चीनी उद्योग को बायप्रोडक्ट्स पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह—-NCP प्रमुख शरद पवार

चीनी उद्योग को बायप्रोडक्ट्स पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह—-NCP प्रमुख शरद पवार

मुंबई: NCP प्रमुख, पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने चीनी उद्योग से आग्रह किया है कि, वह अपने बायप्रोडक्ट जैसे कि इथेनॉल और मोलासेस उत्पादन पर अधिक से अधिक ध्यान दें ताकि ससटेनेबल एनर्जी पैदा की जा सके। उन्होंने कहा की, यह समय है जब हम चीनी से इसके उपोत्पादों में स्थानांतरित हो जाए। गन्ने के रस से हम इथेनॉल और मोलासेस बना सकते हैं, जिसे सीएनजी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

वाई बी चव्हाण केंद्र में कृषि, अन्नासाहेब शिंदे की जन्म शताब्दी के अवसर पर आयोजित एक सम्मेलन को पवार संबोधित कर रहे थे। पवार ने कहा कि, देश के भंडारगृहों में चीनी के पर्याप्त भंडार के चलते चीनी क्षेत्र में बदलाव के बारे में सोचना आवश्यक है। पवार ने कहा कि, केंद्र सरकार को नई दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के प्रति संवेदनशीलता के साथ व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने कहा, सत्ता में बैठे लोगों को यह देखना चाहिए कि ठंड से जूझ रहे और कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान कभी भी गलत कदम नही उठाएंगे।

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नई दिल्ली: पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष (अक्टूबर 2020 से सितंबर 2021 तक ) उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक यह तीन प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य, इथेनॉल उत्पादन के लिए अधिक मात्रा में चीनी का इस्तेमाल करने की उम्मीद है।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि, उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों का अनुमान है कि इस सीजन में 2019-2020 के 3.74 लाख टन के मुकाबले इथेनॉल उत्पादन के लिए बी हैवी मोलासेस और गन्ने के रस के माध्यम से 6.74 लाख टन चीनी डायवर्ट की जाएगी।

महाराष्ट्र में मिलों को 2019-2020 के1.42 लाख टन की तुलना में इथेनॉल उत्पादन के लिए लगभग 6.55 लाख टन चीनी के इस्तेमाल की उम्मीद है। कर्नाटक की मिलें पिछले सीजन 2.41 लाख टन के मुकाबले 5.41 लाख टन डायवर्ट करने की उम्मीद है।

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