- January 12, 2019
गुरु ने हमें फर्ज का एहसास कराया और ऐसे में सेवा करना हमारा दायित्व है:- मुख्यमंत्री
पटना——-:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने राजगीर में गुरुनानक शीतल कुंड गुरुद्वारे को ईंट रखकर एवं शिलापट्ट का अनावरण कर शिलान्यास किया।
राजगीर के हॉकी ग्राउंड हेलीपैड से सीधे शीतल कुंड गुरुद्वारा पहुंचकर मुख्यमंत्री ने मत्था टेका। शिलान्यास के मौके पर शीतल कुंड प्रांगण में आयोजित समारोह में सिख संगत ने मुख्यमंत्री को पुष्प-गुच्छ एवं सरोपा भेंटकर उनका स्वागत किया।
वाहे गुरुजी की खालसा, वाहे गुरुजी की फतेह के उद्घोष के साथ मुख्यमंत्री ने शिलान्यास समारोह में अपना संबोधन शुरू किया। उन्होंने कहा कि आज गुरुद्वारा श्री गुरुनानक शीतल कुंड राजगीर का शिलान्यास हो गया है, इससे मुझे बेहद खुशी है।
राजगीर में अलग-अलग समय में सभी धर्मों के महापुरुषों का आगमन हुआ है। यह अद्भुत जगह है। इस जगह की ऐतिहासिक और पौराणिक रुप से भी काफी महत्ता है। उन्होंने कहा कि मगध साम्राज्य की पहली राजधानी राजगीर ही थी जो पंच पर्वत से घिरा हुआ है। प्रारंभ से ही इस जगह का काफी महत्व रहा है। यहाँ बिम्बिसार भी राजा बने।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब गुरुनानक देव जी इस स्थान पर पधारे थे उस समय इस कुंड का पानी गर्म था। उस समय लोगों ने गुरुनानक देव जी महाराज से यह आग्रह किया कि यहाँ सभी कुंडों में गर्म पानी है कम से कम एक कुंड में शीतल जल भी होना चाहिए। लोगों की इच्छा के अनुरूप गुरुनानक देव जी महाराज ने अपनी क्षमता से कुंड का जल शीतल कर दिया।
उन्होंने कहा कि हर 3 वर्ष पर एक माह के लिए लगने वाले मलमास मेले और मकर संक्रांति के मौके पर बड़ी संख्या में लोग राजगीर आते हैं। मान्यता है कि मलमास मेले के दौरान पूरे एक माह तक 33 करोड़ देवी-देवता यहाँ निवास करते हैं।
उन्होंने कहा कि 14 वर्ष तक भगवान महावीर राजगीर और नालंदा में रहे, जबकि भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति से पहले और ज्ञान प्राप्ति के बाद यहाँ आकर निवास किया था। सूफी संत मकदूम साहब का भी इस धरती पर आगमन हुआ है और 512 साल पहले गुरुनानक देव जी भी इस धरती पर आए थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमने कार्यभार संभाला तब राजगीर में 7 दिनों तक रहकर यहां की एक-एक चीज को मैंने देखा। शीतल कुंड और पांडु पोखर काफी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था, जिसे दुरुस्त किया गया। उसी समय हमने यह भी तय किया था कि शीतल कुंड के पास गुरुद्वारा ठीक ढंग से बनना चाहिए। उसके बाद जब गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का 350वाॅ प्रकाश पर्व मनाया गया उसमें भी हमने बाबा मोहिंदर सिंह जी से इस बारे में चर्चा की ताकि यहाँ नए ढंग से गुरुद्वारा बन जाय।
उन्होंने कहा कि पर्वत के नीचे यह जगह संरक्षित है इसलिए अनुमति लेने के बाद यह काम प्रारम्भ किया गया। उन्होंने कहा कि इसी वर्ष 12 नवंबर को यहां गुरुनानक देव जी महाराज का 550वां प्रकाश उत्सव मनाया जाएगा इसलिए हमारी इच्छा है कि प्रकाश उत्सव से पहले यह बनकर तैयार हो जाय। बिहार सरकार ने 12 नवंबर को राजकीय अवकाश की घोषणा कर दी है और जितना संभव होगा सरकार इसमें मदद भी करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना स्थित गायघाट की भी काफी महत्ता है जहाँ गुरुनानक देव जी आये और जैतामल जी उनके शिष्य बने। जैतामल जी हर रोज गंगा में स्नान करने के बाद पूजा अर्चना किया करते थे लेकिन बाद में उम्र अधिक हो जाने के कारण वे गंगा में स्नान करने में अक्षम हो गए।
गंगा माँ स्वयं गाय के रूप में आकर उन्हें प्रतिदिन स्नान कराने लगीं, जिसके कारण उस जगह का नाम गायघाट पड़ा। इसी क्रम में नौवें गुरु तेगबहादुर जी घोड़े पर सवार होकर आये और वे उसी स्थान पर बैठे जिस जगह पर गुरुनानक देव जी बैठा करते थे। गुरु तेगबहादुर का दर्शन पाने के बाद जैतामल को मुक्ति मिल गयी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के 352वें प्रकाश पर्व पर जो भी संभव हो सका है पटना साहिब के बाल लीला और कंगन घाट पर तैयारी की गई है। उन्होंने कहा कि गुरुनानक देव से लेकर गुरु गोविंद सिंह जी महाराज तक से संबंधित जो भी महत्वपूर्ण जानकारियां हैं, उन सबसे लोग अवगत हो सकें, इसके लिए राज्य सरकार ने प्रकाश पुंज का निर्माण कराना शुरू किया है।
उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का जन्म पटना साहिब (बिहार) में हुआ यह हम सभी के लिए काफी गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि जो हम सेवा कर रहे हैं, वह हमारा परम् कर्तव्य है इसके लिए मेरी सराहना करने की कोई आवश्यकता नहीं है। गुरु ने हमें फर्ज का एहसास कराया और ऐसे में सेवा करना हमारा दायित्व है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीब राज्य होने के बावजूद बिहार में सेवा में कोई कमी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि प्रकाश पर्व के बाद सिख श्रद्धालु बड़ी संख्या में देश और देश के बाहर से भी बिहार आ रहे हैं। भव्य तरीके से 350वें प्रकाश पर्व के बाद 351वें प्रकाश पर्व का शुकराना समारोह मनाया गया और अब 352वें प्रकाश पर्व को देखते हुए लोगों के आने की संख्या काफी बढ़ने लगी है।
उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष हो रहे आयोजन को देखते हुए सिख श्रद्धालुओं का बिहार आगमन निरंतर बड़ी संख्या में होने लगा है, जिसके लिए बार-बार टेंट सिटी बनानी पड़ती है इसलिए स्थायी रूप से अब कम्युनिटी सेंटर का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए हमने मुख्य सचिव को कह दिया है।
कम्युनिटी सेंटर का निर्माण हो जाएगा तो लोग शादी-विवाह या विशेष आयोजन के मौके पर उसका उपयोग कर सकेंगे और जब प्रकाश पर्व का समय आएगा तो उसे 25 से 30 दिनों के लिए गुरुद्वारा के हवाले कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले पटना साहिब जाने का एकमात्र रास्ता अशोक राजपथ था लेकिन 350वें प्रकाश पर्व के पूर्व ही बाइपास के बगल में राज्य सरकार ने अपनी तरफ एक आर0ओ0बी0 का निर्माण कराया ताकि लोगों को आवागमन में सहूलियत हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शीतल कुंड राजगीर में गुरुनानक देव जी पधारे और यहाँ रहे। ऐसे में यहाँ गुरुद्वारे का निर्माण हो जाएगा तो देश और देश के बाहर रहने वाले सिख श्रद्धालु जो ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक चीजों में दिलचस्पी रखते हैं, वे यहाँ मत्था टेकने आएंगे। उन्होंने कहा कि गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाश उत्सव में हमलोगों का पूरा सहयोग रहेगा।
आप सभी जत्थेदार और सेवादार बैठें हैं, हम यही कहेंगे कि 12 नवंबर से पहले निर्माण कार्य पूरा करें ताकि 550वें प्रकाश उत्सव में जो लोग यहाँ आएंगे, वे भी मत्था टेक सकें। उन्होंने कहा कि चारो तरफ पहाड़ी है इसलिए गुरुद्वारे का निर्माण पूरा हो जाएगा तो इसकी भव्यता और बढ़ेगी। अपने संबोधन के अंत मे मुख्यमंत्री ने जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल का उद्घोष भी किया।
समारोह को जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब श्री हरप्रीत सिंह जी, गुरुनानक निश्काम सेवक जत्था यू0के0 बाबा मोहिंदर सिंह जी, मुखी राणा सम्प्रदाय के संत बाबा बजेन्दर सिंह जी, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी के जत्थेदार बाबा गोविंद सिंह जी लोंगेवाल, दिल्ली गुरुद्वारे के जत्थेदार एवं पटना साहिब तख्त श्रीहरिमंदिर के जत्थेदार श्री ज्ञानी इकबाल सिंह ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर ग्रामीण कार्य मंत्री श्री शैलेश कुमार, सांसद श्री कौशलेंद्र कुमार, विधायक श्री रवि ज्योति, विधायक श्री चंद्रसेन, बिहार राज्य योजना पर्षद के उपाध्यक्ष श्री जी0एस0 कंग, श्री सुमित कलसी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति, वरीय अधिकारीगण, जत्थेदार, सेवादार एवं बड़ी संख्या में सिख श्रद्धालु उपस्थित थे।