छोटे किसानों के लिये सहारा कर्ज माफी

छोटे किसानों के लिये सहारा कर्ज माफी

प्रदेश के छोटे किसान मानते हैं कि संकट के समय में सरकार की कर्ज माफी बहुत बड़ा सहारा साबित हुई है। कुछ किसान जय किसान फसल ऋण माफी योजना को वरदान के रूप में देखते हैं और मानते हैं कि यदि यह लागू नहीं होती, तो थोड़े से कर्ज के कारण जीवन में संकट और गहरा हो जाता।

देवास जिले के तालोद गाँव के किसान अजाब सिंह ने सहकारी समिति, जामगोद से एक लाख 60 हजार रुपये कर्ज लिया था। उन्हें चिंता थी कि कर्ज कैसे चुकेगा। इसी बीच मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कर्ज माफी योजना की शुरुआत की और पूरा कर्जा माफ हो गया।

देवास के ही हरनावदा गाँव के किसान कृपाल सिंह ने सहकारी समिति बुदलई से 78 हजार रुपये का कर्जा लिया था। उनकी फसल अच्छी नहीं हुई। वे कर्जा भी नहीं चुका पाये लेकिन ऋण माफी की योजना से कर्ज के जाल में फंसने से बच गये। सरकार ने हम संकट से ऊबार लिया।

शाजापुर जिले की बड़ोदिया तहसील के बिजाला गाँव के किसान गंगाराम ने 49 हजार रुपये का छोटा कर्जा लिया था लेकिन नहीं पटाने की चिंता बनी हुई थी। कर्जा माफ होने से वे दोबारा खेती की योजना बना रहे हैं। गंगा राम कहते हैं कि सरकार ने मुझे और मेरे परिवार को चिंता मुक्त कर दिया।

सिंगरौली जिले के रामरल्लू का एक लाख का कर्जा माफ हो गया है। इनका कहना है कि सरकार ने सही समय पर सही कदम उठाया है। मेरे जैसे लाखों किसान छोटे-छोटे कर्जे में डूबे थे और कर्जे में ही आगे की योजनाएँ बना रहे थे। वे बताते हैं कि कई किसान भाई नया कर्जा लेने की सोच रहे थे लेकिन परेशान थे कि जब तक पुराना नहीं चुकायेंगे तो नये कर्जे के लिये पात्र नहीं होंगे। अब सब खुश हैं। नये तरीके से और नये जोश के साथ खेती में लग गये हैं।

खरगोन जिले की गोगवां तहसील के बड़वाह में रहने वाले सोलंकी किसान परिवार के सदस्य पुराने कर्जे से परेशान थे। परिवार के सदस्य लखन पर एक लाख 15 हजार और दूसरे सदस्य रामचंद्र पर 88 हजार रुपये का कर्जा था।

कर्जे के साथ जीना उन्हें बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था। अच्छी खेती नहीं होने और उत्पादन कम रहने के कारण कर्जा चुकाने में भी देर हो रही थी। अब पूरा सोलंकी परिवार सरकार के कर्जा माफी के कदम की तारीफ कर रहा है। लखन का कहना है कि सरकार के इस कदम से हमारे परिवार पर आने वाला संकट टल गया है।

बैतूल जिले में मुलताई के खनूगाँव के किसान गणेश सिंह इसीलिये बेहद खुश हैं क्योंकि उनका 61 हजार रुपये का कर्जा माफ हो गया है। पास के ही मालेगाँव के किसान परमा बिहारी बताते हैं कि कर्जा तो छोटा था लेकिन दुख देने वाला था। परिवार के भरण-पोषण में पैसे खर्च हो जाने से कर्जा बना हुआ था। धीरे-धीरे 29 हजार रुपये का छोटा सा कर्जा बोझ बन गया। अब पूरी तरह से चिंता खत्‍म हो गई है।

Related post

क्या भारत एक स्वस्थ युवाओं का देश भी है?

क्या भारत एक स्वस्थ युवाओं का देश भी है?

डॉक्टर नीलम महेंद्र : वर्तमान  भारत जिसके विषय में हम गर्व से कहते हैं कि यह…
नेहरू से हमें जो सीखना चाहिए

नेहरू से हमें जो सीखना चाहिए

कल्पना पांडे————-इतने सालों बाद हमे शर्म से ये स्वीकार कर लेना चाहिए कि धार्मिक आडंबरों, पाखंड…
और सब बढ़िया…..!   अतुल मलिकराम (लेखक और राजनीतिक रणनीतिकार)

और सब बढ़िया…..! अतुल मलिकराम (लेखक और राजनीतिक रणनीतिकार)

अतुल मलिकराम ——– सुख और दुःख, हमारे जीवन के दो पहिये हैं, दोनों की धुरी पर…

Leave a Reply