- December 28, 2018
‘गगनयान स्पेसफ्लाइट’ में अब 7 दिनों के लिए 3 लोगों का क्रू अंतरिक्ष में
यूनियन कैबिनेट ने भारत में बना हुआ इंसानी स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम मंजूर कर दिया है.
‘गगनयान स्पेसफ्लाइट’ में अब 7 दिनों के लिए 3 लोगों का क्रू अंतरिक्ष में जा सकेगा. केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस प्रोजेक्ट में 10,000 करोड़ रुपये की लागत आएगी.
अंतरिक्ष पर मानव मिशन भेजने वाला भारत दुनिया का चौथा देश होगा.
इसरो ने एक क्र एस्केप मॉड्यूल यानी कैप्सूल की सफलतापूर्वक टेस्टिंग की थी, जिसे अंतरिक्ष यात्री अपने साथ ले जा सकेंगे. अंतरिक्ष यात्री इमरजेंसी होने पर इस कैप्सूल में सवार होकर पृथ्वी की कक्षा में सुरक्षित पहुंच सकते हैं.
गगनयान मिशन
>>भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने साल 2022 में मानवयुक्त अंतरिक्षयान भेजने की तैयारियों को तेज कर दिया है. इसके लिए देश की सवा अरब आबादी में से 30 बेहतरीन लोगों को चुनने की तैयारी की जा रही है.
>> अंतरिक्ष यात्री बनने के दावेदार ये 30 लोग अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ होंगे. इन्हीं में से कई चरण वाली लंबी चयन प्रक्रिया के बाद ‘गगनयान’ से अंतरिक्ष में जाने वाला 3 लोगों की फाइनल टाइम तय होगी.
>>इन 30 अंतरिक्ष यात्रियों के चयन की जिम्मेदारी इसरो ने भारतीय वायुसेना के इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (आईएएम) को सौंपी है.
आईएएम ने ही साल 1984 में रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) के यान से अंतरिक्ष में जाने वाले इकलौते भारतीय यात्री राकेश शर्मा का चयन 10 लोगों को परखने के बाद किया था.
>>आईएएम पहले ही इस मिशन में फ्लाइट सर्जन सपोर्ट, केबिन एयर क्वालिटी चेक, क्रू कैप्सूल की मानव इंजीनियरिंग व हेबीटेट मॉड्यूल की एडवांस ट्रेनिंग के लिए इसरो की मदद कर रहा है.
>>इस मिशन पर देश में बेस्ट फिजिकल फिटनेस के साथ सही मेंटल कंट्रोल के तालमेल वाले तीन अंतरिक्ष यात्रियों का अंतिम तौर पर चयन होगा. लंबी चयन प्रक्रिया में देखा जाएगा कि वे मानसिक व मेडिकल तौर पर फिट हैं या नहीं और अकेले में मानसिक बदलावों से कैसे निपटते हैं.
चुनाव ————————————–
>>इस मिशन के लिए देश भर से कुल 30 लोग चुने जाएंगे. इसमें वायु सैनिकों को प्राथमिकता दी जाएगी.
>>प्राइमरी सिलेक्शन के बाद इन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी. फिर 15 का फाइनल सिलेक्शन होगा.
>> इन्हें 3-3 के ग्रुप में बांटकर एडवांस ट्रेनिंग दी जाएगी.
>> 3 अंतरिक्ष यात्रियों के फाइनल ग्रुप को लॉन्चिंग डेट से तीन महीने पहले स्पेशल ट्रेनिंग मिलेगी. इस पूरे प्रॉसेस में 12 से 14 महीने लग जाएंगे.
ट्रेनिंग——————————–
>>अंतरिक्ष जैसे माहौल में -20 से 60 डिग्री तापमान तक से तालमेल बनाने के लिए सिमुलेटर ट्रेनिंग होगी.
>>वायुमंडलीय दबाव से करीब 6 गुना ज्यादा दबाव सहन करने के लिए ड्राई फ्लोटेशन सिमुलेटर ट्रेनिंग दी जाएगी.
>>अंतरिक्ष यान क्रू कैप्सूल में माइग्रोग्रेविटी और सिर के बल घूम जाने जैसी परिस्थिति के लिए सिमुलेटर ट्रेनिंग होगी.
>>बेहद गर्म तापमान को सहन करने के लिए भी एडवांस ट्रेनिंग दी जाएगी.