- November 17, 2015
गुड़ की शान -शौकत
उत्तर प्रदेश में गन्ना कीमतों को लेकर खींचतान और पेराई में देरी कोल्हू मालिकों के लिए चांदी साबित हो रही है। खुदरा बाजार में चीनी के मुकाबले गुड़ की ज्यादा कीमत और छोटे एवं मझोले किसानों में गन्ना औने-पौने दाम पर बेचने की मजबूरी ने खांडसारी इकाइयों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
उत्तर प्रदेश में चीनी मिल मालिकों की हीला-हवाली देखते हुए गन्ने की पेराई दिसंबर से पहले शुरू होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। दूसरी ओर त्योहारी सीजन के चलते गुड़ की कीमतों में भी भारी उछाल देखा जा रहा है।
बीते पेराई सत्र में प्रदेश में गन्ने की कीमत 280 रुपये प्रति क्विंटल रही थी, वहीं इस साल खांडसारी इकाइयां गन्ने की कीमत 150 से 190 रुपये तक अदा कर रही हैं। हालांकि इसके उलट इस साल खुले बाजार में गुड़ की कीमत 48 रुपये किलो चल रही है, जो बीते तीन वर्षों का उच्चतम स्तर है।
कोल्हू मालिकों का कहना है कि गुड़ बनाने का काम अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से शुरू हो जाता है और किसानों को गन्ने की कीमत उसकी गुणवत्ता देखकर अदा की जाती है। हालांकि इस साल गुड़ के दाम ज्यादा होने से किसानों को गन्ने की कीमत भी पिछले साल से ज्यादा मिल रही है। कोल्हू संचालकों के पास गन्ना किसानों के आने का एक बड़ा कारण तुरंत नकद भुगतान भी है जबकि चीनी मिलों के पास भुगतान के लिए महीनों इंतजार करना होता है।
किसानों का कहना है कि मिलों के अब तक न चलने से औने-पौने दामों में गन्ना बेचना उनकी मजबूरी है, क्योंकि रबी की बुआई के लिए खेत खाली करना जरूरी है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी से सटे सीतापुर, लखीमपुर, शाहजहांपुर, बाराबंकी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़, हाथरस और अलीगढ़ जिलों में हजारों की तादाद में खांडसारी इकाइयां दिन रात गन्ने की पेराई कर गुड़ का उत्पादन कर रही हैं।
लखीमपुर के कोल्हू मालिक कुलदीप पाहवा का कहना है कि एक क्विंटल गन्ने में औसतन 6 से 7 किलो गुड़ तैयार होता है और बाजार में कीमतों को देखते हुए इस बार 60 से 70 फीसदी तक मुनाफा हो रहा है।