- October 4, 2016
चला-चली की बेला में ईंट और नारियलों पर भी सपा की सामत – सुश्री मायावती
उत्तर प्रदेश में ईंट फोंंडवा बाढ——- किसानों को उनके बकाये पर मिलने वाला 680 करोड़ रूपया का ब्याज माफ दाल में काला साबित करने वाला है। गन्ना किसानों के बजाय चीनी मिल मालिकों पर ख़ास मेहरबानी
नई दिल्ली, 04 अक्टूबर, 2016: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने आज जारी एक बयान में कहा कि अब जबकि प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार के लिये चला-चली की बेला है तो केवल चुनावी स्वार्थ व सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिये बिना पूरी तैयारी किये हुये ही विभिन्न योजनाओं की घोषणा व शिलान्यास का सिलसिला जनता की आँखों में धूल झोंकने के लिये शुरू कर दिया गया है।
इस प्रकार के शिलान्यासों के माध्यम से अपने नाम का शिलापट व शिलान्यास का पत्थर उन स्थलों पर लगाने की होड़ में अब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार के मंत्रीगण भी पीछे नहीं हैं।
आपाधापी व जल्दबाजी के साथ-साथ काफी आधी-अधूरी तैयारी में ही आज कानपुर मेट्रो का शिलान्यास किये जाने पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि विकास व खासकर मेट्रो के निर्माण के मामले में सपा सरकार अपना माखौल ख़ुद उड़ा रही है, क्योंकि पिछले लगभग साढ़े चार वर्षों के उसके कार्यकाल में ज्यादातर योजनाओं का केवल शिलान्यास ही हुआ है व पत्थर ही लगवाये गये हैं।
जनहित में उनका उद्घाटन नहीं हो पाया है। यही कारण हैं कि आज कानपुर मेट्रो के शिलान्यास के समय स्थानीय जनता में उत्साह की काफी ज्यादा कमी देखी गयी व कार्यक्रम में भी ज्यादातर कुर्सियाँ खाली ही पड़ी थी।
यही हाल ’लखनऊ मेट्रो’ का भी है, जिसकी सारी बुनियादी तैयारी बी.एस.पी. के शासनकाल में ही कर दी गयी थी, लेकिन शिलान्यास पर पत्थर अपना लगवा दिया गया है। इतना ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश को मेट्रो देने की शुरुआत बी.एस.पी. के शासनकाल में ही नोएडा क्षेत्र से इसकी शुरुआत करके की गयी थी, जबकि सपा सरकार केवल घोषणायें व बिना समुचित धन आवंटन आदि की व्यवस्था किये हुये ही केवल शिलान्यास ही करती जा रही है ताकि अपने नाम का पत्थर लगवाया जा सके।
इसी प्रकार बीते कल लखनऊ में नये मुख्यमंत्री कार्यालय का उद्घाटन कर दिया गया जबकि इस भवन का अभी काफी काम अधूरा है। ऐसी सस्ती लोकप्रियता हासिल करने वाली तथाकथित विकास की राजनीति सपा व उसके वर्तमान मुख्यमंत्री को ही मुबारक हो सकती है। जबकि बी.एस.पी. ज्यादातर मामलों में शिलान्यास व घोषणाओं के बजाय, जनहित की योजनाओं को अमलीजामा पहनाकर उनका उद्घाटन करने में करती है, जैसाकि सर्वविदित भी है।
इसी परिपेक्ष्य में लोगों का यह पूछना सही है कि वर्तमान सपा सरकार द्वारा पिछले लगभग साढ़े चार वर्षो के दौरान जो सैकड़ों छोटी-बड़ी घोषणायें की गयी है, उनको लागू होने का सही हिसाब-किताब प्रदेश की जनता को अब चुनाव से पहले क्यों नहीं दिया जा रहा है।
कल सपा सरकार द्वारा प्रदेश के चीनी मिल मालिकों पर विशेष मेहरबानी दिखाते हुये उनका 680 करोड़ रूपया का ब्याज माफ कर दिये गये जाने के फैसले की तीखी आलोचना करते हुये उन्होंने कहा कि ठीक चुनाव से पहले चीनी मिल मालिकों पर ऐसी ख़ास मेहरबानी से दाल में काफी कुछ काला साबित करती है।
सुश्री मायावती जी ने यह भी कहा कि एक तरफ तो खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसान चीनी मिलों द्वारा उनका बकाया नहीं देने के कारण काफी ज्यादा गहरे संकट में हैं और इसी कारण आन्दोलनरत हैं, परन्तु उन गन्ना किसानों की माँगों पर समुचित ध्यान देकर उनका बकाया अदा करवाने के बजाय प्रदेश की सपा सरकार उलटे चीनी मिल मालिकों के पक्ष में ही फैसले लेकर उनका 680 करोड़ रुपये का ब्याज माफ कर दिया है, यह गन्ना किसानों के साथ विश्वासघात व उनके ज़ख़्मांे पर नमक छिड़कने वाला काम नहीं तो और क्या है?
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