• December 21, 2021

कॉंग्रेस नेता की गुंडागर्दी से लड़ते हुए शिक्षा रोजगार और स्वास्थ्य के आंदोलन मे जेल भी जाना पड़ा तो जाएंगे – सादिक़ बाशा

कॉंग्रेस नेता की गुंडागर्दी से लड़ते हुए शिक्षा रोजगार और स्वास्थ्य के आंदोलन मे जेल भी जाना पड़ा तो जाएंगे – सादिक़ बाशा

महाराष्ट्र प्रदेश काँग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष व 2004- 2016 के बीच विधान परिषद सदस्य रह चुके सय्यद मुझफ्फर हुसैन के लोगों द्वारा ‘हक है’ संगठन के राजनीतिक – सामाजिक कार्यकर्ता सादिक़ बाशा को उनका संगठन कार्यालय खाली करने के लिए धमकाने का मामला सामने आया है। मीरा रोड मे ‘हक है’ संगठन के माध्यम से सादिक़ बाशा पिछले कई सालों से लोगों के शिक्षा और स्वस्थ्य के मुद्दे पर काम कर रहे हैं। पिछले 2 – 3 सालों मे नागरिकता कानून का विरोध, कोविड-19 के भयावह संकट के दौरान हजारों लोगों के लिए कई टन रेशन किट की मदद और निजी अस्पतालों की लूट के खिलाफ उन्होने कई बार आंदोलन भी किया है। कोरोना महामारी की संकट से जूझ रहे अभिभावकों की खस्ता आर्थिक हालत के चलते उनपर फी भरने, ना भरने पर स्कूल से निकालने, ऑनलाइन पढ़ाई व परीक्षा मे न बैठने देने और मार्कशीट न देने जैसे दबाव बनाकर उन्हे अपमानित किया जाता था। लोगों के जीवन से जुड़े इन मूलभूत मुद्दों पर हक है संगठन द्वारा सादिक़ बाशा और उनके साथियों द्वारा सैकड़ों अभिभावकों को साथ लेकर कई बार आंदोलन हुए जिससे कई बच्चों की शिक्षा जारी रह सकी।

कॉंग्रेस नेता सय्यद मुझफ्फर हुसैन द्वारा संचालित नूरजहाँ स्कूल मे से एक बच्चे को फीस न भरे जाने के कारण निकाल दिया गया। इसपर हक है संगठन की ओर से सादिक़ बाशा ने स्कूल से बच्चे को न निकालने की विनंती की त स्कूल ने फिर से अभिभावक को अपमानित किया। संगठन द्वारा बाहर के लोगों की मदद से साल भर की फीस भरी गई। इस घटना के महीने भर मे मीरारोड के काँग्रेसी कार्यकर्ताओं ने फेसबुक पर सादिक़ बाशा को ट्रोल करना शुरू कर दिया। जिन अभिभावकों का मोर्चा मीरा भायंदर मनपा के शिक्षा विभाग के कार्यालय पर निकाला गया। उन्हे सरकारी नियमावली के अनुसार 100 रुपए के स्टैम्प पेपर पर शिकायतें दर्ज कराई। इसके बाद मनपा शिक्षा विभाग की सहायक आयुक्त कविता बोरकर द्वारा 16 दिसंबर को सादिक़ बाशा को 2 दिनों पहले किए विरोध प्रदर्शन के हवाले से मानहानि का केस करने की धमकी भरा पत्र भेजा गया और वो पत्र शिक्षा विभाग से सादिक़ बाशा के हाथों मे आने के पहले ही काँग्रेस कार्यकर्ताओं के सोशल मीडिया पर साझा होना शुरू हो गया। इससे ये बात साफ हो गयी की मनपा के शिक्षा विभाग की राजनैतिज्ञों के लूटने वाले निजी स्कूलों से साठगांठ है। हक है का कार्यालय जिस जगह से चलता है उस दुकान मालिक को फारुख नामक काँग्रेसी नेता द्वारा मुझफ्फर हुसैन के आदेश से कार्यालय खाली करवाने के लिए धमकी भरा दबाव डाला गया। इस तरह हक है संगठन की अभिभावकों और आम लोगों के लिए निजी अस्पताल, निजी स्कूलों और अन्य जनसामान्य से जुड़े मुद्दों के लिए चल रही लड़ाई को तोड़ने के लिए महाराष्ट्र प्रदेश काँग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष सय्यद मुझफ्फर हुसैन द्वारा धनबल, बिकाऊ प्रशासन और गुंडागर्दी इन तीनों का सहारा लिया जा रहा है।




सादिक़ बाशा इस इलाके मे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता हैं और दो बार चुनाव भी लड़ चुके हैं। उनके आंदोलनों को मिल रहे समर्थन और कॉंग्रेसी नेताओं की बढ़ती अलोकप्रियता से घबरा कर काँग्रेस द्वारा यहाँ धनबल और बाहुबल का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस दबावतंत्र का निषेध और जनता के अधिकारों के संघर्ष की लड़ाई और मजबूत करने के लिए हक है की ओर से रविवार 19 दिसंबर को शाम 7 बजे एक जनसभा का आयोजन किया गया। इस जनसभा को रुकवाने के लिए कॉंग्रेस नेताओं के दबाव मे पुलिस द्वारा हस्तक्षेप किया गया और केस मे फ़साने की धमकी दी गयी। काफी विवादों के बाद सभा हो सकी और हक है के सादिक़ बाशा, यास्मिन शेख, मोहम्म्ह खान, आम आदमी पार्टी के सुखदेव, फ़िल्मकार सुहैल बॅनर्जी, और एड. संजय पांडे आदि द्वारा अपने भाषणों मे इन घटनाओं की कड़े शब्दों मे निंदा की गई और कॉंग्रेस पार्टी की गुंडागर्दी की राजनीति और प्रशासनिक दमन का विरोध किया गया। इस दमन के खिलाफ अभिभावकों द्वारा उनके बच्चों के साथ आंदोलन और आवश्यकता पड़ी तो मुझफ्फर हुसैन के बंगले पर मोर्चा निकालने का भी तय किया गया। सहायक शिक्षण आयुक्त के पत्र के खिलाफ उनकी शिकायत महाराष्ट्र की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड, मीरा-भायंदर मानपा आयुक्त दिलीप ढोले, महापौर ज्योत्सना हसनाले, ओमप्रकाश उर्फ राज्यमंत्री बच्चू कडू, श्रीमती वंदना कृष्ण, मा. अतिरिक्त मुख्य सचिव, शालेय शिक्षण व क्रीडा विभाग, श्री. विशाल सोलंकी, मा.आयुक्त (शिक्षण), मुंबई विभागीय उप निदेशक (शिक्षण), और मुख्य सचिव शिक्षण विभाग के पास लिखित स्वरूप मे दर्ज की जाएगी. इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर भी मुहिम चलाई जा रही है। मानवाधिकार आयोग के पास भी शिकायत दर्ज कराई जाएगी। शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों पर चल रहे इस आंदोलन को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, डीएफ़एफ़आई, आम आदमी पार्टी, एनसीपी आदि अनेक संगठनो- पार्टियों का समर्थन मिला है।

संपर्क :
सादिक़ बाशा सबूर अंसारी
संयोजक सचिव

Related post

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

उमेश कुमार सिंह :  गुरुगोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं।…
जलवायु परिवर्तन: IPBES का ‘नेक्सस असेसमेंट’: भारत के लिए एक सबक

जलवायु परिवर्तन: IPBES का ‘नेक्सस असेसमेंट’: भारत के लिए एक सबक

लखनउ (निशांत सक्सेना) : वर्तमान में दुनिया जिन संकटों का सामना कर रही है—जैसे जैव विविधता का…
मायोट में तीन-चौथाई से अधिक लोग फ्रांसीसी गरीबी रेखा से नीचे

मायोट में तीन-चौथाई से अधिक लोग फ्रांसीसी गरीबी रेखा से नीचे

पेरिस/मोरोनी, (रायटर) – एक वरिष्ठ स्थानीय फ्रांसीसी अधिकारी ने  कहा फ्रांसीसी हिंद महासागर के द्वीपसमूह मायोट…

Leave a Reply