जीएसटी 1 लाख करोड़ रुपये के पार

जीएसटी 1 लाख करोड़ रुपये के पार

दिलाशा सेठ (बिजनेस स्टैंडर्ड) —– वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह नंवबर में लगातार दूसरे महीने एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। जीएसटी संग्रह के आंकड़े अर्थव्यवस्था में सुधार को दर्शाते हैं। हालांकि नवंबर महीने में जीएसटी संग्रह अक्टूबर की तुलना में थोड़ा कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि त्योहारी मांग की वजह से जीएसटी संग्रह बढ़ा है और आगे इसमें तेजी बने रहने पर संशय है।

वित्त मंत्रालय की ओर से आज जारी आंकड़ों के अनुसार नवंबर में जीएसटी संग्रह 1.04 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि अक्टूबर में 1.05 लाख करोड़ रुपये जीएसटी मिला था। यह लगातार तीसरा महीना है जब सालाना आधार पर जीएसटी संग्रह में सुधार हुआ है।

नवंबर में जीएसटी संग्रह पिछले साल की समान अविध की तुलना में 1.42 फीसदी अधिक रहा। हालांकि नवंबर में जीएसटी संग्रह मूल रूप से अक्टूबर में हुए लेनदेन का हिस्सा है, जिसमें त्याहारी मांग का असर हो सकता है। नवंबर में ई-वे बिल जेनरेशन 5.53 करोड़ रहा जो अक्टूबर के 6.41 करोड़ ई-वे बिल से कम है। इससे संकेत मिलता है कि दिसंबर में जीएसटी संग्रह में कमी आ सकती है।

इक्रा रेटिंग्स की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘मांग में निरंतरता दिसंबर में जीएसटी संग्रह के आंकड़े आने के बाद पूरी तरह स्पष्ट होंगे क्योंकि उसमें नवंबर में हुए लेनदेन का पता चलेगा।’ नायर ने कहा कि जीएसटी ई-वे बिल जेनरेशन में कमी मुख्य रूप से त्योहारों के कारण कामकाज के दिन में कमी की वजह से हो सकती है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर-नवंबर में औसत जीएसटी ई-वे बिल जेनरेशन सितंबर 2020 की तुलना में ज्यादा रहा है।

पिछले वित्त वर्ष में सात महीने जीएसटी संग्रह 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा था। नवंबर में केंद्रीय जीएसटी अक्टूबर के 44,285 करोड़ रुपये से घटकर 41,482 करोड रुपये रहा, वहीं राज्य जीएसटी संग्रह 41,826 करोड़ रुपये रहा जबकि अक्टूबर में यह 44,839 करोड़ रुपये रहा था। मुआवजा उपकर संग्रह नवंबर में जरूर थोड़ा बढ़ा है और यह इस साल सबसे अधिक 8,011 करोड़ रुपये रहा।

नवंबर महीने में कुल 81 लाख जीएसटीआर-3बी रिटर्न भरे गए जबकि अक्टूबर में 80 लाख रिटर्न भरे गए थे। सरकार ने अक्टूबर में 500 करोड़ रुपये और उससे अधिक के सालाना कारोबार वाली फर्मों के लिए ई-इन्वॉयस की व्यवस्था लागू की थी। हालांकि 1 अप्रैल, 2021 से 100 करोड़ रुपये सालाना कारोबार वाली फर्मों को भी इसके दायरे में लाया जाएगा।

पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर प्रतीक जैन ने कहा कि जीएसटी रिटर्न की संख्या बढऩा उत्साहजनक है, जिससे संकेत मिलता है कि अनुपालन स्तर बढ़ रहा है। नवंबर में आयातित वस्तुओं से होने वाली आय में 4.9 फीसदी का इजाफा हुआ है और घरेलू लेनदेन से होने वाली आय सालाना आधार पर 0.5 फीसदी बढ़ी है।

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