टाटा संस और भारती टेलीकॉम –सूचीबद्घ नहीं

टाटा संस और भारती टेलीकॉम –सूचीबद्घ नहीं

बिजनेस स्टंडर्ड —- ऐसी कंपनियों को जल्द ही अपने वित्तीय ब्योरे नियमित अवधि में कंपनी पंजीयक के पास जमा करने पड़ सकते हैं, जो खुद तो सूचीबद्घ नहीं हैं मगर जिनकी सहायक कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्घ हैं। टाटा संस और भारती टेलीकॉम ऐसी ही कंपनियों में शुमार हैं। यह कवायद गैर सूचीबद्घ कंपनियों के एक खास वर्ग से अधिक वित्तीय खुलासे कराने के लिए कंपनी अधिनियम के नए प्रावधान के तहत कराई जा रही है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘सूचीबद्घ कंपनियां नियमित तौर पर वित्तीय नतीजों समेत तमाम खुलासे करती रहती हैं मगर उनकी होल्डिंग कंपनी केवल सालाना वित्तीय विवरण पेश करती हैं और वह भी 18 महीने बाद करती हैं। हम सूचना से जुड़ी इस असमानता को दूर करना चाहते हैं।’

कंपनी अधिनियम संशोधन, 2020 में कंपनी मामलों के मंत्रालय ने एक नया प्रावधान धारा 129ए जोड़ा है। इसके तहत सरकार कुछ खास श्रेणियों की कंपनियों को नियमित अंतराल पर वित्तीय नतीजे तैयार करने के लिए कह सकती है। प्रावधान के अनुसार ऐसी कंपनियों को तय अवधि पूरी होने के 30 दिन के भीतर परिणाम की एक प्रति पंजीयक को देनी होगी। प्रावधान में यह भी कहा गया है कि गया है कि कंपनी को निदेशक मंडल की अनुमति लेने के बाद तय अवधि में वित्तीय नतीजों की पूरी या सीमित जांच करनी होगी।

नया प्रावधान आईएलऐंडएफएस घोटाले के बाद जोड़ा गया है ताकि वित्तीय निगरानी का दायरा बढ़ाया जा सके। हालांकि कंपनी मामलों के मंत्रालय ने अभी यह तय नहीं किया है कि किस श्रेणी की कंपनियों पर यह प्रावधान लागू होगा, लेकिन माना जा रहा है कि इन्हें वहां लागू करेंगे, जहां सार्वजनिक हित दांव पर है। मंत्रालय को यह भी तय करना है कि ऐसे वित्तीय नतीजों की घोषणा हर तिमाही कराई जाए या हर छमाही। अधिकारी ने कहा, ‘निवेशकों को समय रहते अधिक जानकारी मिलेगी, इसलिए यह कारोबार के लिए अच्छा है।’

इसके अलावा मंत्रालय का यह भी मानना है कि कंपनियों को इस श्रेणी में डालने के लिए उधारी को पैमाना बनाया जाना चाहिए। एक निश्चित स्तर तक उधारी, बैंक जमा और डिबेंचर निवेश वाली कंपनियों को नए प्रावधान के दायरे में लाया जा सकता है। इसका मतलब है कि बीमा कंपनियों, बैंकिंग कंपनियों समेत सार्वजनिक क्षेत्र के कई उपक्रमों पर भी इसका असर पड़ेगा।

इसलिए मंत्रालय गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए प्रावधान का पैमाना तैयार करने के उद्देश्य से सार्वजनिक उपक्रम विभाग और वित्तीय सेवा विभाग के साथ बातचीत कर रहा है। लेकिन विशेषज्ञों की राय है कि नियमित अंतराल पर वित्तीय ब्योरा सार्वजनिक करने का नियम सार्वजनिक हित वाली इकाइयों तक ही सीमित रहना चाहिए। दूसरी तरफ उद्योग जगत का मानना है सरकार को पहले से उपलब्ध आंकड़ों का पूरा इस्तेमाल करना चाहिए और उसके बाद ही अधिक जानकारी मांगनी चाहिए।

Related post

गुजरात के गांधीनगर में ‘शाश्वत मिथिला महोत्सव–2025’

गुजरात के गांधीनगर में ‘शाश्वत मिथिला महोत्सव–2025’

पीआईबी ———  गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज गुजरात के गांधीनगर में ‘शाश्वत…
संसद प्रश्न: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

संसद प्रश्न: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

पीआईबी दिल्ली :– भारत सरकार समुद्री जीवन संरक्षण रणनीतियों के कार्यान्वयन और निगरानी में सुधार के…
पशुपालन क्षेत्र में महिलाओं के योगदान की सराहना : सचिव श्रीमती अलका उपाध्याय

पशुपालन क्षेत्र में महिलाओं के योगदान की सराहना : सचिव श्रीमती अलका उपाध्याय

PIB Delhi——- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत…

Leave a Reply