- June 22, 2024
जीएसटी परिषद की 53वीं बैठक: जुर्माना माफ करने की सिफारिश ,1 अप्रैल, 2025 से ‘सनसेट क्लॉज’
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में नई दिल्ली में जीएसटी परिषद की 53वीं बैठक हुई। इस बैठक में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी, गोवा और मेघालय के मुख्यमंत्री; बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश और ओडिशा के उपमुख्यमंत्री; राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (विधानसभा सहित) के वित्त मंत्रियों और वित्त मंत्रालय एवं राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।
जीएसटी परिषद ने अन्य बातों के अलावा जीएसटी दरों में परिवर्तन, व्यापार को सुविधाजनक बनाने के उपायों और जीएसटी के अनुपालन को सुव्यवस्थित करने के उपायों से संबंधित निम्नलिखित सिफारिशें कीं।
ए. जीएसटी दरों में परिवर्तन:
- वस्तुओं पर जीएसटी दरों से संबंधित सिफारिशें
ए. वस्तुओं की जीएसटी दरों में परिवर्तन
1. विमानों के पुर्जों, घटकों, परीक्षण उपकरणों, औजारों और औजार-किटों के आयात पर 5% की एक समान दर से आईजीएसटी लागू होगा, चाहे उनका एचएस वर्गीकरण कुछ भी हो, ताकि निर्दिष्ट शर्तों के अधीन एमआरओ गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके।
2. सभी दूध के डिब्बे (स्टील, लोहा और एल्युमीनियम के) चाहे उनका उपयोग कुछ भी हो, उन पर 12% जीएसटी लगेगा।
3. ‘सिकोड़ कर नालीदार बनाए गए या गैर-नालीदार कागज या पेपर-बोर्ड दोनों के कार्टन, बक्से और आवरण’ (एचएस 4819 10; 4819 20) पर जीएसटी दर 18% से घटाकर 12% की जाएगी।
4. सभी सौर कुकर, चाहे वे एकल या दोहरे ऊर्जा स्रोत उपयोगी हों, उन पर 12% जीएसटी लगेगा।
5. पोल्ट्री रखने की मशीनरी पर 12% जीएसटी लागू करने वाली मौजूदा प्रविष्टि में संशोधन करना, ताकि विशेष रूप से “पोल्ट्री रखने की मशीनरी के पुर्जे” को शामिल किया जा सके और वास्तविक व्याख्यात्मक मुद्दों के मद्देनजर पिछली प्रथा को ‘जैसा है जहां है’ के आधार पर नियमित किया जा सके।
6. यह स्पष्ट करना कि फायर वाटर स्प्रिंकलर सहित सभी प्रकार के स्प्रिंकलर पर 12% जीएसटी लगेगा और वास्तविक व्याख्यात्मक मुद्दों के मद्देनजर पिछली प्रथा को ‘जैसा है जहां है’ के आधार पर नियमित किया जाएगा।
7. रक्षा बलों के लिए निर्दिष्ट वस्तुओं के आयात पर आईजीएसटी छूट को पांच साल की अतिरिक्त अवधि के लिए, यानि 30 जून, 2029 तक बढ़ाना।
8. अफ्रीकी-एशियाई-ऑस्ट्रेलियाई मानसून विश्लेषण और भविष्यवाणी (आरएएमए) कार्यक्रम के लिए रिसर्च मूर्ड एरे के तहत आयातित अनुसंधान उपकरण/प्लवन उपकरण के आयात पर आईजीएसटी छूट को निर्दिष्ट शर्तों के अधीन बढ़ाना।
9. अधिकृत परिचालनों के लिए एसईजेड इकाईयों/डेवलपर्स द्वारा एसईजेड में आयात पर क्षतिपूर्ति उपकर से छूट दी जाएगी, 01.07.2017 से प्रभावी।
अन्य विविध परिवर्तन
10. रक्षा मंत्रालय के तहत यूनिट कैंटीन द्वारा अधिकृत ग्राहकों को वातयुक्त पेय और ऊर्जा पेय की आपूर्ति पर क्षतिपूर्ति उपकर से छूट प्रदान करना।
11. भारतीय रक्षा बलों के लिए आयातित एके-203 राइफल किट के लिए तकनीकी दस्तावेज़ों के आयात पर तदर्थ आईजीएसटी छूट प्रदान करना।
II सेवाओं पर जीएसटी दरों से संबंधित सिफारिशें
- भारतीय रेल द्वारा आम जनता को प्रदान की जाने वाली सेवाओं जैसे कि प्लेटफॉर्म टिकट की बिक्री, रिटायरिंग रूम/वेटिंग रूम की सुविधा, क्लॉक रूम सेवाएं और बैटरी से चलने वाली कार की सेवाओं को छूट देने तथा अंतर-रेलवे लेन-देन को भी छूट देने के लिए। पिछली अवधि के लिए जारी किए गए ऋण को 20.10.2023 से इस संबंध में छूट को लेकर अधिसूचना जारी होने की तिथि तक नियमित किया जाएगा।
- भारतीय रेल को विशेष प्रयोजन वाहनों (एसपीवी) द्वारा रियायत अवधि के दौरान एसपीवी द्वारा निर्मित और स्वामित्व वाली सुविधाओं का उपयोग करने तथा भारतीय रेल द्वारा एसपीवी को प्रदान की गई रखरखाव सेवाओं की अनुमति देकर भारतीय रेल को प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर जीएसटी से छूट देने के लिए। पिछली अवधि के लिए जारी किए गए ऋण को 01.07.2017 से इस संबंध में छूट को लेकर अधिसूचना जारी होने की तिथि तक की अवधि के लिए ‘जैसा है, जहां है’ के आधार पर नियमित किया जाएगा।
- आवास सेवाओं को छूट देने के लिए शीर्ष 9963 के अंतर्गत अधिसूचना संख्या 12/2017-सीटीआर 28.06.2017 में एक अलग प्रविष्टि बनाना, जिसमें प्रति व्यक्ति प्रति माह 20,000/- रुपये तक आवास की उपलब्धता शामिल है, बशर्ते कि आवास सेवा न्यूनतम 90 दिनों की निरंतर अवधि के लिए आपूर्ति की गई हो। पिछले मामलों के लिए भी इसी तरह का लाभ प्रदान करना।
सेवाओं से संबंधित अन्य परिवर्तन
- सह-बीमा प्रीमियम में बीमाधारक को लीड और सह-बीमाकर्ता द्वारा बीमा सेवा की आपूर्ति के लिए लीड बीमाकर्ता द्वारा सह-बीमाकर्ता को आवंटित सह-बीमा प्रीमियम को सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की अनुसूची III के तहत अनापूर्ति के तौर पर घोषित किया जा सकता है और पिछले मामलों को ‘जैसा है जहां है’ के आधार पर नियमित किया जा सकता है।
- बीमाकर्ता और पुनर्बीमाकर्ता के बीच कमीशन/पुनर्बीमा कमीशन के लेन-देन को सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की अनुसूची III के तहत अनापूर्ति घोषित किया जा सकता है और पिछले मामलों को ‘जैसा है जहां है’ के आधार पर नियमित किया जा सकता है।
- अधिसूचना संख्या 12/2017-सीटी (दर) दिनांक 28.06.2017 के क्रमांक 35 और 36 द्वारा कवर की गई निर्दिष्ट बीमा योजनाओं की पुनर्बीमा सेवाओं पर जीएसटी देयता को 01.07.2017 से 24.01.2018 तक की अवधि के लिए ‘जैसा है जहां है’ के आधार पर नियमित किया जा सकता है।
- बीमा योजनाओं की पुनर्बीमा सेवाओं पर जीएसटी देयता, को 01.07.2017 से 26.07.2018 तक की अवधि के लिए ‘जैसा है जहां है’ के आधार पर नियमित किया जा सकता है, जिसके लिए कुल प्रीमियम सरकार द्वारा भुगतान किया जाता है और जो अधिसूचना संख्या 12/2017-सीटीआर दिनांक 28.06.2017 के क्रमांक 40 के तहत कवर की जाती हैं।
- इस आशय का स्पष्टीकरण जारी करना कि रेट्रोसेशन ‘पुनर्बीमा का पुनर्बीमा’ है और इसलिए, क्रम संख्या 12/2017-सीटीआर दिनांक 28.06.2017 के क्रमांक 40 के तहत अधिसूचना संख्या 12/2017-सीटीआर दिनांक 28.06.2017 की धारा 36ए के अंतर्गत छूट के लिए पात्र है।
- इस आशय का स्पष्टीकरण जारी करना कि रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) द्वारा किए गए वैधानिक संग्रह जीएसटी से मुक्त हैं, क्योंकि वे संख्या 12/2017-सीटीआर दिनांक 28.06.2017 की प्रविष्टि 4 के दायरे में आते हैं।
- इस आशय का स्पष्टीकरण जारी करना कि अधिग्रहण करने वाले बैंक द्वारा अन्य हितधारकों के साथ प्रोत्साहन राशि को आगे साझा करना कर योग्य नहीं है, जहां इस तरह की प्रोत्साहन राशि को रुपे डेबिट कार्ड और कम मूल्य के भीम-यूपीआई लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन योजना के तहत स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है और भाग लेने वाले बैंकों के परामर्श से एनपीसीआई द्वारा अनुपात और तरीके से तय किया गया है।
B. व्यापार को सुविधाजनक बनाने के उपाय:
1. वित्तीय वर्ष 2017-18 से वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए धारा 73 के तहत की गई मांगों से संबंधित ब्याज या जुर्माना या दोनों की सशर्त छूट प्रदान करने हेतु सीजीएसटी अधिनियम में धारा 128 ए का समावेश: करदाताओं के सामने आने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, जीएसटी के कार्यान्वयन के प्रारंभिक वर्षों में, जीएसटी परिषद ने वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए उन मामले में सीजीएसटी अधिनियम की धारा 73 के तहत जारी मांग नोटिस के लिए ब्याज और दंड माफ करने की सिफारिश की, जहां करदाता को नोटिस में 31.03.2025 तक मांगी गई कर की पूरी राशि का भुगतान करना है। छूट में गलत रिफंड की मांग शामिल नहीं है। इसे लागू करने हेतु जीएसटी परिषद ने सीजीएसटी अधिनियम, 2017 में धारा 128ए जोड़ने की सिफारिश की है।
2. जीएसटी के तहत अपील दायर करने हेतु मौद्रिक सीमा तय करके सरकारी मुकदमेबाजी में कमी: परिषद ने मुकदमेबाजी में कमी लाने के उद्देश्य से जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विभाग द्वारा जीएसटी में अपील दायर करने हेतु कुछ बहिष्करणों के अधीन मौद्रिक सीमा निर्धारित करने की सिफारिश की। परिषद द्वारा निम्नलिखित मौद्रिक सीमाओं की सिफारिश की गई है:
जीएसटीएटी: 20 लाख रुपये
उच्च न्यायालय: 1 करोड़ रुपये
सर्वोच्च न्यायालय: 2 करोड़ रुपये
3. जीएसटी के तहत अपील दायर करने के लिए भुगतान की जाने वाली पूर्व–जमा राशि को कम करने हेतु सीजीएसटी अधिनियम की धारा 107 और धारा 112 में संशोधन: जीएसटी परिषद ने प्रत्येक नकदी प्रवाह और करदाताओं के लिए कार्यशील पूंजी में रुकावट को आसान बनाने के हेतु जीएसटी के तहत अपील दाखिल करने के लिए पूर्व–जमा की राशि को कम करने की सिफारिश की। अपीलीय प्राधिकारी के पास अपील दायर करने की अधिकतम राशि 25 करोड़ रूपये सीजीएसटी और 25 करोड़ एसजीएसटी रूपये से कम करके 20 करोड़ रुपये सीजीएसटी और 20 करोड़ एसजीएसटी रुपये कर दी गई है। इसके अलावा, अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील दायर करने के लिए पूर्व–जमा राशि को 50 करोड़ रुपये सीजीएसटी और 50 करोड़ रुपये एसजीएसटी की अधिकतम राशि के साथ 20 प्रतिशत से घटाकर अधिकतम राशि 20 करोड़ रुपये सीजीएसटी और रु. 20 करोड़ रुपये एसजीएसटी के साथ 10 प्रतिशत कर दी गई है।
4. एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) पर वस्तु एवं सेवा कर की प्रयोज्यता, जीएसटी के तहत ईएनए कराधान: जीएसटी परिषद ने अपनी 52वीं बैठक में रेक्टिफाइड स्पिरिट/एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) को मानव उपभोग के लिए अल्कोहलिक शराब के निर्माण के लिए आपूर्ति किए जाने पर जीएसटी के दायरे से स्पष्ट रूप से बाहर करने हेतु जीएसटी कानून में संशोधन करने की सिफारिश की थी। जीएसटी परिषद ने अब मानव उपभोग के लिए अल्कोहलिक शराब के निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल पर जीएसटी नहीं लगाने के लिए सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 9 की उप–धारा (1) में संशोधन की सिफारिश की है।
5. ई.सी.ओ. द्वारा उनके माध्यम से की जा रही आपूर्ति के लिए एकत्र किए जाने वाले टी.सी.एस. की दर में कमी: इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स ऑपरेटरों (ई.सी.ओ.) को सी.जी.एस.टी. कानून की धारा 52(1) के तहत शुद्ध कर योग्य आपूर्ति पर स्रोत पर एकत्रित कर (टी.सी.एस.) एकत्र करना आवश्यक है। जीएसटी परिषद ने ऐसे ई.सी.ओ. के माध्यम से आपूर्ति करने वाले आपूर्तिकर्ताओं पर वित्तीय बोझ को कम करने के लिए टी.सी.एस. दर को वर्तमान 1 प्रतिशत (0.5 प्रतिशत सी.जी.एस.टी.+ 0.5 प्रतिशत एस.जी.एस.टी./यू.टी.जी.एस.टी., या 1 प्रतिशत आई.जी.एस.टी.) से घटाकर 0.5 प्रतिशत (0.25 प्रतिशत सी.जी.एस.टी.+ 0.25 प्रतिशत एस.जी.एस.टी./यू.टी.जी.एस.टी.,या 0.5 प्रतिशत आई.जी.एस.टी.) करने की सिफारिश की है।
6. जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील दायर करने का समय: जीएसटी परिषद ने सीजीएसटी कानून, 2017 की धारा 112 में संशोधन करने की सिफारिश की है, ताकि अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष अपील दायर करने के लिए तीन महीने की अवधि की अनुमति दी जा सके, जो उक्त अधिसूचना की तारीख से पहले पारित अपील/संशोधन आदेशों के संबंध में सरकार द्वारा अधिसूचित की जाने वाली तारीख से शुरू होगी। इससे करदाताओं को लंबित मामलों में अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष अपील दायर करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा।
7. सीजीएसटी अधिनियम की धारा 16(4) की शर्त में छूट:
- जीएसटी के कार्यान्वयन के प्रारंभिक वर्षों के संबंध में, अर्थात वित्तीय वर्ष 2017-18,
2018-19, 2019-20 और 2020-21:
जीएसटी परिषद ने सिफारिश की है कि वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के लिए 30.11.2021 तक दाखिल किए गए फॉर्म जीएसटीआर 3बी में किसी भी रिटर्न के माध्यम से सीजीएसटी कानून की धारा 16(4) के तहत किसी भी चालान या डेबिट नोट के संबंध में इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने की समय सीमा 30.11.2021 मानी जा सकती है। इसके लिए, परिषद द्वारा 01.07.2017 से पूर्वव्यापी रूप से सीजीएसटी कानून की धारा 16(4) में अपेक्षित संशोधन की सिफारिश की गई है।
(ख) उन मामलों के संबंध में जहां निरस्तीकरण के बाद रिटर्न दाखिल किया गया है:
जीएसटी परिषद ने सीजीएसटी कानून की धारा 16(4) में पूर्वव्यापी संशोधन की सिफारिश की है, जो 1 जुलाई, 2017 से प्रभावी होगा, ताकि उन मामलों में सीजीएसटी कानून की धारा 16(4) के प्रावधानों में सशर्त ढील दी जा सके, जहां रिटर्न पंजीकरण रद्द करने की तारीख/पंजीकरण रद्द करने की प्रभावी तिथि से लेकर पंजीकरण रद्द करने को वापस लेने की तिथि तक निरसन के आदेश के तीस दिन के भीतर पंजीकृत व्यक्ति द्वारा दाखिल किया जाता है।
8. छोटे करदाताओं के लिए कर भुगतान की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए फॉर्म जीएसटीआर-4 में रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल से बदलकर 30 जून की गई: जीएसटी परिषद ने सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 62 के उप-नियम (1) के खंड (ii) और फॉर्म जीएसटीआर-4 में संशोधन की सिफारिश की है, ताकि छोटे करदाताओं के लिए फॉर्म जीएसटीआर-4 में रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि को वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद 30 अप्रैल से बढ़ाकर 30 जून किया जा सके। यह वित्तीय वर्ष 2024-25 के रिटर्न के लिए लागू होगा। इससे कंपोजिशन लेवी के तहत कर का भुगतान करने का विकल्प चुनने वाले करदाताओं को उक्त रिटर्न दाखिल करने के लिए अधिक समय मिलेगा।
9. सीजीएसटी कानून की धारा 50 के अंतर्गत रिटर्न दाखिल करने में देरी पर ब्याज के संबंध में सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 88बी में संशोधन, ऐसे मामलों में जहां रिटर्न दाखिल करने की नियत तिथि पर इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर (ईसीएल) में जमा धन उपलब्ध है: जीएसटी परिषद ने सीजीएसटी नियमों के नियम 88बी में संशोधन की सिफारिश की है, ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि वह राशि, जो फॉर्म जीएसटीआर-3बी में रिटर्न दाखिल करने की नियत तारीख पर इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर में उपलब्ध है, और उक्त रिटर्न दाखिल करते समय निकाली जाती है, उसे उक्त रिटर्न दाखिल करने में देरी के संबंध में सीजीएसटी कानून की धारा 50 के तहत ब्याज की गणना करते समय शामिल नहीं किया जाएगा।
10. जीएसटी कानूनों के तहत सामान्य कार्य के परिणामस्वरूप न लगाए गए या कम लगाए गए शुल्कों की वसूली न करने की शक्ति प्रदान करने के लिए सीजीएसटी कानून में धारा 11ए को सम्मिलित करना: जीएसटी परिषद ने परिषद की सिफारिशों पर सीजीएसटी कानून में एक नई धारा 11ए जोड़ने की सिफारिश की, ताकि सरकार को जीएसटी की नॉन लेवी या कम लेवी को नियमित करने की शक्ति मिल सके, जहां सामान्य व्यापार कार्य प्रणालियों के कारण कर का कम भुगतान किया जा रहा हो या भुगतान नहीं किया जा रहा हो।
11. निर्यात के बाद माल की कीमत में वृद्धि के कारण भुगतान किए गए अतिरिक्त एकीकृत कर (आईजीएसटी) की वापसी: जीएसटी परिषद ने निर्यात के बाद वस्तुओं की कीमत में वृद्धि के कारण चुकाए गए अतिरिक्त आईजीएसटी की वापसी का दावा करने के लिए एक तंत्र निर्धारित करने की सिफारिश की। इससे बड़ी संख्या में करदाताओं को सुविधा होगी, जिन्हें निर्यात के बाद वस्तुओं की कीमत में वृद्धि के कारण अतिरिक्त आईजीएसटी का भुगतान करना पड़ता है, ऐसे अतिरिक्त आईजीएसटी की वापसी का दावा करने में सुविधा होगी।
- संबंधित व्यक्ति द्वारा सेवाओं के आयात की आपूर्ति के मूल्यांकन के संबंध में स्पष्टीकरण, जहां प्राप्तकर्ता पूर्ण इनपुट टैक्स क्रेडिट के पात्र हैं: परिषद ने यह स्पष्ट करने की सिफारिश की कि ऐसे मामलों में जहां विदेशी सहयोगी संबंधित घरेलू इकाई को कुछ सेवाएं प्रदान कर रहा है, जिसके लिए उक्त संबंधित घरेलू इकाई को पूर्ण इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध है, उक्त संबंधित घरेलू इकाई द्वारा चालान में घोषित सेवाओं की ऐसी आपूर्ति का मूल्य सीजीएसटी नियमों के नियम 28(1) के दूसरे प्रावधान के अनुसार खुले बाजार मूल्य के रूप में माना जा सकता है। इसके अलावा, ऐसे मामलों में जहां प्राप्तकर्ता को पूर्ण इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध है, यदि विदेशी सहयोगी द्वारा प्रदान की गई किसी भी सेवा के संबंध में संबंधित घरेलू इकाई द्वारा चालान जारी नहीं किया जाता है, तो ऐसी सेवाओं का मूल्य शून्य घोषित किया जा सकता है, और सीजीएसटी नियमों के नियम 28(1) के दूसरे प्रावधान के अनुसार खुले बाजार मूल्य के रूप में माना जा सकता है।
- ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) के नेटवर्क में प्रयुक्त डक्ट और मैनहोल पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की उपलब्धता के संबंध में स्पष्टीकरण: परिषद ने यह स्पष्ट करने की सिफारिश की कि सीजीएसटी कानून की धारा 17 की उपधारा (5) के खंड (सी) या खंड (डी) के तहत ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) के नेटवर्क में उपयोग किए जाने वाले डक्ट और मैनहोल के संबंध में इनपुट टैक्स क्रेडिट प्रतिबंधित नहीं है।
- बैंकों द्वारा प्रदान की गई कस्टोडियल सेवाओं के लिए लागू आपूर्ति स्थान पर स्पष्टीकरण: परिषद ने यह स्पष्ट करने की सिफारिश की कि भारतीय बैंकों द्वारा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को प्रदान की जाने वाली कस्टोडियल सेवाओं की आपूर्ति का स्थान आईजीएसटी कानून, 2017 की धारा 13(2) के अनुसार निर्धारित किया जा सकता है।
- केंद्रीय वस्तु और सेवा कर (सीजीएसटी नियम), 2017 के नियम 28(2) के शामिल होने के बाद संबंधित व्यक्तियों के बीच प्रदान की गई कॉर्पोरेट गारंटी के मूल्यांकन पर स्पष्टीकरण: वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने 26.10.2023 से केंद्रीय वस्तु और सेवा कर (सीजीएसटी) विनियमों के नियम 28(2) में पूर्व प्रभावी संशोधन करने और संबंधित पक्षों के बीच कॉर्पोरेट गारंटी प्रदान करने की सेवाओं के मूल्यांकन के संबंध में विभिन्न मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए एक परिपत्र जारी करने की सिफारिश की। अन्य बातों के साथ-साथ यह भी स्पष्ट किया जा रहा है कि केंद्रीय वस्तु और सेवा कर (सीजीएसटी नियम) विनियमों के नियम 28(2) के अंतर्गत मूल्यांकन ऐसी सेवाओं के निर्यात के मामले में लागू नहीं होगा और साथ ही जहां प्राप्तकर्ता पूर्ण इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए पात्र है।
- रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) के अंतर्गत प्राप्तकर्ता द्वारा जारी किए गए चालान के संबंध में केंद्रीय वस्तु और सेवा कर (सीजीएसटी नियम) अधिनियम, 2017 की धारा 16 (4) के प्रावधानों के लागू होने के बारे में स्पष्टीकरण: परिषद ने यह स्पष्ट करने की सिफारिश की कि गैर पंजीकृत आपूर्तिकर्ताओं से प्राप्त आपूर्ति के मामले में, जहां कर का भुगतान रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) के अंतर्गत प्राप्तकर्ता द्वारा किया जाना है और चालान केवल प्राप्तकर्ता द्वारा जारी किया जाना है, केंद्रीय वस्तु और सेवा कर (सीजीएसटी नियम) अधिनियम की धारा 16 (4) के प्रावधानों के अंतर्गत इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने के लिए समय सीमा की गणना के लिए प्रासंगिक वित्तीय वर्ष, वह वित्तीय वर्ष है जिसमें प्राप्तकर्ता द्वारा चालान जारी किया गया है।
- व्यापार और कर अधिकारियों को स्पष्टता प्रदान करने और मुकदमेबाजी को कम करने के लिए निम्नलिखित मुद्दों पर स्पष्टीकरण:
i. किसी कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों को कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (ईएसओपी)/कर्मचारी स्टॉक खरीद योजना (ईएसपीपी)/प्रतिबंधित स्टॉक इकाइयाँ (आरएसयू) के रूप में प्रदान की गई प्रतिभूतियों/शेयरों की प्रतिपूर्ति की कर-देयता पर स्पष्टीकरण।
ii. जीवन बीमा सेवाओं में प्रीमियम की राशि के संबंध में इनपुट टैक्स क्रेडिट के प्रत्यावर्तन की आवश्यकता पर स्पष्टीकरण, जो केंद्रीय वस्तु और सेवा कर (सीजीएसटी) विनियमों के नियम 32(4) के अनुसार कर योग्य मूल्य में शामिल नहीं है।
iii. मोटर बीमा दावों में मलबे और क्षतिपूर्ति मूल्यों की करदेयता पर स्पष्टीकरण।
iv. निर्माताओं द्वारा अंतिम ग्राहकों को प्रदान की जाने वाली वारंटी/विस्तारित वारंटी के संबंध में स्पष्टीकरण।
v. मोटर वाहन बीमा दावों के निपटान के प्रतिपूर्ति मोड के मामले में बीमा कंपनियों द्वारा किए गए मरम्मत व्यय पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की उपलब्धता के संबंध में स्पष्टीकरण।
vi. संबंधित व्यक्ति या सामूहिक कंपनियों के बीच दिए गए ऋणों की कर-देयता पर स्पष्टीकरण।
vii. हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (एचएएम) परियोजनाओं के अंतर्गत वार्षिकी भुगतान पर आपूर्ति के समय के बारे में स्पष्टीकरण।
viii. दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम के आवंटन के संबंध में आपूर्ति के समय के बारे में स्पष्टीकरण, जहां लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क का भुगतान किस्तों में किया जाना है।
ix. गैर पंजीकृत व्यक्तियों को आपूर्ति की गई वस्तुओं की आपूर्ति के स्थान से संबंधित स्पष्टीकरण, जहां आपूर्ति की जगह का पता बिलिंग पते से अलग है।
x. बिक्री के बाद छूट के संबंध में केंद्रीय वस्तु और सेवा कर (सीजीएसटी) अधिनियम, 2017 की धारा 15(3)(बी)(ii) की शर्तों के अनुपालन के लिए आपूर्तिकर्ताओं द्वारा साक्ष्य प्रदान करने की व्यवस्था के संबंध में स्पष्टीकरण, इस आशय का कि प्राप्तकर्ता द्वारा उक्त राशि पर इनपुट टैक्स क्रेडिट को वापस कर दिया गया है।
xi. निर्दिष्ट वस्तुओं, जैसे पान मसाला, तंबाकू आदि के निर्माताओं के लिए विशेष प्रक्रिया से संबंधित विभिन्न मुद्दों के बारे में स्पष्टीकरण।
18. परिषद ने केंद्रीय वस्तु और सेवा कर (सीजीएसटी) अधिनियम की धारा 140(7) में 01.07.2017 से पूर्व प्रभावी रूप से संशोधन करने की सिफारिश की, ताकि नियत तिथि से पहले प्रदान की गई सेवाओं, और जहां चालान नियत तिथि से पहले इनपुट सेवा वितरक (आईएसडी) द्वारा प्राप्त किए गए हों, से संबंधित चालानों के संबंध में संक्रमणकालीन क्रेडिट प्रदान किया जा सके।
19. परिषद ने करदाताओं को कर अवधि के लिए फॉर्म जीएसटीआर-1 में विवरण संशोधित करने और/या उक्त कर अवधि के लिए फॉर्म जीएसटीआर-3बी में रिटर्न दाखिल करने से पहले अतिरिक्त विवरण, यदि कोई हो, घोषित करने की सुविधा प्रदान करने के लिए फॉर्म जीएसटीआर-1ए के माध्यम से एक नई वैकल्पिक सुविधा प्रदान करने की सिफारिश की है। इससे करदाताओं को उक्त कर अवधि के फॉर्म जीएसटीआर-1 में रिपोर्टिंग में छूटी हुई वर्तमान कर अवधि की आपूर्ति के किसी भी विवरण को जोड़ने या वर्तमान कर अवधि के फॉर्म जीएसटीआर-1 में पहले से घोषित किसी भी विवरण को संशोधित करने में सुविधा होगी (तिमाही करदाताओं के लिए तिमाही के पहले और दूसरे महीने के लिए आईएफएफ में घोषित किए गए विवरण, यदि कोई हो, सहित), ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि फॉर्म जीएसटीआर-3बी में सही देयता स्वतः भरी गई है।
20. काउंसिल ने सिफारिश की कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए फॉर्म जीएसटीआर–9/9ए में वार्षिक रिटर्न दाखिल करने से दो करोड़ रुपये तक के कुल वार्षिक कारोबार वाले करदाताओं को छूट दी जा सकती है।
21. सीजीएसटी अधिनियम की धारा 122(1बी) में पूर्वव्यापी प्रभाव से 01.10.2023 से संशोधन करने की सिफारिश की गई, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि उक्त दंडात्मक प्रावधान केवल उन ई–कॉमर्स ऑपरेटरों के लिए लागू है, जिन्हें सीजीएसटी अधिनियम की धारा 52 के तहत कर एकत्र करना आवश्यक है, अन्य ई–कॉमर्स ऑपरेटरों के लिए नहीं।
22. परिषद ने सीजीएसटी नियमों के नियम 142 में संशोधन करने तथा एक कैरिकुलर जारी करने की सिफारिश की, ताकि अपील दायर करने के लिए पूर्व–जमा के रूप में भुगतान की जाने वाली राशि के खिलाफ फॉर्म जीएसटी डीआरसी–03 के माध्यम से मांग के संबंध में भुगतान की गई राशि के समायोजन के लिए एक मैकेनिज्म तैयार किया जा सके।
कानून और प्रक्रिया से संबंधित अन्य उपाय
23. अखिल भारतीय स्तर पर बायोमेट्रिक आधारित आधार ऑथेंटिकेशन लागू करना: जीएसटी काउंसिल ने चरणबद्ध तरीके से अखिल भारतीय स्तर पर पंजीकरण आवेदकों के बायोमेट्रिक आधारित आधार ऑथेंटिकेशन को लागू करने की सिफारिश की है। इससे जीएसटी में पंजीकरण प्रक्रिया मजबूत होगी और फर्जी चालान के माध्यम से किए गए धोखाधड़ी वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) दावों से निपटने में मदद मिलेगी।
24. सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 73 और धारा 74 में संशोधन तथा सीजीएसटी अधिनियम में एक नई धारा 74ए को शामिल करना, ताकि धोखाधड़ी, छिपाव, जानबूझकर गलत बयानी आदि के आरोप शामिल होने या न होने पर भी मांग नोटिस और आदेश जारी करने के लिए सामान्य समय–सीमा प्रदान की जा सकेः वर्तमान में, उन मामलों में मांग नोटिस और मांग आदेश जारी करने के लिए अलग–अलग समय–सीमा है, जिनमें धोखाधड़ी, छिपाव, जानबूझकर गलत बयानी आदि के आरोप शामिल नहीं हैं, तथा उन मामलों में जहां वे आरोप शामिल हैं। उन प्रावधानों के कार्यान्वयन को सरल बनाने के लिए, जीएसटी काउंसिल ने धोखाधड़ी या जानबूझकर गलत बयान देने के आरोपों से जुड़े मामलों और धोखाधड़ी या जानबूझकर गलत बयान देने आदि के आरोपों को शामिल नहीं करने वाले मामलों में, वित्त वर्ष 2024-25 से आगे की मांगों के संबंध में मांग नोटिस और आदेश जारी करने के लिए एक सामान्य समय–सीमा प्रदान करने की सिफारिश की है। साथ ही, करदाताओं के लिए ब्याज के साथ मांगे गए कर का भुगतान करके कम जुर्माने का लाभ उठाने की समय–सीमा को 30 दिनों से बढ़ाकर 60 दिन करने की सिफारिश की गई है।
25. काउंसिल ने जीएसटी के तहत मुनाफाखोरी विरोधी के लिए एक सनसेट क्लॉज प्रदान करने और जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) की मुख्य पीठ द्वारा मुनाफाखोरी विरोधी मामलों को संभालने के लिए सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 171 और धारा 109 में संशोधन की सिफारिश की। काउंसिल ने मुनाफाखोरी विरोधी के संबंध में किसी भी नए आवेदन की प्राप्ति के लिए 01.04.2025 की सन–सेट तिथि की भी सिफारिश की है।
26. निर्यात शुल्क देय मामलों में आईजीएसटी की वापसी को कम करने के लिए आईजीएसटी अधिनियम की धारा 16 और सीजीएसटी अधिनियम की धारा 54 में संशोधन: काउंसिल ने आईजीएसटी अधिनियम की धारा 16 और सीजीएसटी अधिनियम की धारा 54 में संशोधन की सिफारिश की ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि निर्यात शुल्क के अधीन आने वाले माल के संबंध में वापसी प्रतिबंधित है, भले ही उक्त माल करों के भुगतान के बिना या करों के भुगतान के साथ निर्यात किया गया हो, और ऐसे प्रतिबंध तब भी लागू होने चाहिए, जब ऐसे माल को एसईजेड डेवलपर या एसईजेड इकाई को अधिकृत परिचालन के लिए आपूर्ति की जाती है।
27. फॉर्म जीएसटीआर–1 की तालिका 5 में बी2सी अंतर–राज्यीय आपूर्ति की चालान–वार रिपोर्टिंग की सीमा को 2.5 लाख रुपये से घटाकर 1 लाख रुपये करने की सिफारिश की गई।
28. काउंसिल ने सिफारिश की है कि पंजीकृत व्यक्तियों द्वारा दाखिल किया जाने वाला फॉर्म जीएसटीआर–7 रिटर्न, जिन्हें सीजीएसटी अधिनियम की धारा 51 के तहत स्रोत पर कर कटौती करने की आवश्यकता है, हर महीने दाखिल किया जाना चाहिए, भले ही उक्त महीने के दौरान कोई कर काटा गया हो या नहीं। यह भी सिफारिश की गई है कि शून्य फॉर्म जीएसटीआर–7 रिटर्न दाखिल करने में देरी के लिए कोई विलंब शुल्क देय नहीं हो सकता है। इसके अलावा, यह सिफारिश की गई है कि उक्त फॉर्म जीएसटीआर–7 रिटर्न में चालान–वार विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक हो सकता है।
नोट: इस विज्ञप्ति में जीएसटी काउंसिल की सिफारिशें प्रस्तुत की गई हैं, जिनमें हितधारकों की जानकारी के लिए सरल भाषा में निर्णयों के प्रमुख बिंदु शामिल हैं। इन्हें प्रासंगिक परिपत्रों/अधिसूचनाओं/कानून संशोधनों के माध्यम से प्रभावी किया जाएगा, जो अकेले ही कानून होंगे।
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