- January 29, 2015
गंगा की सफाई और संरक्षण : जर्मन प्रतिनिधिमंडल
नई दिल्ली – जर्मनी की पर्यावरण, प्रकृति संरक्षण, निर्माण और परमाणु सुरक्षा मंत्री डॉ. (श्रीमती) बारबरा हैंड्रिक्स के नेतृत्व में एक जर्मन प्रतिनिधिमंडल ने आज नई दिल्ली में केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती से भेंट की। इस दौरान गंगा की सफाई और इसके संरक्षण से संबंधित कार्यों विशेष रूप से चर्चा की गई।
प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए सुश्री उमा भारती ने कहा कि गंगा के संरक्षण के लिए भारत-जर्मन सहयोग की संभावनाओं को तलाशने, व्यावहारिकता को मापने और मूल्यांकन से संबंधित कई कार्य किए जाने हैं। उन्होंने बताया कि गत वर्ष अक्टूबर में विदेश मंत्रालय की मंजूरी के बाद एक गंगा कार्य क्षेत्र मिशन को मूर्त रूप दिया जा रहा है। मिशन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत-जर्मन ऊर्जा फोरम की तर्ज पर इस क्षेत्र में भी सहयोग की काफी संभावनाएं हो सकती हैं।
सहयोग क्षेत्र में नदी बेसिन योजनाएं, बुनियादी ढांचा, अनुसंधान आदि शामिल हैं। इसके अलावा तकनीकी क्षेत्र में नदी संरक्षण रणनीति, प्राथमिकताएं, व्यावहारिक समयावधि, बेसिन-वार निगरानी और मूल्यांकन, मानक तय करना, प्रदूषण, गंगा ज्ञान केंद्र, शोध जैसे चुने गए मुद्दों पर सहयोग हो सकता हैं। सुश्री उमा भारती कहा कि औद्योगिक और शहरी प्रदूषण नियंत्रण के लिए अभिनव वित्तीय मॉडल, संसाधन प्रबंधन और निजी व सार्वजनिक निवेश फंडो जैसे मुद्दों पर भी वित्तीय सहयोग हो सकता है।
जर्मन प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि राइन और डेन्यूब नदियों के संरक्षण की सफलता के मद्देनजर वे गंगा संरक्षण में सहायता करने के लिए उत्सुक है। इन दोनों नदियों का संरक्षण बहु-राष्ट्रीय और बहु-राज्यीय सहयोग से हुआ था। औद्योगिक और सीवेज की वजह से हो रहे प्रदूषण के प्रबंधन की चुनौती इन दोनों नदियों के संरक्षण के दौरान भी थी और गंगा सफाई कार्यक्रम में भी यह एक महत्वपूर्ण चुनौती होगी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और शहरी प्रबंधन से संबंधित मुद्दों पर कार्य पहले से ही चल रहा है। इसके साथ ही मानकों को तय करने और क्षमतावर्धन पर भी कार्य हो रहा है।
बैठक में हाल ही में कार्यक्षेत्र मिशन रिपोर्ट पर आयोजित गोलमेज सम्मेलन पर भी बैठक में चर्चा की गई। भारत-जर्मन समझौता वार्ता के दौरान जर्मनी ने गंगा संरक्षण में सहयोग के लिए तीन मिलियन यूरो देने का वादा किया है। शुरुआती सहायता के लिए परियोजनाओं की ठोस रूपरेखा तैयार की जा रही है और मार्च, 2015 में इस सिलसिले में एक एक समीक्षा बैठक होने की उम्मीद है।