जनजातीय क्षेत्रों में तीन नए एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूल

जनजातीय क्षेत्रों में तीन नए एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूल

शिमला ——— आयुक्त एवं प्रधान सचिव जनजातीय विकास ओंकार शर्मा ने जनजातीय विकास विभाग की समीक्षा बैठक की। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों लाहौल, पांगी और भरमौर में अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए तीन नए एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूल खोले जाएंगे।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 से ज़िला किन्नौर के निचार में केवल एक एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूल क्रियाशील था। किन्नौर ज़िला में शिक्षा प्राप्त कर रहे अनुसूचित जनजाति के छात्रों के अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए भारत सरकार के अनुसूचित जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा इन तीन नए एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों के लिए 56 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। उन्होंने कहा कि इन नए स्कूलों के निर्माण के लिए पहली किश्त के रूप में 11.36 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं।

उन्होंने कहा कि मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार इन स्कूलों के प्रबंधन के लिए राज्य स्तरीय समिति का पंजीकरण किया जा रहा है और इस वर्ष से इन स्कूलों को क्रियाशील बनाने के लिए अन्य औपचारिकताओं को भी पूरा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन स्कूलों को ‘आदर्श स्कूल’ बनाने के लिए सभी प्रयास सुनिश्चित किए जा रहे हैं। सभी एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों में छठी कक्षा में दाखिला लेने की तिथि 16 जून, 2019 निर्धारित की गई है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जनजातीय उप योजना में 7100 करोड़ रुपये का 9 प्रतिशत यानि 639 करोड़ रुपये कुल राज्य योजना परिव्यय के लिए रखे गए हैं और यह धनराशि जनजातीय क्षेत्रों के लिए संबंधित विभागों द्वारा लागू करने के लिए आवंटित की गई है ताकि सरकार द्वारा तय मानदंडों के अनुरूप उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सके।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के तहत वर्ष 2019-20 के लिए क्रमशः 19 करोड़ और 24 करोड़ रुपये के आवंटन को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि वर्ष के दौरान अतिरिक्त धनराशि प्राप्त करने के लिए प्रयास किए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत 26 करोड़ रुपये (केन्द्रीय हिस्सा) का प्रस्ताव भारत सरकार के गृह मंत्रालय को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति के अनुमोदन के उपरांत प्रस्तुत किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि वन अधिकार अधिनियम-2006 के बारे में उपायुक्तों से कहा गया है कि वे अधिनियम/नियमों के प्रावधानों के अनुसार वन अधिकारों की मान्यता

और वन अधिकारों को प्रदान करने की प्रक्रिया में तेजी लाएं। उन्होंने कहा कि अधिनियम को लागू करने के लिए मण्डलीय मुख्यालयों में यूएनडीपी के सहयोग से जून माह से सभी हितधारकों और विभिन्न विभागों के सम्बन्धित अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाना प्रस्तावित है।

उन्होंने कहा कि हाल ही में विभाग के भीतर एक जनजातीय अनुसंधान संस्थान स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए मंत्रालय से विभिन्न अनुसंधान गतिविधियों के लिए जनजातीय क्षेत्र निधि प्राप्त हो गई है। उन्होंने कहा कि इस संस्थान में सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए उपयुक्त भूमि के चयन का प्रयास किया जा रहा है।

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