- December 15, 2015
तटस्थता की नीति शांति, अहिंसा और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की नीति हैः उपराष्ट्रपति
उप राष्ट्रपति सचिवालय ———————— भारत के उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी ने कहा कि तटस्थता की नीति शांति अहिंसा और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की नीति है। वे तुर्कमेंनिस्तान के अश्गबात में अंतर्राष्ट्रीय तटस्थता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे जिसकी मेजबानी तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति श्री गुरबांगुली बेरदीमुहमदेव ने की तथा इस मौके पर कई महत्वपूर्ण व गणमान्य लोग उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि तटस्थता की नीति या एक राजनीतिक नियम के रूप में इसके उपयोग का विचार भारत के लिए जाना जाता है औऱ शांति, अहिंसा तथा विवादों का शांतिपूर्ण समाधान ही तटस्थता की नीति के बुनियादी मूल्य हैं। उन्होंने कहा कि गुट निरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) के समग्र दृष्टिकोण के साथ इसकी उल्लेखनीय समानताएं है क्योंकि गुट निरपेक्ष आंदोलन का मूलभत उद्देश्य भी विश्व शांति और सुरक्षा के संरक्षण का ही है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि तटस्थता की स्थिति की औपचारिक घोषणा तुर्कमेनिस्तान के लिए एक ऐतिहासिक घटना है और यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सहयोग के मौलिक सिद्धांतों का सम्मान करते हुए अपनी ही शर्तों पर विकास और प्रगति के लिए अपने रास्ते को तैयार करने के लिए मंच तैयार कर रही है।
इस तरह से इसे अपनाने के बाद से ही यह तुर्कमेनिस्तान की विदेश नीति की एक बुद्धिमत्तापूर्ण और व्यावहारिक दृष्टिकोण की आधारशिला रहा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि तुर्कमान लोगों की प्राचीन संस्कृति पर आधारित इस युवा राष्ट्र ने इस नीति से निर्देशित होते हुए खुद को एक तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में परिणित किया है जो कि यहां की राजनैतिक स्थिरता से परिलक्षित होता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि गुटनिरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक सदस्यों में से एक होने के नाते भारत ने तुर्कमेनिस्तान की तटस्थता की नीति का हमेशा समर्थन किया है और दोनो देशों ने इस क्षेत्र में सुरक्षा, स्थिरता, सतत विकास और मानवीय सहायता उपलब्ध कराने की दिशा में इस नीति के द्वारा किए गए सकारात्मक योगदान की सराहना की है।