• November 16, 2017

‘‘डॉटर्स आर प्रीसियस’’ —–700 शिक्षण संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम

‘‘डॉटर्स आर प्रीसियस’’ —–700 शिक्षण संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम

जयपुर, 16 नवम्बर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग एवं राज्य पीसीपीएनडीटी सैल द्वारा प्रदेश में ‘डाटर्स आर प्रीसियस’ अभियान के अंतर्गत 17 नवम्बर को एक साथ सभी 33 जिलों में लगभग 700 शिक्षण संस्थानों में प्रातः 10 से 12 बजे तक राजस्थान में वृहद् स्तर पर जागरुकता कार्यक्रम आयोजित कर सवा लाख से अधिक युवाओं को बेटी बचाओ का संदेश दिया जायेगा।

अध्यक्ष राज्य समुचित प्राधिकारी पीसीपीएनडीटी एवं मिशन निदेशक श्री नवीन जैन ने बताया कि भू्रण लिंग जांच तथा कन्या भू्रण हत्या के विरूद्ध समाज को जागरूक करने के लिए एवं समाज के लोगों का विभाग से जुड़कर जागरूकता में प्रयोग करना जरूरी है और इसी उद्वेश्य से इच्छित व्यक्तियों से कार्यक्रम में जुड़ने की अपील की गई। विभिन्न चरणों में 850 से अधिक डैप रक्षकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण प्राप्त ये डैप रक्षक प्रभावी तरीके से प्रजेंटेशन, वीडियो फिल्मों के माध्यम से युवाओं को बेटी बचाओ का संदेश देंगे। देश में इस प्रकार का आयोजन पूर्व में किये जाने की जानकारी नहीं है। संभवतः यह देश का 2 घण्टे में ही सवा लाख युवाओं को एक सामाजिक कुरीति के विरूद्ध जागरूक करने का पहला प्रयास होगा।

श्री जैन ने बताया कि राजस्थान राज्य में बाल लिंगानुपात लगातार गिरने के कारण चिंताजनक स्थिति बन गयी थी। सन 1981 में बाल लिंगानुपात 1000 लड़कों पर 954 लड़कियां थी जो 30 वर्षो में गिरते हुए 2011 की जनगणना में केवल 888 रह गया। इसी बीच 1994 में पीसीपीएनडीटी अधिनियम, 1996 में इसके नियम तथा 2003 में आवश्यक संशोधन होने के उपरान्त भी कन्या भू्रण हत्या के कारण बाल लिंगानुपात में गिरावट जारी रही।

लड़कियों में 6 वर्ष तक आयु की संख्या का भारी मात्रा में गिरना यह साबित कर रहा था कि समाज में जागरूकता के साथ साथ सख्ती से कानून केे पालन की गहन आवश्यकता है। ऎसे में स्वास्थ्य विभाग के पीसीपीएनडीटी अनुभाग द्वारा बीड़ा उठाया गया।

मिशन निदेशक ने बताया कि राजस्थान देश का पहला ऎसा राज्य जहां प्रत्येक सोनोग्राफी मशीन के साथ सोनोग्राफी की फिल्म रिकार्डिग हेतु एक्टिव ट्रेकर लगाया जाना आवश्यक है। अब सोनोग्राफी केन्द्रों को मशीन पर जीपीएस लगाना भी अनिवार्य कर दिया गया है। राजस्थान देश का पहला राज्य है, जहां सभी सातों संभागों में पीसीपीएनडीटी न्यायालय कार्यरत है एवं पीसीपीएनडीटी ब्यूरो आफ इन्वेस्टीगेशन पुलिस थाना कार्यरत है। उन्होंने बताया कि मुखबिर योजना को अधिक व्यवहारिक बना कर तथा आमजन में उसका अच्छे से प्रचार कर डिकॉय ऑपरेशन की प्लानिंग की गई।

राज्य में कार्यरत निःशुल्क चिकित्सा परामर्श 104 व 108 टोल फ्री नम्बर सेवा पर कन्या भू्रण हत्या व लिंग परीक्षण की शिकायत दर्ज कराने की सुविधा उपलब्ध करवायी गयी है। इस पर आने वाली शिकायतों का त्वरित निस्तारण किया जाता है। उन्होंने बताया कि इसी के चलते वर्ष 2016 में 25 तथा 2017 में अभी तक 41 डिकॉय ऑपरेशन किये जा चुके हैं।

राजस्थान में अब तक किये गये डिकॉय ऑपरेशन के तहत 228 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वर्ष 2016 से राजस्थान में पीबीआई द्वारा सफलतापूर्वक पड़ौसी राज्यों में जाकर भी भू्रण लिंग जांच में लिप्त दलालों तथा चिकित्सकों को पकड़ा गया है। अब तक लगभग 26 अन्तरराज्यीय डिकॉय ऑपरेशन किये जा चुके हैं। न्यायपालिका से भी इस पुनीत कार्य में लगातार समन्वय रखने से बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं।

उन्होंने बताया कि गत वर्ष विभाग द्वारा यह महसूस किया गया कि कानून की पालना करने से हम बहुत सीमित रूप से ही भू्रण लिंग जांच तथा कन्या भू्रण हत्या पर अंकुश लगा सकते हैं परन्तु समाज में जागृति अभियान आयोजित करने से आमजन की मानसिकता को बदलने से आशातीत सफलता मिल सकती है। इसी भावना के मद्देनजर गत् वर्ष 23 सितम्बर को केन्द्रीय चिकित्सा राज्यमंत्री द्वारा जयपुर में आयोजित एक समारोह में डॉटर्स आर प्रीसियस कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।

यह कार्यक्रम कोई भाषण नहीं होकर आपसी संवाद के रूप में सम्पादित किया जाता है। गत 14 माह में राजस्थान के सभी जिलोें के अनेक संस्थानों में डीएपी कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया है। इस वर्ष अक्टूबर माह में यह निर्णय लिया गया कि अधिक से अधिक युवाओं तक कन्या भ्रूण हत्या के विरूद्ध आवश्यक तथ्य पहुचांने के लिए इस प्रकार के संवाद युद्व स्तर पर किये जाने आवश्यक हैं। इसलिए डीएपी रक्षक की अवधारणा पर कार्य किया गया।

श्री जैन ने बताया कि वालेंटियर्स में 70 वर्ष के सेवानिवृत प्रोफेसर से लेकर 20 वर्ष के नर्सिंग छात्र द्वारा कार्यक्रम में प्रशिक्षण लिया गया है। जिसमें उद्यमी, होटल व्यवसायी, अधिवक्ता, कॉलेज शिक्षा के लेक्चरर, चिकित्सा विभाग के नर्स से लेकर उच्च पदों पर आसीन अधिकारी तथा विभिन्न संस्थानों में अध्ययनरत छात्र/छात्राऎं भी भागीदारी कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि इस महाआयोजन के बाद राजस्थान में कन्या जन्म के प्रति सकारात्मक वातावरण तैयार होगा तथा भू्रण लिंग जांच में लिप्त समाजकंटकों पर नियंत्रण करने में मदद मिलेगी।

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