- May 18, 2016
केन्द्रीय जेल में संचालित लघु और कुटीर उद्योग
रायपुर ———————— कैदियों के कौशल विकास एवं पुनर्वास के लिए रायपुर केन्द्रीय जेल में संचालित विभिन्न लघु और कुटीर उद्योगों में बंदियों द्वारा निर्मित दो करोड़ 18 लाख रूपए के सामग्रियों की बिक्री बीते कैलेंडर वर्ष (2015) में हुई है। इसमें से एक करोड़ 82 लाख रूपए की राशि राज्य के कोषालय में जमा की गई है।
बीते कैलेंडर वर्ष में रायपुर केन्द्रीय जेल में बंदियों द्वारा दो करोड़ 76 लाख रूपए से अधिक की सामग्रियों का उत्पादन किया गया है। रायपुर केन्द्रीय जेल में संचालित विभिन्न उद्योगों में यहां निरूद्ध 542 पुरूष एवं महिला बंदी काम कर रहे हैं। इनमें 113 कुशल बंदी और 429 अकुशल बंदी शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि कैदियों के कौशल विकास एवं पुनर्वास के लिए रायपुर केन्द्रीय जेल में काष्ठ कला, बुनाई, सिलाई, मसाला उद्योग, लौह उद्योग, प्रिंटिंग प्रेस, दरी, गलीचा एवं निवाड़ उद्योग तथा टेराकोटा जैसे अनेक उद्योग संचालित हैं।
महिला बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यहां स्वयं सेवी संस्थाओं के सहयोग से सिलाई प्रशिक्षण, काथा वर्क, आरो-आर्ट, बेबी-किट निर्माण एवं आर्टिफिशियल (कृत्रिम) ज्वेलरी निर्माण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही यहां महिला बंदियों के लिए बांस की टोकरी, सुपली, पॉट, घर, वॉलहैंगिंग और लेटर-बॉक्स निर्माण का प्रशिक्षण भी संचालित किया जा रहा है।