छोटे और मझौले शहरों को स्मार्ट सिटी बनाएगा

छोटे और मझौले शहरों को स्मार्ट सिटी बनाएगा

मध्यप्रदेश अपने छोटे और मझौले शहरों को स्मार्ट सिटी बनाएगा। ये शहर केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश के लिए घोषित सात स्मार्ट सिटी के अलावा होंगे। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के छोटे-मझौले शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए मापदंड निर्धारित किये जाये। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज यहाँ नगरीय विकास ण्वं पर्यावरण विभाग की बैठक ले रहे थे। बैठक में मुख्य सचिव श्री अंटोनी डिसा भी उपस्थित थे।

प्रदेश का जो शहर निर्धारित मापदंडों पर खरा उतरेगा, उसका चयन स्मार्ट सिटी के रूप में किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि इससे व्यवस्था सुधार के लिए प्रदेश के शहरों में स्पर्धा होगी। सुव्यवस्थित शहरों के लिए मापदंड बनाए जायेंगे। बताया गया कि स्मार्ट सिटी के लिए जल आपूर्ति, विद्युत आपूर्ति, सफाई, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, सार्वजनिक परिवहन, गरीबों के आवास, आई.टी. कनेक्टिविटी, ई-गवर्नेंस, स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे मापदंड रहेंगे।

केन्द्र सरकार के मापदंडों के अनुसार प्रदेश के सात शहर का चयन दो चरण में प्रतियोगिता के आधार पर किया जाएगा। केन्द्र सरकार द्वारा प्रत्येक स्मार्ट सिटी को 5 वर्ष के लिए प्रतिवर्ष 100 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाये जायेंगे। प्रत्येक स्मार्ट सिटी का स्मार्ट सिटी प्लान तैयार किया जाएगा। प्रत्येक शहर के लिए विशेष प्रयोजन साधन (एसपीवी) कंपनी अधिनियम के तहत गठित की जाएगी, जो समय-सीमा में परियोजनाएँ पूरी करवाएगी। केन्द्रीय मापदंडों के अनुरूप ही प्रदेश के छोटे-मझौले शहरों के लिए स्मार्ट सिटी के मापदंड तय किए जायेंगे।

वर्ष 2022 तक सबके लिए आवास

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि सबके लिए आवास के तहत वर्ष 2022 तक प्रदेश के सभी 378 शहरों में सबको आवास उपलब्ध करवाने के लिए वर्षवार रोडमेप बनाए। सबके लिए आवास के उद्देश्‍य से प्रधानमंत्री आवास योजना लागू की गई है। इसके तहत योजना में आवास उपलब्ध कराने के लिए चार घटक हैं। इसमें तीन लाख से अधिक जनसंख्या तथा तीन लाख से कम जनसंख्या वाले शहरों के लिए आवासीय इकाई की योजना तैयार की गई है।

तीन लाख से कम आबादी वाले शहरों में हितग्राही स्वयं की भूमि पर आवास बना सकता है। योजना के पहले चरण में प्रदेश के भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, देवास, विदिशा, उज्जैन, रतलाम, खण्डवा, बुरहानपुर, कटनी, रीवा, सतना, सिंगरौली, छिंदवाड़ा, नीमच, राजगढ़, खुरई, पथरिया और मुरैना को शामिल किया गया है। दूसरे चरण में प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय और नगर पालिकाएँ तथा तीसरे चरण में सभी नगरीय निकाय को शामिल किया जाएगा।

बैठक में अटल मिशन फॉर रिज्यूविनेशन एण्ड अर्बन ट्रान्सफार्मेशन (अमृत) की समीक्षा भी की गई। बताया गया कि केन्द्र सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना में प्रदेश के एक लाख से अधिक आबादी वाले 33 शहर को शामिल किया गया है। इनमें योजना के तहत जल-आपूर्ति, सीवरेज सुविधाएँ, बाढ़ को कम करने वाले वर्षा जल नालों का निर्माण, सार्वजनिक परिवहन सुविधाएँ, हरित-स्थलों और पार्कों के निर्माण पर ध्यान दिया जाएगा।

वर्ष 2018 तक प्रदेश के हर घर में स्वच्छ शौचालय

स्वच्छ भारत मिशन की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वर्ष 2018 तक प्रदेश के हर घर में शौचालय निर्माण करवाया जाए। हितग्राहियों को चिन्हित करने के लिए सर्वे किया जाए। इसमें आने वाले पाँच साल में बढ़ने वाले परिवारों की संख्या को भी शामिल किया जाए। बताया गया कि इस मिशन के तहत प्रदेश में पाँच वर्ष में करीब 11 लाख 22 हजार व्यक्तिगत स्वच्छ शौचालय का निर्माण किया जाएगा। सभी नगरीय निकायों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था की जाएगी। प्रदेश में शहरी विकास की परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए मध्यप्रदेश अर्बन डेवलपमेंट कंपनी गठित की
गई है।

बैठक में अपर मुख्य सचिव वित्त श्री अजय नाथ, प्रमुख सचिव नगरीय विकास और पर्यावरण श्री मलय श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के सचिव श्री विवेक अग्रवाल सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

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