• January 17, 2022

कोविड-19 टीकाकरण अभियान के एक वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य पर आईसीएमआर ने डाक टिकट जारी

कोविड-19 टीकाकरण अभियान के एक वर्ष पूरा होने  के उपलक्ष्य पर आईसीएमआर ने डाक टिकट जारी

नई दिल्ली–(कमल कुमार)—- – भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने डाक विभाग (डीओपी), संचार मंत्रालय के साथ मिलकर स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन विकसित करने में भारत की उपलब्धि पर एक स्मारक डाक टिकट जारी किया। यह भारत के सबसे बड़े कोविड-19 टीकाकरण अभियान के एक वर्ष पूरा होने का भी प्रतीक है।

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया ने डॉ भारती प्रवीण पवार, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री, श्री देवुसिंह चौहान, केंद्रीय संचार राज्य मंत्री की उपस्थिति में डाक टिकट जारी किया। प्रोफेसर (डॉ.) बलराम भार्गव, सचिव डीएचआर और डीजी, आईसीएमआर और श्री राजेश भूषण, सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और श्री आलोक शर्मा, डीजी, डाक विभाग भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।

स्टैम्प के डिज़ाइन में एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता को वरिष्ठ नागरिक को कोविड-19 वैक्सीन लगाते हुए दिखाया गया है। यह हमारे मेड-इन-इंडिया वैक्सीन के माध्यम से जोखिम वाले आबादी विशेषकर बुजुर्ग नागरिकों को कोरोना वायरस से सुरक्षित बनाने में फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए सराहनीय कार्य का प्रतीक है।

इस अवसर पर बोलते हुए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया ने कहा, “यह हमारे लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम के एक वर्ष पूरा होने पर डाक टिकट जारी किया जा रहा है, जो 16 जनवरी, 2021 को सफलतापूर्वक शुरू किया गया था। यह अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और सभी संबद्ध लोगों के योगदान को स्वीकार करने का भी क्षण है, जिन्होंने टीकाकरण अभियान को सफल बनाकर भारत को गौरवान्वित किया है।”

प्रोफेसर (डॉ.) बलराम भार्गव, सचिव डीएचआर और डीजी, आईसीएमआर ने कहा, “हम इस स्मारक डाक टिकट की वजह से वास्तव में सम्मानित महसूस कर रहे हैं और इसके लिए डाक विभाग के आभारी हैं। हमें अपनी विरासत पर गर्व है और चिकित्सा अनुसंधान में इनोवेशन करना जारी रहेगा। स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन का विकास भारत की वैज्ञानिक क्षमता में एक उल्लेखनीय मील का पत्थर है।”

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