चीनी मिलों को सीएनजी बायोगैस संयत्र स्थापित करने की अनुमति

चीनी मिलों को सीएनजी बायोगैस संयत्र स्थापित करने की अनुमति

सोलापुर : केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को सीएनजी बायोगैस संयत्र स्थापित करने की अनुमति देने का अहम फैसला लिया है, ताकि मिलों को केवल चीनी और उप-उत्पादों पर निर्भर रहना न पड़ सके।केंद्र सरकार ने परियोजना के निर्माण के लिए दो वर्षों में लगभग 2 लाख करोड़ रूपयें का निवेश करने का साहसिक निर्णय लिया है।

केंद्र के इस फैसले से राज्य के चीनी उद्योग को काफी फायदा होगा।पिछले कुछ सालों से देश में चीनी और गन्ने का अधिशेष उत्पादन होता है, जो चीनी उद्योग के परेशानी का सबब बना हुआ है।वर्तमान में, देश को 265 लाख टन चीनी की जरूरत है, और इस साल लगभग 325 लाख टन चीनी का उत्पादन होने की संभावना है।जिसके चलते अधिशेष चीनी की समस्या निर्माण हो सकती है।

चीनी मिलों की इस समस्या को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार ने 60 लाख टन चीनी निर्यात करने के लिए सब्सिडी देने का ऐलान किया है।चीनी मिलों का राजस्व बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने अब सीएनजी बायोगैस संयत्र स्थापित करने की अनुमति दी है।केंद्र सरकार के इस फैसले से राज्य के 35 लाख और देशभर के 5 करोड़ गन्ना किसानों को बड़ा फायदा होगा।

************************************
सोलापुर :चीनी की उत्पादन लागत जादा और चीनी की बिक्री कीमत कम होने से मिलें घाटे में है।इस वक़्त मिलों को चीनी बिक्री में प्रति क्विंटल 450 रुपयों का नुकसान उठाना पड़ रहा है।परिणामस्वरूप, पिछलें सात -आठ वर्षों में कई मिलों को 50 -60 करोड़ का नुकसान हुआ है।

कुछ मिलों को 100 करोड़ से जादा घाटा हुआ है।मिलों को भारी वित्तीय कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है।दी सासवड माली चीनी मिल के प्रबंध निदेशक राजेन्द्र गिरमे ने मांग की है की, चीनी उद्योग को बचाने के लिए चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य 3500 रूपयें तय करना चाहिए।

इस अवसर पर निदेशक सतीश गिरमे, विजयकांत कुदले, अरविंद जाधव उपस्थित थे।राजेन्द्र गिरमे ने कहा की, चीनी की उत्पादन लागत 3500-3600 रूपयें प्रति क्विंटल है, और केंद्र द्वारा निर्धारित एमएसपी 3100 रूपयें प्रति क्विंटल है।नतीजन, मिलों को प्रति क्विंटल 450 रुपयों का नुकसान हो रहा है।

Related post

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

उमेश कुमार सिंह :  गुरुगोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं।…
जलवायु परिवर्तन: IPBES का ‘नेक्सस असेसमेंट’: भारत के लिए एक सबक

जलवायु परिवर्तन: IPBES का ‘नेक्सस असेसमेंट’: भारत के लिए एक सबक

लखनउ (निशांत सक्सेना) : वर्तमान में दुनिया जिन संकटों का सामना कर रही है—जैसे जैव विविधता का…
मायोट में तीन-चौथाई से अधिक लोग फ्रांसीसी गरीबी रेखा से नीचे

मायोट में तीन-चौथाई से अधिक लोग फ्रांसीसी गरीबी रेखा से नीचे

पेरिस/मोरोनी, (रायटर) – एक वरिष्ठ स्थानीय फ्रांसीसी अधिकारी ने  कहा फ्रांसीसी हिंद महासागर के द्वीपसमूह मायोट…

Leave a Reply