- December 18, 2014
जैविक खेती का महत्व के प्रोत्साहन की जरूरत – श्री राधा मोहन सिंह
बैठक के दौरान ”जैविक खेती” के विषय पर प्रस्तुति देते हुए कृषि मंत्रालय में अपर सचिव ने कहा कि देश में कुल जैविक उत्पादन 1.24 मिलियन टन है, जबकि जैविक खेती के अंतर्गत कुल 0.723 मिलियन हैक्टेयर क्षेत्र प्रमाणित है। वर्तमान में 12 राज्यों में जैविक खेती हो रही है और दो पूर्वोत्तर राज्यों सिक्किम और मिजोरम के कुछ वर्षों में पूरी तरह जैविक हो जाने की सम्भावना है।
चर्चा में भाग लेते हुए सांसद श्री रोडमल नागर ने जैविक खाद/गैस बनाने के लिए गाय के गोबर और मूत्र के लिए संग्रह केंद्र सह प्रयोगशाला विकसित करने की जरूरत पर बल दिया। यह किसानों के लिए आमदनी का जरिया साबित होगी। इस सुझाव के जवाब में श्री राधा मोहन सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत किसानों की सहायता का प्रावधान है, हालांकि राज्यों को इस दिशा में पहल करनी होगी। उन्होंने बताया कि अब तक मध्यप्रदेश से एक प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि अगले वित्त वर्ष में बजट प्रावधान बढ़ाने के प्रयास किये जाएंगे।
सांसद डॉ. तपस मंडल द्वारा जैविक खेती के बारे में उठाए गए प्रश्न के जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया कि जैविक खेती का विषय कृषि मंत्रालय के दायरे में आता है जबकि जैविक खेती के उत्पादों का निर्यात वाणिज्य मंत्रालय के अधीन है।
सांसद श्री सुमेधानंद सरस्वती ने सुझाव दिया कि सरकार को गांवों में प्रदर्शनी आदि जैसे विभिन्न उपायों के माध्यम से जैविक खेती के बारे में ब्लॉक स्तर पर जागरूकता बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास करने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को प्रयोगशालाओं और जैविक खेती के उत्पादों के विपणन के बारे में भी जागरूक बनाने की आवश्यकता है। इसके जवाब में श्री राधामोहन सिंह ने मंत्रालय के अधिकारियों से जैविक खेती के 6 क्षेत्रीय केंद्रों का पूर्ण विवरण सभी सांसदों को वितरित करने को कहा ताकि वे इन केंद्रों की सेवाओं का उपयोग विशेषकर सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत चयनित गांवों के किसानों को प्रशिक्षित करने में कर सके।
श्री राधामोहन सिंह ने समिति के सदस्यों को भरोसा दिलाया कि मंत्रालय उनके जैविक खेती के प्रमाणन की प्रक्रिया के सरलीकरण, कृषि विज्ञान केंद्रों, कृषि विश्वविद्यालयों, आईसीएआर में जैविक खेती पर अनुसंधान तथा फसलों के अवशिष्ट के उचित इस्तेमाल को बढ़ावा देने जैसे उनके सुझावों पर पूरी तरह गौर किया जायेगा।
श्री राधामोहन सिंह ने इन मूल्यवान सुझावों के लिए सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया और घोषणा की कि सलाहकार समिति की अगली बैठक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के परिसर में ‘आईसीएआर’ विषय पर होगी।
बैठक में भाग लेने वाले सांसदों में श्री बी.एन. चंद्रप्पा, श्री चिंतामन नवशा वनागा, श्रीमती कमला देवी पाटले, श्री मनशंकर निनामा, कुंवर पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल, श्री राजेशभाई नारनभाई चूड़ासामा, श्री रोडमल नागर, श्री संजय हरिभाउ जाधव, कुमारी शोभा करंदलजे, श्री सुमेधानंद सरस्वती, डॉ. तपस मंडल और श्री शंकरभाई एन वेगाड शामिल हैं। इस अवसर पर सचिव, डीएसी श्री आशीष बहुगुणा और कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।