कोरोना के कारण दस-दस हजार रुपये का ऋण भी हुआ एनपीए :: ऋण पर सात प्रतिशत ब्याज

कोरोना के कारण दस-दस हजार रुपये का ऋण भी हुआ एनपीए  :: ऋण पर सात प्रतिशत ब्याज

राजेश कुमार सिंघानियाँ —- कोरोना काल में रेहड़ी और फड़ वालों की मदद के लिए सरकार ने उनके खातों में दस-दस हजार रुपये का ऋण दिलाया, लेकिन ये खाते अब एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) हो गए हैं। फड़ व रेहड़ी वाले बैंकों को ऋण की किस्त समय पर नहीं जमा कर रहे हैं। बिजनौर जिले में ऋण लेने वाले नौ हजार खातों में से करीब 40 प्रतिशत खाते एनपीए हो गए हैं। अब सरकार इन लोगों को 20-20 हजार का ऋण देने की योजना बना रही है। जो लोग समय से किस्त जमा करेंगे वे ही इस ऋण का फायदा ले पाएंगे। 

पिछले साल कोरोना के समय जनता के काम-धंधे बहुत प्रभावित हुए थे। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्थिक मदद के लिए आत्मनिर्भर भारत योजना शुरू की थी। इसमें हर वर्ग के लिए अलग योजना का संचालन किया गया था।

शहरों में सड़क किनारे फड़ व रेहड़ी लगाने वालों के लिए भी प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना चलाई थी। योजना में नगर पालिका में पंजीकृत फड़ व रेहड़ी वालों के काम को बढ़ाने के लिए दस-दस हजार रुपये का ऋण दिलाया था।

इस ऋण पर सात प्रतिशत ब्याज की सब्सिडी भी थी। जिले में नौ हजार से अधिक फड़ व रेहड़ी वालों को इस योजना का लाभ मिल चुका है। इनके खातों में दस-दस हजार रुपये जमा किए गए। इस ऋण को जमा करने के लिए हर महीने 975 रुपये की किस्त निर्धारित की गई। लेकिन अधिकतर रेहड़ी व फड़ वालों ने यह रकम बैंकों में जमा ही नहीं की और इनके खाते एनपीए हो गए।

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