- May 17, 2022
गेहूं निर्यात अधिसूचना में कुछ छूट, गेहूं की खेप की अनुमति
पीआईबी ——– सरकार ने वाणिज्य विभाग के विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा गेहूं निर्यात को प्रतिबंधित करने पर दिनांक 13 मई को जारी अपने आदेश में कुछ छूट दिए जाने की घोषणा की है। यह निर्णय लिया गया है कि जहां कहीं भी गेहूं की खेपों को जांच के लिए सीमा शुल्क विभाग को सुपुर्द कर दिया गया है और जो उनकी प्रणाली में 13.05.2022 को या उससे पहले पंजीकृत कर लिए गए हैं, वैसी खेपों को निर्यात किए जाने की अनुमति होगी।
सरकार ने मिस्र की ओर जाने वाली गेहूं की खेप को भी अनुमति दी जो पहले से ही कांडला बंदरगाह पर लोडिंग के तहत थी। इसके बाद कांडला बंदरगाह पर लोड किए जा रहे गेहूं कार्गो को अनुमति देने का मिस्र सरकार द्वारा अनुरोध किया गया। मिस्र को गेहूं के निर्यात के लिए संलग्न कंपनी मेसर्स मेरा इंटरनेशनल इंडिया प्रा. लिमिटेड ने भी 61,500 एमटी गेहूं की लोडिंग को पूरा करने के लिए अभ्यावेदन किया था जिसमें से 44,340 एमटी गेहूं पहले ही लोड किया जा चुका था और केवल 17,160 एमटी गेहूं का लदान किया जाना ही शेष था। सरकार ने 61,500 एमटी गेहूं की पूरी खेप की अनुमति देने का निर्णय लिया और इसे कांडला से मिस्र तक जहाज से ले जाये जाने की अनुमति दी।
भारत सरकार ने पहले भारत में समग्र खाद्य सुरक्षा स्थिति को प्रबंधित करने के लिए तथा पड़ोसी एवं निर्बल देशों, जो गेहूं के लिए वैश्विक बाजार में अचानक आए बदलावों द्वारा प्रतिकूल तरीके से प्रभावित हैं और समुचित गेहूं आपूर्तिओं की सुविधा पाने में अक्षम हैं, की आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता करने के लिए गेहूं निर्यातों पर प्रतिंबध लगा दिया था। इस आदेश के अनुसार, यह प्रतिबंध ऐसे मामलों में, जहां साख पत्र के माध्यम से निजी व्यापार द्वारा पहले से प्रतिबद्धताएं की जा चुकी हैं तथा ऐसी परिस्थितियों में भी, जहां भारत सरकार द्वारा अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तथा उनकी सरकारों के आग्रह पर अनुमति प्रदान की जाती है, लागू नहीं होगा।
इस आदेश ने तीन मुख्य उद्देश्यों को पूरा किया: यह भारत की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है तथा महंगाई दर को नियंत्रित करता है, यह खाद्य कमी का सामना कर रहे दूसरे देशों की सहायता करता है तथा एक आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की विश्वसनीयता को बनाये रखता है। इस आदेश का उद्वेश्य गेहूं की आपूर्ति की जमाखोरी को रोकने के लिए गेहूं बाजार को एक स्पष्ट दिशा प्रदान करना भी था।
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