- September 8, 2017
कायस्थ एक धोवन बोतल– शैलेश कुमार
कायस्थ एक मानसिक दिवालिया वर्ग ???
अचरज की बात है की आज कायस्थ वर्ग परिचय के लिए मुँहताज है।
प्रयोगशाला में एक धोबन बोतल की तरह स्थापित हो चुका है।
कारण है —यह बेडरूम थिंकर है ,प्रॉडियस सिंगल लीडर है। क्वालिफाइड डिवाइड एंड रूल का प्रबल अनुयायी है , श्रेणीवद्ध वर्गवाद में खीरों की तरह प्रेम है।
-कर्ण , -अम्बष्ट , -श्रीवास्तव , सक्सेना एक दूसरे को ऐसे देखते है — जैसे –सांप मेढ़क को देखता है।
यह व्यवस्था दुर्भाग्यपूर्ण है।
आत्मज्ञान नहीं है की उनमे समाज में परिवर्तन लाने की अतुल शक्ति है। हनुमान जी से भी गए गुजरे हो गए ।
दबे-कुचले वर्गों की तरह व्यवहार करते –एक मानिसक कायर।
–मानसिक कायर इसलिए की आगे बढे कायस्थ बेवकूफो की अन्यायपूर्ण उपेक्षा।
— इस वर्ग में सारे गुण कौओं की तरह है। —
— दबे -कुचले वर्गों की तरह –सर्वेंटगिरि करने में अपने को –भगवान् समझता है।
— कारण है बढे हुए कायस्थों का पिछड़े को सहायता नहीं करना —कागभुशुण्डि ।
— सहयोग करने के बदले उपदेशक ऐसे बन जाते जैसे –श्री कृष्ण हो ।
कायस्थों की एकता का विषमवाद तब बढ़ जाता है जब —विवाह सम्बद्ध में भी अपने को वर्गों से ऊपर रखता है और विवाह नहीं करता है
स्वाभाविक है —विवाह से सम्बन्ध बनता है — इतिहास के पन्ने को पलटे –राजपूतों का सम्बन्ध स्थापन देखे।
आज भी ब्राह्मण अपने गांवों में ही विवाहिक सम्बन्ध स्थापित करता है।
–एक नालायक कायस्थ है की दस पुरखो के अंदर में शादी नहीं करेगा
— अरे नायलक , यदि ऐसा ही है तो देश के सभी सह-वर्गिए को अपना बहन और माँ क्यों नहीं बना लेते –?
— ऐसा इसलिए की यह शदियों से अपने ही वर्गों में शादी करते आया है इसके कारण रुग्ण मानसिक के बच्चे पैदा होते रहे ।
रुग्ण क्या करेगा ?
महादेव की तरह माँ -बाप शक्ति शाली नहीं की श्री गणेश चक्कर लगाए तो विश्व भ्रमण हो जाय।
— ये बच्चे ऐसे रुग्ण माँ -बाप के चक्कर में -विलुप्त हो रहे ।
— पदहीन बिचारक में तो प्लूटो भी पराजित है ।
—- वर्ग बाद से ऊपर उठ कर –कायस्थो के सह- वर्गियों में शादी कर अपने हीन डीएनए को स्तरीय बनाये।
—- इससे दो फायदे है —— बच्चों में झूठे अहम् ख़त्म होगा और सह— वर्गियों का दीवार समाप्त होकर एकता और सम्बन्ध मजबूत होगा फिर सभी समस्याएँ समाप्त हो जायेगी।