- October 25, 2018
ढनढन ” आशा ” 6000 रुपये में टन टनाटन
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 2018-19 से 2019-20 के लिए आशा सहायिकाओं का निरीक्षण शुल्क अक्टूबर, 2018 से (नवंबर, 2018 से भुगतान) 250 रुपये प्रति दौरे से बढ़ाकर 300 रुपये प्रति दौरा करने की मंजूरी दे दी है।
आशा सहायिकाएं प्रति माह करीब 20 निरीक्षण दौरे कर सकेंगी। 1000 रुपये की प्रस्तावित वृद्धि से आशा सहायिकाओं को 5000 रुपये प्रति माह की बजाय 6000 रुपये प्रति माह मिलेंगे।
विवरणः
आशा लाभ पैकेज के तहत प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के अंतर्गत आशा सहायिकाओं का नाम दर्ज करना।
आशा सहायिकाओं को बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से निरीक्षण शुल्क अक्टूबर, 2018 से 250 रुपये प्रति दौरे से बढ़ाकर 300 रुपये प्रति दौरा कर दिया गया है।
1000 रुपये की बढ़ोतरी के साथ ही आशा सहायिकाओं को अब 5000 रुपये प्रति माह के बजाय 6000 रुपये मिलेंगे।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के वर्तमान संस्थागत तंत्र का इस्तेमाल फैसले को लागू करने के लिए किया जाएगा।
इस प्रस्ताव से 46.95 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च होने का अनुमान है, जिसमें से 15.65 करोड़ रुपये 2018-19 के दौरान (6 महीने के लिए) और 2019-20 के दौरान केन्द्रीय हिस्से के रूप में 31.30 करोड़ रुपये शामिल हैं।
लाभः
41,405 आशा सहायिकाएं।
यह लाभ 19.09.2018 को मंत्रिमंडल के फैसले में दिए गए लाभों के अतिरिक्त है।
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के अंतर्गत 10,63,670 आशा और आशा सहायिकाएं शामिल।
10,22,265 आशा को लाभ पहुंचाने के लिए 1000 रुपये प्रति माह से लेकर 2000 रुपये प्रति माह नियमित और आवर्ती प्रोत्साहनों में वृद्धि।
करीब 27,00,000 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओँ/आंगनवाड़ी सहायिकाओं के मानदेय में वृद्धि।
इसे सितंबर, 2018 में मंजूर आशा लाभ पैकेज के रूप में लागू किया जाएगा।
पृष्ठभूमिः
सहायक तंत्र के रूप में, एक आशा सहायिका 10 से 25 आशाओं में रहकर परामर्श का कार्य करती है और कामकाज की निगरानी करती है। वह सहायता नेटवर्क का एक महत्वपूर्ण सम्पर्क है। पिछले तीन वर्षों के दौरान सहायता ढांच स्थापित करने में राज्यों ने पर्याप्त प्रगति की है क्योंकि राज्य मजबूत सहायता ढांचे और एक प्रभावी आशा कार्यक्रम के बीच पारस्परिक संबंध से अवगत हो गए है। आशा सहायिकाओं का चयन आम तौर से आशा से ही किया जाता है।
आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, केरल, नगालैंड, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और संघ शासित प्रदेशों को छोड़कर सभी राज्यों ने आशा सहायिकाओं का चयन किया है। इन राज्यों में आशा को सतर्क परामर्श सहायता एएनएम द्वारा प्रदान की जाती है अथवा पश्चिम बंगाल के मामले में राज्स्थान की तरह पीएचसी स्तर पर पीएचसी निरीक्षकों अथवा ग्राम पंचायत दवारा नियुक्त निरीक्षक द्वारा प्रदान की जाती है।
आधे से अधिक राज्यों (19 में से 11) जिनमें आशा सहायिकाएं हैं, ने उनका चयन आशा समूह से किया है, बशर्ते वे चयन के सभी मानदंडों को पूरा करती हों। इन राज्यों में बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, कर्नाटक, पंजाब और सिक्किम शामिल हैं। अन्य राज्यों में आशा सहायिकाओं के चयन में आशा को प्राथमिकता दी जाती है। महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और गुजरात, गोवा में आशा नहीं है।
आशा सहायिकाएं प्रति माह 20 निरीक्षण दौरे करती है।
आशा सहायिकाओं की भूमिका इस प्रकार हैं
गांव का दौरा करना (आशा के साथ परिवारों से मिलना, सामुदायिक/वीएचएसएनसी बैठकें, गांव के स्वास्थ्य और पोषण दिवसों में भाग लेना।
महीने में एक बार क्षेत्र के सभी आशा की समूह बैठक कराना।
सबसे उपेक्षित परिवार तक पहुंचने में आशा का सक्षम बनाना।
नई आशा का चयन करना।
शिकायत निवारण की व्यवस्था करना।
मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद आशा सहायिकाओं से निरीक्षण दौरे का शुल्क बढ़ाने के संबंध में ज्ञापन मिले थे। हालांकि प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना भी आशा सहायिकाओं को प्रदान की जाती है, आशा सहायिकाएं अपना निरीक्षण शुल्क भी बढ़ाने के लिए ज्ञापन दे रही थी जिससे उन्हें बेहतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।