- December 7, 2014
गंगा, रामगंगा और यमुना का अध्ययन
इस टीम ने अपने अध्ययन में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल को शामिल किया था। टीमों को अपने अध्ययन में यह पता लगाना था कि शोधन सयंत्रों की ताजा स्थिति और नदियों के तटों पर किस प्रकार के वृक्षों का पौधारोपण किय़ा जाए। उनको इस संभावना का भी पता लगाना था कि तत्काल परिणाम हासिल करने के लिए चालू शोधन सयंत्रों में कौन सी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर उनको और प्रभावी बनाया जाएगा।
बेकार शोधन यंत्रों के स्थान पर नए शोधन यंत्र नई क्षमता के साथ लगाए जाएंगे और जहां जिन इकाइयों के पास शोधन यंत्र नहीं हैं, वहां नए सयंत्र लगाए जाएंगे। इसके साथ ही केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड को यह बताना भी शामिल है कि गंगा, रामगंगा और यमुना में प्रदूषण के संबंध किन-किन चीजों पर तत्काल रोक लगानी जरूरी है।
उल्लेखनीय है कि इसके पहले अक्टूबर माह में मंत्रालय की मंत्रालय के विशेषज्ञों की टीमों नें गंगा को प्रदूषित करने वाले 58 बड़े नालों का निरीक्षण कर उनके नमूने एकत्र किए थे। इस दौरान कानपुर में केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती खुद उपस्थिति थी।