• November 30, 2016

कुपोषण मुक्त बनाने में अग्रसर है — सी-मेम

कुपोषण मुक्त बनाने में अग्रसर है —  सी-मेम

जयपुर–प्रदेश को कुपोषण से मुक्त बनाये जाने हेतु लाभार्थी तक पहुंच सुनिश्चित करने वाले समुदाय आधारित कुपोषण कार्यक्रम (सी-मेम) बेहद कारगर सिद्ध हो रहे है। प्रदेश में कुपोषण पहचान एवं उपचार के लिए निर्धारित ग्लोबल गाईडलाईन्स एवं प्रोटोकाल्स के मापदंड़ों पर समुदाय आधारित कुपोषण कार्यक्रम संचालित कर प्रथम चरण में चयनित जिलों में 9 हजार 117 कुपोषित बच्चों की पहचान कर कुपोषण मुक्त घोषित किया जा चुका है।

मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन श्री नवीन जैन ने स्थानीय होटल हाली-डे-इन में अंतरा फाउंडेशन द्वारा एक्सपेंडिंग द न्यूट्रिशियन टेंट विषय पर आयोजित अनाया पोषण विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुये यह जानकारी दी। उन्होंने प्रदेश के समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन कायक्र्रम के प्रबंधन, कार्य योजना एवं परिणामों पर विस्तार से जानकारी दी।

श्री जैन ने कहा कि कुपोषण ग्रसित बच्चों की बड़ी संख्या हमारे समक्ष एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने सीमेम कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि अंतर्राष्ट्रीय संगठन यूनिसेफ, गेन एवं एसीएफ का तकनीकी सहयोग लेकर सर्वाधिक प्रभावित 13 जिलों के 41 खण्डों में 6 माह से 59 माह के अति गंभीर कुपोषित बच्चों के प्रबंधन हेतु समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन कार्यक्रम (सीमेम) का प्रथम चरण आयोजित किया गया।

उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में अति गंभीर कुपोषण श्रेणी से मुक्त घोषित इन बच्चों को पुनः इस श्रेणी में आने से रोकने हेतु उन्हें आंगनबाड़ी केन्द्रों से जोड़ा गया है। इस प्रथम चरण में 9 हजार 117 बच्चों को कुपोषण मुक्त किया गया है। विचार गोष्ठी में पहले दिन तीन सत्रों में पोषण कार्यक्रम संचालन में नीति, सरकार में सहक्रियाएं, पोषण में सहयोग और सहभागिता में पत्रकारिता की भूमिका विषय पर विचार-विमर्श किया गया।

प्रथम पैनल सत्र में महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव श्री कुलदीप रांका, मिशन निदेशक श्री नवीन जैन, गेन के कंट्री निदेशक श्री तरुण विज, एकजुट के फाउंडर डा. प्रसन्ता त्रिपाठी एवं आईएफपीआरआई की सीनियर रिसर्च फैलो श्रीमती र्पूणिमा मेनन ने अपने विचार व्यक्त किये। श्री रांका ने प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बच्चों के पोषण के लिए किये जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि सघन निरीक्षण एवं पर्यवेक्षण के जरिये सभी आंगनबाडी केंद्रों के नियमित खुलने एवं अधिक से अधिक बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित की जा रही है। श्री तरुण, डा. प्रसन्ता एवं श्रीमती र्पूणिमा ने विषय पर विस्तार से विचार-विमर्श किया।

समन्वित कार्य योजना बनाने की आवश्यकता विचार गोष्ठी के दूसरे सत्र में प्रमुख शासन सचिव पीएचईडी डा. जे.सी. महान्ति ने समुदाय को ध्यान में रखते हुये समन्वित कार्य योजना बनाकर कार्य करने की आवश्यकता प्रतिपादित की।

प्रमुख शासन सचिव खाद्य एवं आर्पूति विभाग डा. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश की लगभग 65 प्रतिशत आबादी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत आती है। विभाग की ओर से इनको सब्सिडी पर गेहूं, कैरोसीन, चीनी जैसी आवश्यक वस्तुएं एवं बिना सब्सिडी वाले गुणवत्तायुक्त दूध, डबल फोर्टीफाईड नमक आदि उपलब्ध करवायी जा रही है।

ग्रामीण विकास सचिव एवं मिशन निदेशक आजीविका मिशन एवं स्वयं सहायता समूह श्री राजीव सिंह ठाकुर ने विभाग की ओर से संचालित की जा रही योजनाओं, कार्यक्रमों एवं समन्वित प्रयासों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने कहा कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभाग आंगनबाड़ी केंद्रों पर आशा सहयोगिनियों के माध्यम से समन्वित होकर कार्य कर रहा है। उन्होंने और अधिक समन्वित कार्ययोजना बनाकर कार्य किये जाने पर बल दिया।

सीआईएफएफ में किशोर यौन स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रबंधक श्रीमती अनघा खोट, टाटा ट्रस्ट में पोषण कार्यक्रम निदेशक डा. आर. शंकर एवं अंतरा फाउंडेशन के फाउंडर निदेशक श्री अशोक अलेक्जेंडर ने भी अपने विचार रखे। समुदाय की जागरूकता में मीडिया की अहम भूमिका तीसरे सत्र में उप निदेशक प्रचार श्री गोविन्द पारीक ने कहा कि समुदाय की जागरूकता में मीडिया की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।

प्रदेश में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के मुद्दों पर मीडिया का नियमित सहयोग मिलता रहा है। साथ ही समय-समय पर विभाग की नयी योजनाओं व कार्यक्रमों के बारे में मीडियार्कमियों को जानकारी दी जाती है।

राजस्थान पत्रिका के सलाहकार संपादक श्री सनी सेबस्टियन ने पत्रकारों को बेहतर और प्रभावी लेखन के लिये नियमित अध्ययन करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मीडिया सामाज से जुड़े मुद्दों एवं मानवीय खबरों को हमेशा अच्छी खासी कवरेज देता है।

हिन्दुस्तान टाइम्स की सहायक सम्पादक श्रीमती उर्वशी देव रावल, एनडीटीवी की विशेष संवाददाता श्रीमती हर्षा सिंह, दूरदर्शन में स्वास्थ्य कार्यक्रम अधिशाषी डा. वासुदेव शर्मा ने भी मीडिया की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की। आईसीएफजे फैलो श्री सुधांशु चौधरी ने इस चर्चा का संचालन किया।

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