- June 4, 2017
कुपोषण के विरूद्ध–एम.ओ.यू.
जयपुर————कुपोषण दूर करने के लिए संचालित किये गये समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन कार्यक्रम के प्रथम चरण की अपार सफलता के बाद कुपोषण के विरूद्ध एक और अभिनव पहल करते हुए बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण की स्थिति में सुधार के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा महिला व बाल विकास विभाग के साथ ही टाटा ट्रस्ट, एसीएफ तथा गैन के मध्य एम.ओ.यू. किया गया है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री कालीचरण सराफ की मौजूदगी में शनिवार को एम.ओ.यू. पर प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक श्री नवीन जैन, महिला व बाल विकास विभाग की विशिष्ट शासन सचिव व निदेशक श्रीमती शुचि शर्मा, गेन के कंट्री हैड श्री तरूण विज व एसीएफ के कार्यकारी निदेशक श्री सैय्यद आरिस अहमद ने हस्ताक्षर किये।
श्री सराफ ने इस एमओयू पर खुशी जाहिर करते हेतु विश्वास व्यक्त किया कि इससे प्रदेश की भावी पीढ़ी के कुपोषण की समस्या का समाधान होगा एवं बच्चों के स्वास्थ्य की दृष्टि से यह एक मील का पत्थर साबित होगा।
मिशन निदेशक श्री जैन ने बताया कि आज हुए एमओयू के अनुसार प्रदेश के कुपोषण उपचार केन्द्रों तथा आंगनबाड़ी केन्द्रों को टाटा ट्रस्ट, गेन व एसीएफ द्वारा तकनीकी एवं अन्य सहयोग प्रदान किया जायेगा। आईसीडीएस द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषण गतिविधियों के साथ ही अति कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर उन्हें उपचार के लिए एमटीसी में भेजा जायेगा। गेन द्वारा एमआईएस प्लेटफार्म बनाने के साथ ही प्रत्येक बच्चे के तथ्यों का संकलन व प्रबंधन किया जायेगा। एसीएफ द्वारा आशाओं व एएनएम सहित अन्य कर्मियों का क्षमता संवद्र्धन किया जायेगा तथा प्रशिक्षण सहित बिहेवियर चेंज कम्युनिकेशन की कार्यवाही की जायेगी। टाटा ट्रस्ट द्वारा पूरक आहार उपलब्ध कराने के साथ ही तकनीकी सहयोग भी प्रदान किया जायेगा।
श्री जैन ने बताया कि अति गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या में हो रही इस वृद्धि को ध्यान में रखते हुए समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन कार्यक्रम का प्रथम चरण संचालित किया गया। दिसम्बर 2015 से जून 2016 के दौरान विशेषज्ञों द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहे गये इस कार्यक्रम से चिन्हित 9 हजार 640 बच्चों में से 9 हजार 117 बच्चों को अति गंभीर कुपोषण से मुक्त किया गया। पोषण द्वितीय का संचालन प्रदेश के 20 जिले के 50 ब्लॉक में किया जायेगा एवं इसके तहत लगभग 16 हजार 500 बच्चों को अति गंभीर कुपोषण से मुक्त किया जायेगा।