- March 20, 2015
कार्य स्थल पर महिलाओं के उत्पीड़न पर आर्थिक दंड – सर्वोच्च न्यायालय
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने विशाखा बनाम राजस्थान सरकार मामले में कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए औपचारिक दिशा निर्देश जारी किये। इन दिशा निर्देशों मे स्पष्ट रुप से कहा गया है कि सभी कार्यों स्थलों पर यौन उत्पीड़न की शिकायतों से निपटने के लिए एक शिकायत समिति का गठन किया जाना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप ‘कार्य स्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (बचाव,निषेध और निपटान) अधिनियम, 2013’ कानून बनाया गया जो 9 दिसंबर 2013 से प्रभावी हुआ।
यह अधिनियम प्रत्येक नियोक्ता पर ऐसे वातावरण के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपता है जो यौन उत्पीड़न से मुक्त हो। नियोक्ताओं से नियमित अंतरालों पर कर्मचारियों को इस कानून के प्रावधानों के बारे में संवेदनशील बनाने के लिए कार्यशालाओं एवं जागरूकता कार्यक्रमों को आयोजित करने की उम्मीद की जाती है। साथ ही, उनसे आंतरिक समिति यौन उत्पीड़न के दंडात्मक परिणाम आदि के बारे में नोटिस प्रदर्शित करने की भी उम्मीद की जाती है।
इस अधिनियम के तहत अपने दायित्वों का उल्लंघन करने पर नियोक्ता पर 50 हजार रुपए तक का आर्थिक दंड लगाया जाएगा। इसके बाद ऐसे उल्लंघनों के मामले में आर्थिक दंड की राशि दोगुनी हो जाएगी, साथ ही उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा, उसकी गतिविधि के संचालन के लिए आवश्यक पंजीकरण या तो रद्द कर दिया जाएगा या फिर उसे वापस लिया जाएगा या उसका नवीकरण नहीं किया जाएगा।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस अधिनियम के कारगर क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को परामर्श जारी किए थे। भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों को भी इस अधिनियम का अनुपालन सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है।