- December 11, 2016
चारबाग की Philosophy ऋणम कृत्वा, घृत्तम पीवेत’’ हिन्दुस्तान को स्वीकार नहीं —
अरे देश को भी तो पता चलना चाहिए बनासकांठा जिला, पाकिस्तान की सीमा पर, बिना पानी; बिना बरसात; रेगिस्तान जैसी जिंदगी गुजारता हुआ इंसान अपने पराक्रम से, पुरुषार्थ से अपने भाग्य को कैसे बदल सकता है, इसका ये जीता जागता उदाहरण ये जिले के नागरिक हैं; उनका पुरुषार्थ है, और उनकी सफलताएँ हैं।
भाइयो, बहनों! मुझे बताया गया 25-27 साल के बाद कोई प्रधानमंत्री का बनासकांठा जिले में आने का हुआ है।
बंजर भूमि की तरफ से मैं आज गलबाभाई की शताब्दी के समारोह की शुरुआत उनको शत् शत् नमन करता हूँ; इन सबकी तरफ से नमन करता हूं।
आप कल्पना कीजिए, आज से 50 साल पहले जब गलबाभाई की उम्र 50 साल की थी, आठ छोटी छोटी दूध मंडली; उससे शुरू किया और आज किसानों के सहयोग से, पुरुषार्थ से, परिश्रम से, और उसमें भी बनासकांठा की, उत्तर गुजरात की मेरी माताओं, बहनों के पुरुषार्थ के कारण; जिन्होंने पशुपालन को परिवार की सेवा का हिस्सा बना दिया; उन्होंने श्वेत क्रांति ला दी।
बनास डेयरी की भी स्वर्णिम जयंती का अवसर है।
किसान को बिजली नहीं पानी चाहिए; ये बात मैं उस समय बताता था; नाराजी मोलता था, लेकिन ये मेरा सौभाग्य है कि वो ही बनासकांठा, वही मेरे बनासकांठा के किसान, उन्होंने मेरी बात को सर आंखो पर चढ़ाया, और आज Drip Irrigation में टपर सिंचाई में (Sprinkler में), पूरे गुजरात में नम्बर एक पर ला करके खड़ा कर दिया।
मुझे याद है, 2007 या 08 का वर्ष होगा, ऐसा ही एक किसानों के लिए कार्यक्रम मेरा था, तो मैं बनासकांठा में आया था। तो हमारे एक मित्र हैं, दिव्यांग हैं श्री गेना जी। गेना जी हमारे लाखनी तहसील से हैं। तो गेना जी चल तो पाते नहीं हैं, दिव्यांग हैं, लेकिन बड़े प्रगतिशील किसान हैं। वो इतना बड़ा दाड़म ले करके; अनार ले करके मुझे भेंट करने आए, नारियल से भी बड़ा था।
किसान के लिए कुछ चीजें कैसी वरदान होती हैं। गलबाभाई ने जब डेयरी का काम शुरू किया, जहां पानी न हो रेगिस्तान हो, 10 साल में 7 साल अकाल रहता हो; जहां किसान ईश्वर की इच्छा पर ही जिंदगी गुजारता हो; उसके लिए तो आत्महत्या एक ही रास्ता बच जाता था।
लेकिन इस जिले ने किसानों को पशुपालन की ओर मोड़ दिया, दुग्धपालन की ओर मोड़ दिया और पशुओं की सेवा करते-करते, दुग्ध क्रांति करते-करते अपने परिवार को चलाया, बच्चों को भी पढ़ाया और जीवन को आगे ले गए।
भाइयो, बहनों! यही बनासकांठा, यही गुजरात, जिसने श्वेत क्रांति का नेतृत्व किया था; आज मुझे खुशी हुई कि बनास डेयरी ने श्वेत क्रांति के साथ-साथ Sweet क्रांति का भी बिगुल बताया है। जहां श्वेत क्रांति हुई वहां अब Sweet क्रांति भी होने वाली है। मधु क्रांति! शहद!
बनास ने डेयरी के दूध की जैसी व्यवस्था की है किसानों को शहद के लिए मधुमक्खी पालन के लिए। ट्रेनिंग देना शुरू किया। आज उस Honey में से पहला packaging बना करके उन्होंने market में रखा हे।
मेरा पूरा विश्वास है गुजरात में जो डेयरी का network है, और करीब-करीब सभी जिलों में डेयरी का network है, किसानों की समितियां बनी हुई हैं।
दूध के साथ-साथ खेतों में अगर मधुमक्खी पालन भी किसान पकड़ लें तो जैसे दूध भरने जाते हैं, वैसे मधु भरने जाएंगे, मद भरने जाएंगे, शहद, honey ले जाएंगे, और डेयरी की गाडि़यों में दूध भी जाएगा, शहद भी जाएगा।
Extra Profit, Extra Benefit, अतिरिक्त कमाई का एक नया रास्ता, गुजरात के भी डेयरी, सभी किसान, इस रास्ते पर चल करके एक श्वेत क्रांति के साथ-साथ Sweet क्रांति को भी ला सकते हैं ऐसा मेरा विश्वास है।
दुनिया में शहद की मांग है, बहुत बड़ा market है। अगर हम शहद में भी आगे निकल जाएं, और जब नर्मदा का पानी आया है। नर्मदा के नजदीकी इलाकों में तो बहुत बड़ी मात्रा में इसका लाभ मिलता है।
Fertilizer उपयोग करने के तरीके बदलने पड़ते हैं, लेकिन लाभ इतना बड़ा होता है और जैसा बनाकांठा के किसान का मन बदला है, ये भी बदल के रहेगा ऐसा मुझे विश्वास है।
आज बनास डेयरी ने Amul Brand के साथ Cheese का Production का भी एक प्लांट शुरू किया। गुजरात में जितनी भी डेयरियां वो Cheese के काम से चली हुई हैं, आप हैरान होंगे दुनिया के कई देश हैं, वे Amul के Brand की Cheese मांगते हैं। जितनी पैदावार होती है तुरंत उठ जाती है, लोग, ग्राहक मिल जाते हैं।
initiative आज डेयरी ने लिया है, KanKrej की गायद्, इस नस्ल का मूल्य हम जानते हैं, वैज्ञानिक तरीकों ने भी गिर की गाय, KanKrej (कांक्रेच) की गाय, इसका महात्मय स्वीकार किया है। अब A2 Milk, जिस KanKrej की गाय के दूध की एक विशेषताएं हैं, विशेष तत्व हैं, उसको आज उन्होंने मार्केट में रखा है।
Health Conscious लोग हैं, जहां बच्चों को कुपोषण की समस्या है, ऐसे बच्चों के लिए A2 Milk, KanKrej गाय का A2 Milk उनके स्वास्थ्य के लिए उपकारक होने वाला है, ऐसा एक भगीरथ काम भी आज यहां शुरू हुआ है।
यहां KanKrej की नस्ल को बढ़ावा देना, उसमें सुधार करना, उसकी क्षमता में सुधार करना, उसकी per capita milk production बढ़ाना, उसके लिए भी वैज्ञानिक तरीके चल रहे हैं।
मैं बनास में जब आया हूं तब मैं बनास डेयरी से चाहूंगा कि वो एक काम और भी करे, और कर सकते हैं। बनास हो, सांभर डेयरी हो, दुग्ध सागर डेयरी हो; ये तीनों मिल करके भी कर सकते हैं। दो चीजें हम ऐसी पैदा करते हैं, हमारे किसान; लेकिन हम सस्ते में बेच देते हैं। और जो हम castor की खेती करते हैं, दिवेला; एरेंडा।
80 percent खेती हमारे यहां होती है, उसका उत्पादन। उस पर इतनी value addition होती है, इतनी process होती है। सारी दुनिया के महत्वपूर्ण technology में space shuttle की technology में ये Castor के Oil से बनी हुई चीजें सबसे सफल रहती हैं।
हम जो हैं, अभी भी हमारा दिवेला, एरेंडा जो कहें; ऐसे का ऐसा बेच देते हैं। ये बनास, दुग्धसागर, सांभर एक research Centre बनाएं और हम, हमारे किसान जो यहां पर castor पैदा करते हैं, एरंडा पैदा करते हैं, दिवेला पैदा करते हैं, उसमें value addition कैसे करें और हमारा ये कीमती संपत्ति पानी के मोल से बाहर चली जाती है, उसे हम बचाएं।
दूसरा है ईसबगोल। इसबगोल की ताकत बहुत बड़ी ताकत है। उसमें बहुत value addition हो सकता है। जब कुरियन जिंदा थे, तो श्रीमान कुरियन जी को मैंने कहा था कि आप ईसबगोल पर value addition पर काम कीजिए। उन्होंने प्रारंभ किया था, आइसक्रम बनाई थी ईसबगोल का।
आइसक्रीम का नाम दिया था ईसबकूल। आनंद में शुरूआत की थी उन्होंने उस समय। इतना बड़ा Global Market है ईसबगोल का। उसके संबंध में भी अगर वैज्ञानिक तरीके से हम काम करें तो बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं, और हमें लाना चाहिए।
आतंकवादियों को जहां से ताकत मिलती थी उन रास्तों को रोकने में सफल हुए हैं। ये जाली नोट का कारोबार, उसका मृत्युघंट, एक निर्णय से किया है भाइयो, बहनों। भ्रष्टाचार, कालाधन, ये भ्रष्टाचार और काले धन में पीड़ा किसको होती थी? किसी बेईमान को न भ्रष्टाचार से परेशानी थी, न काले धन से परेशानी थी। अरे एक भ्रष्टाचारी को दूसरे भ्रष्टाचारी को कुछ देना भी पड़ता था तो भी देने वाला भ्रष्टाचारी दुखी नहीं था। अगर दुखी कोई था तो इस देश का ईमानदार नागरिक दुखी था।
चारबाग रिषी कहते थे:- ’’ऋणम कृत्वा, घृत्तम पीवेत’’ वो कहते थे अरे! मृत्यु के बाद क्या होने वाला है? कौन जानता है, जो मौज करनी है अभी कर लो; जो खाना है खा लो, घी पीना है पी लो; आनंद से जी लो। इस चारबाग की Philosophy को कभी चाहिये भी हिन्दुस्तान ने स्वीकार नहीं किया।
आपने देखा होगा Parliament चल नहीं रही है, चलने दी नहीं जा रही है। हमारे देश के राष्ट्रपति, सार्वजनिक जीवन में इतना लम्बा अनुभव है; शासन चलाने वाले श्रेष्ठत्तम लोगों में से हमारे राष्ट्रपति जी रहे हैं। वो अलग राजनीतिक धारा में पले-बढ़े हैं।
लेकिन देश की संसद में जो कुछ भी हो रहा था उससे इतने पीडि़त हो गए, इतने दुखी हो गए कि दो दिन पहले उनको सांसदों को सार्वजनिक रूप से टोकना पड़ा। विरोध पक्ष को नाम दे करके टोकना पड़ा।
मैं हैरान हूं, सरकार कहती है हम चर्चा चाहते हैं, सरकार कहती है कि प्रधानमंत्री बोलने के लिए तैयार हैं, सरकार कहती है प्रधानमंत्री आ करके कहने को तैयार हैं, लेकिन उनको मालूम है उनका झूठ टिक नहीं पाता है और इसलिए वो चर्चा से भागते रहे हैं, और इसलिए लोकसभा में मुझे नहीं बोलने दिया जाता; मैंने जनसभा में बोलने का रास्ता चुन लिया है भाइयो। और जिस दिन मौका मिलेगा लोकसभा में भी सवा सौ करोड़ देशवासियों की आवाज मैं जरूर पहुंचाने का प्रयास करूंगा मेरे भाइयो, बहनों।
एक तरफ तो नीतियों का विरोध करते हैं, दूसरे को पराजित करने की ताकत लगाते हैं, लेकिन दूसरी तरफ सब मतदाता सूची पर ध्यान देते हैं, ELECTRONIC Voting Machine पर ध्यान देते हैं, अधिक लोग मतदान करने आएं इस पर ध्यान देते हैं, क्यो? क्योंकि लोकशाही हम सबकी जिम्मेवारी है।
Roll Back करो। सब दल कहते हैं, ठीक से लागू करो। मैं सभी दलों से कहना चाहता हूं कि जैसे चुनाव में हम एक-दूसरे का घोर विरोध करते हैं, लेकिन मतदान बढ़ाने के लिए मेहनत करते हैं, मतदाता सूची के लिए मेहनत करते हैं, Electronic Machine की training के लिए मेहनत करते हैं, आज समय की मांग है कि आप खुल करके मेरा विरोध करिए, मेरी आलोचना करिए, लेकिन लोगों को Banking सिखाने के लिए काम कीजिए, Electronic पद्धति से पैसे कैसे लिए जाते, दिए जाते ये सिखाइए। हम सब मिल करके देश को भाग्य बदलने का एक ऐसा उत्तम अवसर आया है, हम सब उसको काम करें। और आप भी फायदा उठाइए।
मुझे खुशी होगी मेरे विरोधी दल के लोग जन-जन को इस काम में लगा करके अगर राजनीतिक फायदा उठाते हैं तो देश का भला हुआ इसका मुझे आनंद होगा भाइयो। अरे! राजनीति से ऊपर राष्ट्रनीति होती है, समर्पित भाव से आज ये सरकार आपकी सेवा में लगी है।
लोग cheque देते थे, cheque फाड़ते थे, दो महीने के बाद पता चलता था कि cheque वापिस आया, बाद में केस कोर्ट में है; जो सबसे ज्यादा केस चलते हैं, वो cheque वापिस आने के चलते हैं। आप नौजवानों का धन्यवाद आपने बहुत बड़ा काम उठाया है, मैं आपको बधाई देता हूं और बनासकंठा जिले को आप ई, ई-बटुआ से जोड़ दीजिए भाइयो। लोगों को E-Mobile Banking से जोड़ने में सफल होंगे मुझे विश्वास है।
आपको टाइम बरबाद करने की जरूरत नहीं है। अखबार में advertisement आता है, TV पर advertisement आता है। आप अपने मोबाइल फोन से, अगर आपके पैसे बैंक में पड़े हैं; तो आप अपने पैसों का जो खरीदना, खरीद सकते हैं। cheque तो bounce होता था, इसमें तो जैसे ही पैसे दोगे, तो सामने receipt आज जाता है, पैसा मिल गया या पैसा पहुंच गया। कोई बाउंस-वाउंस होता ही नहीं, वहीं पर पता चल जाता है कि रुपया गया कि नहीं गया।
भाइयो, बहनों! अब देश भ्रष्टाचार सहन नहीं करेगा। अब देश जाली नोट सहन नहीं करेगा। अब देश काला धन सहन नहीं करेगा। गरीबों को लूटने का खेल, मध्यम वर्ग को शोषण करने का खेल अब नहीं चलेगा और इसलिए मुझे आपके आशीर्वाद चाहिए। खड़े रह करके दोनों हाथ से तालियां बजा करके मुझे आशीर्वाद दीजिए, मेरे गुजरात के भाइयो, बहनों। मेरे डीसा के भाइयो, बहनों आशीर्वाद दीजिए। पूरे ताकत से आशीर्वाद दीजिए।
भारत माता की, जय
भारत माता की, जय
भारत माता की, जय
ये लड़ाई, ये लड़ाई भारत का भाग्य बदलने की है, ये लड़ाई भ्रष्टाचार को खत्म करने की है, ये लड़ाई काले धन का खात्मा बुलाने के लिए है, ये लड़ाई जाली नोटों से देश को मुक्त कराने की है, और उसमें इस बनास की धरती ने मुझे आशीर्वाद दिए, मैं आप सबका बहुत-बहुत आभारी हूं। आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। फिर से बोलिए भारत माता की, जय, पूरी ताकत से बोलिए, पूरा देश सुन रहा है।
(अतुल तिवारी/ अमित कुमार/ निर्मल शर्मा)