-वाटर ट्रीटमेंट एवं पुर्नउपयोग तथा सबसे महत्वपूर्ण यह कि आश्वस्त सेवा प्रदायगी के लिए जलापूर्ति प्रणालियों के लिए दीर्घकालिक प्रचालन और रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए उपयोग में लाने की योजना बनाने का आग्रह किया। जल स्रोतों, जलापूर्ति, ग्रे-वाटर ट्रीटमेंट एवं पुर्नउपयोग, प्रचालन एवं रखरखाव आदि को सुदृढ़ बनाने के लिए संसाधनों के न्यायोचित उपयोग द्वारा ग्राम स्तर पर मनरेगा, जेजेएम, स्वच्छ भारत मिशन (जी), जिला खनिज विकास फंड, पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) को 15वें वित आयोग के अनुदान, सीएसआर फंड आदि जैसे फंडिंग के विभिन्न स्रोतों का सही रूप से उपयोग करने पर भी जोर दिया गया।

केंद्रीय मंत्री ने ग्राम कार्य योजनाएं (वीएपी) तैयार करने एवं कम से कम 50 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी के साथ ग्राम पंचायत की एक उप-समिति के रूप में ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के गठन पर भी जोर दिया जो गांव के भीतर जलापूर्ति प्रणाली अवसंरचना के योजना निर्माण, डिजाइनिंग, कार्यान्वयन तथा प्रचालन एवं रखरखाव के लिए उत्तरदायी होगी। सभी गांवों को ग्राम कार्य योजनाएं (वीएपी) तैयार करना होगा जिनमें अनिवार्य रूप से पीने के पानी के स्रोतों, जलापूर्ति, ग्रे-वाटर प्रबंधन एवं प्रचालन तथा रखरखाव तत्व के विकास/संवर्धन शामिल होंगी। राज्य से फील्ड टेस्ट किट के उपयोग के लिए गांवों में पांच व्यक्तियों, विशेष रूप से महिलाओं का प्रशिक्षण दिए जाने का आग्रह किया गया जिससे कि स्थानीय रूप से जल की जांच की जा सके। राज्य में जल संसाधन प्रबंधन एवं कावेरी नदी में प्रदूषण की कमी से संबंधित मुद्वों पर भी विस्तार से चर्चा की गई।

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