- September 16, 2017
गाय के नाम पर राजनीति नहीं हो- पशु क्रूरता निवारण समिति
प्रतापगढ दिनांक 16.09.2017- (हिमांशू त्रिवेदी)———– प्रतापगढ शहर में बेसहारा गौवंश कई वर्षाे से भुखे प्यासे शहर की सडको व गलियों में भटक रहे थे जो पाॅलिथिन व कचरा खाकर नालियों का पानी पीकर मरणासन्न स्थिति में हो गये थे।
जिला प्रशासन के निर्देशन पर नगरपरिषद प्रतापगढ के सभापति कमलेश डोशी, आयुक्त अशोक कुमार जैन, पशुपालन विभाग एवं पशुक्रुरता निवारण समिति के संयुक्त तत्वाधान में बेसहारा गौवंश को शहर की सडकों से ले जाकर निराश्रित पशु संवर्धन केन्द्र पर उनका पालन किया जा रहा हैं जहां पर चारे पानी व ईलाज की पर्याप्त व्यवस्था हैं परन्तु नगपरिषद द्वारा महत्वपूर्ण कार्य पर भी टीका टिप्पणी की जाना गलत हैं।
पशुक्ररता निवारण समिति के कार्यकारी सचिव रमेशचन्द्र शर्मा व सदस्य अधिवक्ता सचिन पटवा ने बताया कि राज्य में गौवंश की सुरक्षा व संवर्धन हेतु माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार को सख्त निर्देश प्रदान किये गये हैं एवं पशुक्रुरता निवारण समिति के गठन का निर्देश प्रदान किया गया जिस पर राज्य सरकार ने गौवंश के रक्षण एवं संवर्धन के लिये महत्वपूर्ण कार्य किये गये हैं।
शहर की सडको पर बेसहारा गौवंश के पालन के लिये जिला प्रशासन के निर्देशन पर नगरपरिषद एवं द्वारा पशुक्ररता निवारण समिति के संयुक्त तत्वाधान में अभियान चलाकर 124 गौवंश को निराश्रित गृह में भिजवाया गया हैं जहां पर उनका पालन किया जा रहा हैं परन्तु किसी शरारती तत्व द्वारा मृत गौवंश के शव का वाट्सअप पर फोटो लेकर गलत दुष्प्रचार किया गया।
बेसहारा गौवंश दिन भर भुखा प्यासा सडको पर बैठा रहता था जिससे आयेदिन दुर्घटनाएं होती रहती थी। कई गौवंश के प्राण दूर्घटना में गये है। दूर्घटना से सडक रक्तरंजित देखी गई हैं तथाकथित गौ भक्त को गौमाता की इस पीडा से कोई लेना देना नहीं हैं एवं मात्र गाय के नाम पर राजनिती करना चाहते हैं।
आजादी के बाद संसद की प्रथम बैठक में सभी सांसद एक ही मत से गौहत्या पर प्रतिबन्ध चाहते थे परन्तु तत्कालिन प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने इसका विरोध किया था। 1966 में देश के साधू सन्त व गौ भक्तों द्वारा गौहत्या पर प्रतिबन्ध की बात को लेकर दिल्ली में जन आन्दोलन किया था जिसका विरोध करते हुए तत्कालिन प्रधानमन्त्री श्रीमति इन्दिरा गांधी ने साधू – सन्तों व गौ-भक्तों पर गोलियां चलवायी थी जिसमें सैकडो गौ-भक्त शहीद हुए थे।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48 के अनुसार गौवंश की रक्षा के लिये सशक्त कानून बनाने के लिये राज्य सरकारों को निर्देशित किया गया हैं परन्तु केरल व जम्मु कश्मीर में आज भी गौवंश की रक्षा के कानून नहीं बने है। इस कारण केरल में यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने चौराहे पर बैनर लगाकर गौवंश की हत्या की हैं जो एक निन्दनीय कृत्य हैं। मात्र भाजपा शासित राज्यों में ही गौवंश के लिये सशक्त कानून बने हैं। 1995 में राजस्थान के तत्कालिन मुख्यमन्त्री महामहिम भैरूसिंह शेखावत द्वारा सशक्त गौवंश अधिनियम बनाया।
2004 में मध्यप्रदेश के तात्कालिन मुख्यमन्त्री सुश्री उमा भारती द्वारा सशक्त गौंवंश अधिनियम कानून बनाया गया। गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, छत्तीसगढ एवं उत्तरप्रदेश राज्य में गौंवंश के संरक्षण के लिये सशक्त कानून बने हैं। कांग्रेस शासित राज्यों में लचीले कानून बने हैं जिसके कारण गौवंश की यह दूर्दशा हुई हैं।